मैथिली भाषा
मैथिली (/ˈmaɪtɪli/;[१] Maithilī [ˈməi̯tʰɪli]) भारोपेली भाषा छी जे मुख्य रूपमे भारतक उत्तरी बिहार आ नेपालक पूर्वी क्षेत्रसभमे बाजल जाइत अछि । ई प्राचीन भाषा भारोपेली भाषा परिवार अन्तर्गत आवैत अछि आ भाषाशास्त्रक हिसाबसँ बङ्गाली, आसामी, उडिया आ नेपालीसँ एकर निकट सम्बन्ध अछि । ई भाषाक अपन तिरहुता लिपि अछि मुदा हाल एकर प्रयोग न्यून देखल जाइत अछि ।[२] हाल मैथिली भाषा देवनागरीमा लिखल जाइत अछि । [३] मैथिली भाषा भारतक संविधानक आठम अनुसूची आ नेपालक संविधानक अनुसुचीमे सम्मिलित आ साहित्य परिषदद्वारा मान्यता प्राप्त भाषा छी ।
मैथिली | |
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Maithili, 𑒧𑒻𑒟𑒱𑒪𑒲 | |
बाजल जाइवाला स्थान: | भारत आ नेपाल |
प्रयोग क्षेत्र: | भारतक उत्तरी बिहार, नेपालक तराई क्षेत्र |
मातृभाषी: | ३५ मिलियन (लगभग ३.५ करोड) |
भाषा परिवार: | |
शाखा भाषा: | केन्द्रीय (सोतीपुरा)
पश्चिमी
पूर्वी कुर्था
देहाती
जोलाहा
किसान
दक्षिणी नेपाल
ठेठिया
|
लिपि | देवनागरी तिरहुता |
आधिकारिक अवस्था | |
आधिकारिक भाषा | भारत भारतक संविधानक अष्टम अनुसूची नेपाल अन्तरिम संविधान २००७ आ नेपालक संविधान २०१६ |
भाषा कोड: | |
आइएसओ ६३९-२ | mai |
आइएसओ ६३९-३ | mai |
सन् २००२ मे मैथिली भाषाक भारतक संविधानक अष्टम धारामे समावेश कएल गेल, जहिसँ भाषाक शिक्षा, सरकारी निकाय आ अन्य आधिकारिक प्रयोजनमे प्रयोग कऽ सकैत अछि।[४] सन् २०१५ मे मैथिली भाषाके नेपालक संविधान २०७२क भाग १, धारा ५ मे आधिकारिक भाषाक रूपमे राखल गेल अछि ।[५] भारतक ई एक सभसँ पैघ भाषाक अन्तर्गत आवैत अछि तहिना नेपालक ई दोसर सभसँ बेसी बाजल जाइवाला भाषा छी । [६] सन् २००१ धरि ई भाषा लगभग ४ करोड ४७ लाख लोकसभद्वारा बाजल जाइत अछि जहिमे सँ नेपालमे मात्र २८ लाख आ भारतमे ३ करोड ४७ लाख लोक मातृभाषाक रुपमे ई भाषाक प्रयोग करैत अछि ।[७]
भौगोलिक अवस्था
सम्पादन करीनेपालमे मैथिली तराईक जिलासभ धनुषा, सर्लाही, महोत्तरी, सिरहा, सप्तरी, सुनसरी आ मोरङ मे बाजल जाइत अछि। ई भाषा विभिन्न जातिसभ आ समूहसभमे कायस्थ, राजपुत, ब्राह्मण, खत्वे, चमार, यादव आ तेली आ अन्य वर्गद्वारा बाजल जाइत अछि ।[२] संविधानमे समावेश भेलाक बाद मैथिलीमे प्राथमिक शिक्षाक रूपमे विद्यालयसभमे प्रयोग कएल गेल अछि ।[६] भारतक साहित्य प्रतिष्ठानद्वारा मैथिलीके साहित्यिक भाषाक स्थान पण्डित जवाहर लाल नेहरूक समयसँ प्राप्त अछि । भारतमे मैथिली उत्तरी बिहारक मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय, सुपौल, पूर्णिया, मधेपुरा, कटिहार, अररिया, किशनगंज आ सहरसा जिलामे व्यापक रूपसँ बाजल जाइत अछि । मधुबनी आ दरभंगाक एकर प्रवेशद्वार मानल जाइत अछि । मातृभाषीसभ भारतक अन्य क्षेत्र जेना नयाँ दिल्ली, मुम्बई, पटना आ कोलकाता मे सेहो अछि ।
