दीपावाली वा दिवाली अर्थात इजोतक पावनि शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध)मे प्रत्येक वर्ष मनाएल जाएवला एक प्राचीन हिन्दू पावनि छी।[][] दीपावाली हिन्दु धर्मावलम्वीसभक सभ सँ पैग आ हर्ष-उल्लासक पावनिसभमे सँ एक छी। ई पावनि आध्यात्मिक रूप सँ अन्धकार पर प्रकाशक विजयकेँ दर्शावैत अछि।[][] भारतवर्षमे मनाए जाइवला सम्पूर्ण पावनिसभमे दीपावलीकें सामाजिक आ धार्मिक दुनू दृष्टिसँ अत्यधिक महत्त्व अछि । एकरा दीपोत्सव सेहो कहल जाइत अछि । तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात अन्धकारसँ ज्योति अर्थात प्रकाशक दिस चली ई उपनिषदसभक आज्ञा छी । एकरा सिख, बौद्ध तथा जैन धर्मक लोक सेहो मनावैत अछि । जैन धर्मक लोक एकरा महावीरक मोक्ष दिवसक रूपमे मनावैत अछि[][] तथा सिख समुदाय एकरा बन्दी छोड़ दिवसक रूपमे मनावैत अछि ।

दीपावली
Deepavali
दीपावली Deepavali
दीपावलीमे रङ्गोली सजावट
अन्य नामदिवाली
समुदायहिन्दू, सिख, जैनबौद्ध[]
प्रकारसांस्कृतिक आ धार्मिक
अनुष्ठानदीया आ प्रकाश, घर सजावट, खरिददारी, पूजा (आराधना), उपहार, धार्मिक रितिरिवाजक प्रदर्शन, आतिशबाजी, भोज आ मिठाई
आरम्भधनतेरस, दीपावली सँ २ दिन पहिने
समापनभाई द्वितीया, दीपावलीक २ दिन बाद
तिथिहिन्दू क्यालेन्डर अनुसार
२०२४ मेdate missing (please add)
समबन्धकाली पूजा, गलुङ्गन, दिवाली (जैन), बन्दी छोड़ दिवस, तिहार, स्वान्ति

मानल जाइत अछि कि दीपावलीक दिन अयोध्याक राजा श्री रामचन्द्र अपन चौदह वर्षक वनवासक पश्चात घर वापस आएल छल ।[] अयोध्यावासिसभक ह्रदय अपन परम प्रिय राजाक आगमनसँ उल्लसित छल । श्री रामक स्वागतमे अयोध्यावासिसभ घीक दीप जलेने छल । कातिक मासक सघन कारी अमावस्याक ओ रात्रि दीपक इजोतसँ जगमग भऽ गेल । तहियासँ आईधरि भारत आ नेपालमे प्रति वर्ष ई प्रकाश-पावनि हर्ष आ उल्लाससँ मनाएल जाइत अछि । ई पावनि अधिकतर ग्रेगोरियन क्यालेन्डरक अनुसार अक्टुबर वा नवम्बर महिनामे मनाएल जाइत अछि । दीपावली दीपसभक पावनि छी । भारतीयसभक विश्वास अछि की सत्यक सदा जीत होइत अछि आ झूठक नाश होइत अछि । दीपावाली याह चरितार्थ करैत अछि- असतो माऽ सद्गमय, तमसो माऽ ज्योतिर्गमय । दीपावली स्वच्छता आ प्रकाशक पर्व छी । कयन सप्ताह पूर्वेसँ दीपावली कऽ तैयारी आरम्भ भऽ जाइत अछि । लोक अपन घरसभ, दोकानसभ आदि कऽ सफाई कार्य आरम्भ करि देत अछि । घरसभमे मरम्मत, रङ्ग-रोगन, सफेदी आदि कार्य होमए लागैत अछि । लोकसभ अपन अपन दोकानकें सेहो साफ सुथरा करि सजावैत अछि ।

