छठि

(छठसँ पुनर्निर्देशित)

छठि पर्व नेपालभारतक उत्तर क्षेत्रमे हिन्दूसभद्वारा मनाओल जाइवला एक महत्वपूर्ण पावनि छी। ई पर्वमे षष्ठी भगवती, भगवान सूर्य देवछठि मैयाँ (पौराणिक वेदक देवी; उषा - सूर्य देवक पत्नी)क पूजा अर्चना करि पुत्र, पति आ परिवारक कल्याणक कामना कएल जाइत अछि।[१][२] पृथ्वीमे पर्याप्त प्रकाश देला कारण आ कामना पूर्ण भेलापर सूर्यके धन्यवाद देब क लेल मुख्यत: ई पर्वक सुरुवात भेल मानल जाइत अछि।[३]नेपालक विशेष रुपसँ तराई (मधेश) क्षेत्रमे श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक ई पर्व मनाएल जाइत अछि। ई पर्वक अवसरमे पञ्चमीक दिनसँ व्रत बैसनिहार महिला तथा पुरुष निष्ठापूर्वक पवित्र जलाशयमे स्नान करि साँझमे दूध, चामल आ सख्खरक खीर पकाए प्रसादक रूपमे अपनो खाइत अछि आ व्रत नैबैसनिहार परिवारक सदस्यसभके सेहो खुवाबैक चलन अछि। परम्परानुसार छठिक दिन साँझ अस्ताबैत सूर्यके जलाशयमे ठार भऽ पूजासहित अर्घ दऽ देलाबाद रातभरि नदी तथा तलाउ किनारमे बसि भजनकीर्तन करैत काल्हि सप्तमीक दिन भोर उगैत सूर्यके पुनः अर्घ दऽ पूजा विसर्जन कएल जाइत अछि। ई पर्वमे मुस्लिम समुदायक लोकसभ सेहो सहभागी होइत अछि आ ई पर्व विधिवत्त रूपमे मनाबैत अछि । पवित्र मनसँ छठि पर्व मनेलासँ पारिवारिक कल्याण, सन्तानसुख तथा मनोकामना पूरा होमएक विश्वास कएल जाइत अछि।

छठि
छठि
छठि पुजा करैत श्रद्धालु भक्त
अन्य नामछठि
छठि पर्व
छठि पुजा
डाला छठि
डाला पुजा
सुर्य षष्ठी
समुदायहिन्दू तथा जैन
पूजन सम्बन्धित रङ्गभगवा
प्रकारसांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक
महत्वपृथ्वीमे पर्याप्त प्रकाश देला कारण आ कामना पूर्ण भेलापर सूर्यके धन्यवाद देनाई
पावनिसभधार्मिक अनुष्ठान, भजन, स्नान, व्रत तथा सूर्यक पूजा
आरम्भकार्तिक शुक्ल षष्ठीक दुई दिन
समापनकार्तिक शुक्ल षष्ठीक भोरसँ
तिथिकार्तिक शुक्ल षष्ठी
२०२४ मेdate missing (please add)
मानाएलदुइ बेर (चैती छठि मिलाए)

इतिहास

सृष्टिक सुरूवातसँ सूर्यक उपासना कएल आबैत देखल गेल अछि। अग्नि पुराणमे सेहो षष्ठी व्रतक प्रसँग उल्लेख अछि। चौदह वर्षक वनवास आ एक वर्षक अज्ञातवास बैसल समय कुन्ती, द्रौपदी सहित पाण्डवद्वारा ई व्रत कएल वर्णन महाभारतमे उल्लेख अछि । त्रेता युगमे राजा दशरथक रानी कौशल्या सेहो ई व्रत केनए छल, से बताओल गेल अछि। कातिक महिनामे मनाएल जाइवला छठिके पैग छठि कहल जाइत अछि। चैत महिनाक षष्ठी तिथिमे सेहो कतेक ठाममे ई पर्व मनाएल जाइत अछि।

विधि

सूर्य उपासनासँ सम्बन्धित छठि पर्व प्रत्येक वर्ष कात्तिकशुक्ल पञ्चमी आ षष्ठीक दिन मनाएल जाइत अछि। व्रत बैसनिहार स्नान करि उपवास बैस आत्मशुद्धि करैत अछि, जकरा खर्ना कहल जाइत अछि। षष्ठीक दिन नदीपोखरिक घाटमे व्रतालुसभ स्नान करि साँझक समयमे जलाशयमे ठार भऽ सूर्यके फलफूल, ठेकुवा आ कसार अर्घ दैत अछि। व्रतालु भक्तजनसभ राति प्राय नदी किनारमे बास बैसैत अछि तँ कोई कोई घर चलि जाइत अछि। मुदा शुद्धाशुद्धिक बहुतेक विचार पहुँचाबैक कारण कोनो चीज अशुद्ध नैहोए ताहिलेल सभ कियो सजग रहैत अछि। शुद्ध भावनासँ ई व्रत करलासँ तुरुन्त फल सेहो मिलैत अछि से धर्मावलम्बीसभक विश्वास अछि। ताहिकारण मनसँ मात्र शुद्ध नै भऽ सबचीज साफसुथरा होवाक कारण व्रतालुसभ मात्र नै बल्कि सम्पूर्ण परिवारक सदस्यसभ एकरा कडाइक साथ पालना करैत अछि।

विसर्जन

षष्ठीक भोर ब्रहृममुहूर्तमे लोकसभ पूजासामग्री लऽ नदी किनारमे जा स्नान करि उगैत सूर्यके पुन: अर्ध्य देलाकबाद छठि पर्व समाप्त होइत अछि आ प्रसाद बाँटल जाइत अछि।


अनुष्ठान

नहाए खाए

छठिक पहिल दिन-कार्तिक शुक्ल चतुदर्शी

कार्तिक शुक्ल चर्तुदशीक दिन सँ छठि आरम्भ होइत अछि। विजयादशमीदीपावली बाद छठि नितान्त सूर्यक उपासना करि मनाएल जाइत अछि। छठिक शुरुवात मानल जाइवला ई दिनके व्रतालुसाभ नहाए खाए (नहाए खाए) कहैत अछि। भोर सबेरमे उठि हात टाङ्गक नह काटि आ पवित्र पानिसँ नुहाए-धुवाए करि सफा कपडा लगाए पूजा करि शुद्ध भोजन करैत अछि। कहल जाइत अछि ई दिनमे व्रतालुसभ ई प्रण करैत अछि की आब सँ हम कोनो गलत काम नै करि भगवानक राहमे चलब।

छठि पुजाक चित्रदीर्घा

सन्दर्भ सामग्रीसभ

  1. Subhamoy Das। "Chhath Puja"। About Religion। अन्तिम पहुँच November 16, 2015
  2. Festivals of India And Nepal - CHHATH FESTIVAL
  3. "Destinations :: Patna"

बाह्य जडीसभ

एहो सभ देखी