इतिहास
सम्पादन करीप्राचीन मैथिलीक विकासक शुरूवात प्राकृत आर अपभ्रंशक विकाससभसँ जुड़ल अछि । मैथिलीक इतिहास १४हम शताब्दीसँ जुड़ल अछि । सन् १५०७ सँ संरक्षण करि राखल वर्ण रत्नाकार नामक मैथिली गद्य पाठ मैथिली भाषासँ सम्बन्धित सभसँ पुरान दस्तावेज मानल जाइत अछि जे मिथिलाक्षर लिपिमे लिखल अछि ।[८][९]
मैथिली नाम कऽ उत्पति प्राचीन मिथिला राज्यसँ आएल अछि जकर राजा जनक छल्निह । राजा जनकक पुत्री आ राजा रामक पत्नी सीताक मैथिली नामसँ सेहो जानल जाइत अछि । मिथिलासँ समबन्धित विद्वानसभ अपन साहित्यिक काजक लेल संस्कृत भाषा आ आम लोकगीत (अवहट्ट) कऽ लेल मैथिली भाषाक प्रयोग करैत छल ।
पाल वंशक पतनक बाद, बौद्ध धर्मक अनुपस्थितिमे कर्नाट राजक स्थापना भेल आ कर्नाट वंशक हरिसंहदेव (१२२६-१३२४) मैथिलीक संरक्षक भेल । ओहि समयमे मैथिल कवि ज्योतिरिश्वर ठाकुर (१२८०-१३४०) एकटा पूर्ण मैथिली गद्य पाठ वर्णरत्नाकार लिखल्निह, जकरा आधुनिक हिन्द-आर्यन भाषा परिवार अन्तर्गतक सभसँ प्रारम्भिक दस्तावेज मानल जाइत अछि ।[१०] सन् १३२४ मे, दिल्लीक सुल्तान गयासुद्दीन तुघलक मिथिला राज्यपर आक्रमण करि हरिसिंहदेवके पराजित केलक आ अपन पारिवारिक पुजारी ओइनवार वंशक मैथिल ब्राह्मण कामेश्वर झा कऽ मिथिला राज्य सौंपलक । मुदा ओहि कालखण्डमे कियो मैथिली साहित्य नै निर्माण कऽ सकलक । राजा शिव सिंह आ हुनकर रानी लाखिमा देवीक संरक्षणमे युग कवि विद्यापति (१३६०-१४५०) एक हजारसँ बेसी मैथिली अजर-अमर गीत निर्माण केल्हिन । हुनकाद्वारा निर्माण कएल गीतसभ राधा आ कृष्णक राशलीला, शिव आ पार्वतीक घरेलु जीवन आ संगे मोरङमे रहल आप्रवाशी मजदुर आ ओसभक परिवारपर आधारित छल । एकर संगे ओ विभिन्न सन्धिसभ संस्कृत भाषामे लिख्ने छल । विद्यापतिद्वारा निर्माण कएल गेल प्रेमगीतसभ बहुत कम समयमे सम्भ्रमित सन्त, कवि आ युवासभक दिल जितैमे सफल भेल छल । बङ्गालक वैष्णव सम्प्रदायक सन्त चैतन्य महाप्रभु ई गीतसभक पाछा प्रेमक दिव्य प्रकाश देख एकरा ओहि समुदायक आधारगीत बनेनाए छल । रवीन्द्रनाथ ठाकुर उत्सुक भऽ ई गीतसभ अपन पदावली भानुसिंह ठाकुरेरमे अनुकरण केनए छल ।[११][१२]आसाम, बङ्गाल आ उत्कलक धार्मिक साहित्यके अपन रचनासभसँ विद्यापति बहुतेक प्रभावित केनए छल ।
मैथिली या तिरहुतियासँ सम्बन्धि अति प्रारम्भिक सन्दर्भ सन् १७७१ मे प्रकाशित अल्फाबेटम ब्राहमनिकम नामक पुस्तकमे कएल गेल अछि ।[१३]सन् १८०१ मे कोलब्रुक्स ऐसे अन द संस्कृत एन्ड प्राकृत ल्याङ्गवेज नामक पुस्तकमे मैथिलीके अलग बोलिक रुपमे वर्णन कएल गेल अछि ।[१४]