दीपावाली नेपाल, भारत,[१०] श्रीलंका, म्यानमार, मरिसस, गुयाना, त्रिनिदाद आ टोबैगो, सुरीनाम, मलेसिया, सिङ्गापुर, फिजी, पाकिस्तानअस्ट्रेलियाक बाहरी सीमामे अवस्थित क्रिसमस द्वीपमे मनाएल जाइत अछि ।

दिपावाली उत्सव
नर्क चतुर्दशीक रातिमे घर भितर दीपसँ कएल गेल सजावट
दिवाली (तिहार)क लेल जगमग एक नेपाली मन्दिर
अमृतसरमे दिवाली उत्सव
दिवालीक रातिमे चेन्नईमे कएल गेल आतिशबाजी
ग्रामीण उत्सव – गङ्गा नदीमे दीप
दिवाली मिठाई
दिवाली नजारा, आतिशबाजी, कला, आ स्वादक पावनि छी । जे देश आ प्रान्तानुसार भिन्नता पायल जाइत अछि ।

शब्द उत्पति

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दीपावली शब्दक उत्पत्ति संस्कृतक दू टा शब्दसभ 'दीप' अर्थात 'दिया' आ 'आवली' अर्थात 'पङ्क्ति' या 'श्रृङ्खला' कऽ मिश्रण सँ भेल अछि। एकर उत्सवमे घरक दुआरि, घरसभ आ मन्दिरसभमे लाखो प्रकाशक प्रज्वलित कएल जाएत अछि। दीपावली जकरा दिवाली सेहो कहल जाएत अछि ओकरा अन्य भाषासभमे भिन्न-भिन्न नामसभ सँ जानल जाएत अछि जना:

भारतीय उपमहाद्वीपमे प्राचीन काल सँ दीपावालीकेँ हिन्दू पञ्चाङ्गक कार्तिक मासमे गर्मीक फसल काटलाक बाद एक पावनिक रूपमे दर्शाएल गेल। दीपावालीकेँ पद्म पुराणस्कन्द पुराण नामक संस्कृत ग्रन्थसभमे उल्लेख भेटैत अछि जे मानल जाएत अछि कि पहिल सहस्त्राब्दीक अन्तिम समयमे विस्तृत करि लिखल गेल छल। दीया (दीपक) केँ स्कन्द पुराणमे सूर्यक भागसभक प्रतिनिधित्व केनिहार मानल गेल अछि, सूर्य जे जीवनकेँ लेल प्रकाश आ ऊर्जाक लौकिक दाता छी आ जे हिन्दू पञ्चाङ्ग अनुसार कार्तिक माहमे अपन स्थिति परिवर्तित करैत अछि।[११][१२] कीछ क्षेत्रसभमे हिन्दू दीपवालीकेँ यमनचिकेताक कथाक सङ्ग सेहो जोड़ैत अछि।[१३] नचिकेताक कथा जे पहिल सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व उपनिषदमे दर्ज कएल गेल अछि ओहिमे सही विरुद्ध गलत, ज्ञान विरुद्ध अज्ञान, सुच्चा धन विरुद्ध क्षणिक धन आदिकेँ बारेमे बताएल गेल अछि।[१४]

७म् शताब्दीक संस्कृत नाटक नागानन्दमे राजा हर्ष एकरा दीपप्रतिपादुत्सव: कहने अछि जहिमे दीया जलाएल जाएत छल आ नव दुल्हीन आ दूल्हाकेँ उपहार देल जाएत छल।[१५][१६] ९म् शताब्दीमे राजशेखरद्वारा काव्यमीमांसामे एकरा दीपमालिका वर्णित कएल गेल अछि जहिमे घरसभक पोताई कएल जाएत छल आ तेलक दीयासभ सँ रातिमे घर, सड़क आ बाजारसभकेँ सजाएल जाएत छल।[१५]

