हिडिम्बा
महाभारत कालमे जखन पाण्डवसभ बनवासमे छल आ ओकरसभक घर (लाक्षागृह) जराए देल गेल तँ विदुरक परामर्श पर पाण्डवसभ ओहि ठामसँ भागि एक दोसर वनमे चलि गेल, जतय पीयर आँखि वाला हिडिम्बा राक्षस अपन बहीन हिडिम्बीक सङ्ग रहैत छल। एक दिन हिडिम्बा अपन बहीन हिडिम्बीकेँ वनमे भोजनक खोज करवाक लेल भेजलक मुदा ओहि ठाम हिडिम्बी पाँच पाण्डवसभ सहित हुनकर माता कुन्तीकेँ देखलक। ई राक्षसी भीमके देखते हुनकासँ प्रेम करऽ लागल जहि कारण ओ ओकरासभकेँ नै मारलक। ई देख हिडिम्बाके बहुत खराब लगल आ ओ क्रोधित भऽ पाण्डवसभ पर हमला करि देलक मुदा युद्धमे भीम हिडिम्बाकेँ मारि देलक आ फेर ओतय जङ्गलमे कुन्तीक आज्ञासँ हिडिम्बी आ भीम दुनू गोटेकेँ विवाह भेल। ई दुनूकें घटोत्कच नामक पुत्र भेल।
हिडिम्बा | |
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फाइल:Death of Hidimba.jpg | |
संबद्धता | राक्षस |
उत्तराधिकारी | भीम |
निवास स्थान | काम्यक वन |
निजी जानकारियाँ | |
भाई-बहिन | हिडिम्बी |
विस्तृत कथा
सम्पादन करीलाक्षागृहक दहनक पश्चात सुरङ्गक बाटसँ लाक्षागृहसँ निकलि पाण्डव अपन माताक सङ्ग वनकेँ भीतर चलि गेल। अनेकन कोस चलवाक कारण भीमसेनकेँ छोड़ि शेष लोकसभ थकानसँ बेहाल भऽ गेल आ एक वट वृक्षक नीचा सुति गेल। माता कुन्ती प्याससँ व्याकुल छल एहि लेल भीमसेन कोनो जलाशय या सरोवरक खोजमे आगा बढल। एक जलाशय दृष्टिगत होए पर ओ पहिने स्वयम् जल ग्रहण केलक आ माता तथा भाएसभकेँ जल पियाबऽक लेल आपस आबि गेल। ओ सभ थकानक कारण गहीर निन्द्रामे निमग्न भऽ चुकल छल अतः भीम ओहि स्थान पर पहरा केनाए आरम्भ केलक।
ओहि वनमे हिडिम्ब नामक एक भयानक असुरक निवास छल। मानवसभक गन्ध मिलै पर ओ पाण्डवसभक पकैड लैके लेल अपन बहन हिडिम्बाक भेजलक ताकि ओ उनका अपन आहार बनाके अपन क्षुधा पूर्ति करि सके। ओही ठाम पर पहुँचला पर हिडिम्बा भीमसेनके पहरा दैत देखलक आ उनकर सुन्दर मुखारविन्द तथा बलिष्ठ शरीरके देखके उनका पर आसक्त भ गेल। ओ अपन राक्षसी मायासँ एक अपूर्व लावण्मयी सुन्दरीक रूप बना लेलक आ भीमसेनके नजदिक पहुँचल। भीमसेन उनकासँ पूछलक, "हे सुन्दरी! अहाँ के छी आ रात्रिमे ई भयानक वनमे अकेले किया घूम रहल छी?" भीम के प्रश्न के उत्तरमे हिडिम्बा कहलक, "हे नरश्रेष्ठ! हम हिडिम्बा नामक राक्षसी छी। हमर भाई हमरा अहाँसभके पकडिके लावे के लेल भेजने अछी मुद्दा हमर हृदय अहाँ पर आसक्त भ गेल अछी तथा हम अहाँके अपन पति के रूपमे प्राप्त करैके लेल चाहै छी। हमर भाई हिडिम्ब बहुत दुष्ट आ क्रूर अछी किन्तु हम एतेक सामर्थ्य रखने छी कि अहाँके ओकर चंगुलसँ बचाके सुरक्षित स्थान धरि पहुँचा सकै छी।"