१७हम शताब्दीके मध्यमे वैष्णव सन्तसभ, विद्यापति आ गोविन्ददासद्वारा बहुतेक मृदुभाषी गीतसभ लिखल गेल । मापति उपाध्याय पारिजातहरण नामक नाटक मैथिली भाषामे लिखने छल । व्यवसायिक समूह मुख्यतया दलितसभ जकरा किर्तनिया सेहो कहल जाइत अछि ई नाटकके गीतक रुपमे जनसमूहमे प्रस्तुत करैलेल आरम्भ केलक । लोचन (१५७५-१६६०) रगतरागिनी लिखलक जहिमे सङ्गीत विज्ञानक महत्वपूर्ण ग्रन्थ, रागसभक वर्णन, ताल आ मिथिलामे प्रचलित गीत सङ्ग्रहित छल ।
१६ शताब्दीसँ १७ शताब्दीक बीचमे मल्ल वंशक शासनकालमे मैथिलीक पहुँच वृहत भेलाक संगे पुरे नेपालमे फैलल छल ।[१५][१६]
विद्यापति मैथिली भाषाक आदिकवि आर सर्वाधिक ज्ञात कवि छला । विद्यापति जी मैथिली अतिरिक्त संस्कृत तथा अवहट्ट शेहो रचना केनए अछि ।
अन्त्यमे,
सम्पादन करी‘संस्कृति’ शब्द ‘कृति’कँे आगा ‘सम्’ उपसर्ग लगेलाक बाद बनैत अछि । ‘संस्कृति’केँ अभिप्राय अछि, जकरा बनेबयमे आ आगा बढबयमे समाज’क सब वर्ग’क योगदान बराबर होय, जहिमे सबकँे समान सहभागिता होय, ओकरा लेल आवश्यक अछि जे समाजमे सब कियो बराबर होय आ प्रत्येककँे अपना पक्ष प्रस्तुत कएबाक लेल पूर्ण स्वतंत्रता होए । व्यक्तिकँे चारित्रिक विविधता सबकँे सम्मान करैत संस्कृति सदस्य इकाई सबकँे मन, विचार, रीति–रिवाजकँे सामंजस्यीकरणकँे काम करैत अछि, ताकि आगंतुक पीढि सब समाज’क आदर्श, रीति–रिवाज तथा ज्ञानानुभाव सबस“ लाभ उठा सकैह । मिथिला क्षेत्रमें पसरल विकृति आ विसंगिक हटेबाक हेतू संकटमोचककेँ आभावक कारण मैथिली अपन मूल बाट सँ भटैक गेल । सबगोटाके एक साथ लकेँ आगा बढबाक अनिवार्यता अछि ।
सन्दर्भ सामग्री :
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- महात्मा गांधी : सम्पूर्ण गान्धी वंशमय, प्रकाशक : प्रकाशन विभाग, सुचना और प्रसारण मन्त्रालय, भारतसरकार,भोल्युम २८, पृष्ठ ३६४, सन १९५८ )
- मधुमती : राजस्थान साहित्य अकादमी(संगम), भोल्युम २५, पृष्ठ ५८, सन् १९८६ ।
- डा.ललितेश मिश्र : पूर्व संकायाध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, स्रोत :जागरण डट कम, १२ सेम्टेम्बर २०१७ ।
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- पोल आर ब्रास : ल्याङ्गवेज, रीलीजन एण्ड पोलिटिक्स इन नोर्थ इण्डिया, १९७४, पृ.६८)
- –दिनेश यादव :सयपत्री (बहुभाषिक अर्धवार्षिक पत्रिका), प्रकाशन : नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान, काठमाण्डू, शीर्षक : ‘मैथिली भाषा आ साहित्य :समस्य आ समाधान’ पूर्णाङ्क–३५–३६(संयुक्ताङ्क), २०७५,पृष्ठ –७६)
- श्यामसुन्दर यादव ‘पथिक’ : आङन, ‘ग्राम्य लोक–आस्थाक केन्द्र :गामक राजा डिहबार’, प्रकाशक :नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान, काठमाण्डू, २०७५, पृ.९३–९४
- दिनेश यादव :आङन, ‘भाषिक पत्रकारिताः चुनौति आ समाधान’, प्रकाशक :नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान, काठमाण्डू, २०७५, पृ.४० ।
सम्बन्धित पृष्ठ
सम्पादन करीसन्दर्भ सूची
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