भारत यात्रा करऽ आएल कयन यात्रीसभद्वारा सेहो दीपावलीकेँ वर्णन कएल गेल छल। एघारहम शताब्दीमे भारत भ्रमण करऽ आएल फारसी यात्री आ इतिहासकार अल बेरुनी कार्तिक मासमे अमावस्याक दिन हिन्दू धर्मावलम्बीद्वारा दीपावली मनाएल जेबाक यथार्थ अपन स्मृति पुस्तकमे लिखने छल।[१७] भेनिसक व्यापारी आ यात्री निकोलो डे कोन्टी १५म् शताब्दीक शुरुआतमे भारतक दौरा केनए छल आ अपन संस्मरणमे लिखने छल जे हिन्दूसभक अनेकौं पावनिसभमे सँ एक पावनिक अवसरमे ओ सभ अपन मन्दिरक भीतर आ छतक बाहर असङ्ख्य सङ्ख्यामे तेलक दीपक जलबैत छल जे दिन-राति जलैत रहैत छल आओर परिवारक सदस्यसभ एक जगह जमा भऽ नव परिधानमे अपनाआपकेँ ढालि लैत छल आ उत्सव हर्षोल्लासक सङ्ग मनबैत छल।[१८][१९] १६हम शताब्दीमे पुर्तगाली यात्री डोमिङ्गो पेस भारतक विजयनगर साम्राज्यक अपन यात्रा वृतान्तमे उल्लेख केनए छल जे हिन्दू धर्मावलम्बीसभ दीपावली पावनि अक्टुबर मासमे अपन घर आ मन्दिरसभमे दीया सँ प्रज्वलित करि मनबैत छल।[१९]

दिल्ली सल्तनतक इस्लामिक इतिहासकारसभ आ मुगल साम्राज्य कालमे सेहो दिवाली आ अन्य हिन्दू पावनिकेँ उल्लेख छल। विशेष रूप सँ मुगल सम्राट अकबर एहन हिन्दू उत्सवसभक स्वागत केनए छल आ उत्सवमे भाग लेनए छल[२०][२१] जबकि अन्य सम्राट औरङ्गजेब सन् १६६५ मे भारत वर्षमे दिवाली आ होली जका पावनिसभ पर प्रतिबन्ध लगाए देनए छल।[२२][२३][note १][note २]

टिप्पणीसभ

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  1. According to Audrey Truschke, the Sunni Muslim emperor Aurangzeb did limit "public observation" of many religious holidays such as Hindu Diwali and Holi, but also of Shia observance of Muharram and the Persian holiday of Nauruz. According to Truschke, Aurangzeb did so because he found the festivals "distasteful" and also from "concerns with public safety" lurking in the background.[२४] According to Stephen Blake, a part of the reason that led Aurangzeb to ban Diwali was the practice of gambling and drunken celebrations.[२३] Truschke states that Aurangzeb did not ban private practices altogether and instead "rescinded taxes previously levied on Hindu festivals" by his Mughal predecessors.[२४] John Richards disagrees and states Aurangzeb, in his zeal to revive Islam and introduce strict Sharia in his empire, issued a series of edicts against Hindu festivals and shrines.[२५] According to Richards, it was Akbar who abolished the discriminatory taxes on Hindu festivals and pilgrims, and it was Aurangzeb who reinstated the Mughal era discriminatory taxes on festivals and increased other religion-based taxes.[२५]
  2. Some Muslims joined the Hindu community in celebrating Diwali in the Mughal era. Illustrative Islamic records, states Stephen Blake, include those of 16th-century Sheikh Ahmad Sirhindi who wrote, "during Diwali.... the ignorant ones amongst Muslims, particularly women, perform the ceremonies... they celebrate it like their own Id and send presents to their daughters and sisters,.... they attach much importance and weight to this season [of Diwali]."[२३]

