मय या मयासुर, कश्यप आ दुनक पुत्र, नमुचिक भाई, एक प्रसिद्ध दानव। ओ ज्योतिष तथा वास्तुशास्त्रक आचार्य छल। मय दैत्यराज वृषपर्वन् के यज्ञ के अवसर पर बिन्दुसरोवर के निकट एक विलक्षण सभागृहक निर्माण करि अपन अद्भुत शिल्पशास्त्र के ज्ञानक परिचय देने छल।

फाइल:Krishna orders Mayasura to build a palace for the Pandavas.jpg
श्रीकृष्ण मयासुरक पाण्डवसभक लेल एक महल निर्माणक आदेश दैत

हिनकर दुईटा पत्नीसभ - हेमा आ रम्भा छल जाहिसँ पाँच पुत्र तथा तीन कन्यासभ भेल। जखन शंकर त्रिपुरक भस्म करि असुरसभक नाश करि देलक तखन मयासुर अमृतकुण्ड बनाके सभके जीवित करि देने छल मुद्दा विष्णु ओकर ई प्रयासके विफल करि देलक। ब्रह्मपुराण (१२४) के अनुसार इन्द्र द्वारा नमुचिक वध होए पर ओ इन्द्रके पराजित करै के लेल तपस्या द्वारा अनेक माया विद्यासभ प्राप्त करि लेने छल। भयग्रस्त इन्द्र ब्राह्मण भेश बनाके ओकर पास गेल आ छलपूर्वक मैत्रीक लेल ओ अनुरोध केलक तथा असली रूप प्रकट करि देलक। एही पर मय अभयदान द हुनका माया विद्यासभक शिक्षा देलक।

रामायणमे सम्पादन करी

रावणक पत्नी मन्दोदरी मायासुरक पुत्री छल।

महाभारतमे सम्पादन करी

महाभारत (आदिपर्व, २१९.३९; सभापर्व, १.६) के अनुसार खाण्डव वनके जलावैत समय ई ओही वनमे स्थित तक्षकक घरसँ भागलक्। कृष्ण तत्काल चक्रसँ एकर वध करै के लेल चाहलक् मुद्दा शरणागत होए पर अर्जुन एकरा बचा लेलक। बदलामे ई युधिष्ठिरक लेल सभाभवनक निर्माण केलक जे मयसभाक नामसँ प्रसिद्ध भेल। एही सभाक वैभवक देखि दुर्योधन पाण्डवसभसँ डाह करै लगल छल। ई भावना महाभारत युद्धक जन्म देलक।

सन्दर्भ सामग्रीसभ सम्पादन करी

बाह्य जडीसभ सम्पादन करी

एहो सभ देखी सम्पादन करी