सन्दर्भ सामग्रीसभ

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  1. Charles M Townsend, The Oxford Handbook of Sikh Studies, Oxford University Press, आइएसबिएन ९७८-०१९९६९९३०८, page 440
  2. २.० २.१ "Holiday calendar"। National Portal of India। अन्तिम पहुँच 27 October 2016
  3. The New Oxford Dictionary of English (1998) ISBN 0-19-861263-X – p.540 "Diwali /dɪwɑːli/ (also Divali) noun a Hindu festival with lights...".
  4. Diwali Encyclopedia Britannica (2009)
  5. Jean Mead, How and why Do Hindus Celebrate Divali?, ISBN 978-0-237-534-127
  6. Vera, Zak (February 2010). Invisible River: Sir Richard's Last Mission. आइएसबिएन 978-1-4389-0020-9. http://books.google.com/?id=8HhVcspIBU4C&pg=PA179&dq=lamps+kept+on+diwali+lakshmi+evil+spirit#v=fjhfgyuiuyuiyuuiyii99wtwtyeryyywruiuhyuiyy&q&f=false. अन्तिम पहुँच तिथि: 26 October 2011. "First Diwali day called Dhanteras or wealth worship. We perform Laskshmi-Puja in evening when clay diyas lighted to drive away shadows of evil spirits." 
  7. Sharma, S.P.; Gupta, Seema (2006). Fairs and Festivals of India. Pustak Mahal. प॰ 79. आइएसबिएन 978-81-223-0951-5. http://books.google.com/?id=wPPr9HdmnHcC&pg=PA79&dq=diwali+mahavira+527. 
  8. Upadhye, A. N. (Jan–Mar 1982)। Cohen, Richard J. (सम्पा.)। "Mahavira and His Teachings"। Journal of the American Oriental Society। American Oriental Society। 102 (1): 231–232। doi:10.2307/601199JSTOR 601199
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  11. Pintchman, Tracy. Guests at God's Wedding: Celebrating Kartik among the Women of Benares, pp. 59–65. State University of New York Press, 2005. ISBN 0-7914-6596-9.
  12. Lochtefeld, James G. "Kartik" in The Illustrated Encyclopedia of Hinduism, Vol. 1: A–M, p. 355. Rosen Publishing. ISBN 978-0-8239-3179-8.
  13. Diwali - the season of Festivals Tarang (October 2003), page 4
  14. Max Müller (Translator), The Upanishads, आकृति:Google books, Quote: "The wise prefers the good to the pleasant, but the fool chooses the pleasant through greed and avarice. Wide apart are these two, ignorance and wisdom. [...] What is called a treasure is transient, for the eternal is not obtained by things which are not eternal. The wise who, by means of meditation on his Self, recognizes the Ancient, he indeed leaves (transient) joy and sorrow far behind. [...] Beyond the senses there are the objects, beyond the objects there is the mind, beyond the mind there is the intellect, the Self is beyond the intellect. Beyond the Self is the Undeveloped, beyond the Undeveloped is the Purusha. Beyond the Purusha there is nothing, this is the goal, the highest road. A wise man should keep down speech and (impulses of) mind, he should keep them within the Self which is knowledge."
  15. १५.० १५.१ BN Sharma, Festivals of India, South Asia Books, ISBN 978-0836402834, pp. 9–35
  16. Varadpande, Manohar Laxman (1987). History of Indian Theatre, Volume 1. Abhinav Publications. प॰ 159. आइएसबिएन 9788170172215. 
  17. R.N. Nandi (2009), in A Social History of Early India (Editor: B. Chattopadhyaya), Volume 2, Part 5, Pearson Education, आइएसबिएन ९७८-८१३१७१९५८९, pp. 183–84
  18. Abraham Eraly 2015, pp. 315–16.
  19. १९.० १९.१ Robert Sewell 2006, pp. 85–86.
  20. Richard M. Eaton 1996, pp. 159–60 with footnotes.
  21. Charles Melville 2012, p. 526, Quote: "He [Mahmud b. Amir Vali] gives a very detailed account of the celebration of the ten days of Moharram, which he witnessed in Lahore in 1965, as well as Hindu festivals such as Diwali (...)"..
  22. Kiyokazu Okita 2014, pp. 28–29.
  23. २३.० २३.१ २३.२ Stephen Blake 2013, pp. 87–89.
  24. २४.० २४.१ Audrey Truschke 2017, pp. 74–75.
  25. २५.० २५.१ John F. Richards (1995). The Mughal Empire. Cambridge University Press. pp. 38–40, 175–76. आइएसबिएन 978-0-521-56603-2. https://books.google.com/books?id=HHyVh29gy4QC. 

बाह्य जडीसभ

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एहो सभ देखी

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