घटोत्कच
घटोत्कच भीम आ हिडिम्बाक पुत्र छल आ बहुत बलशाली छल। ओ महाभारतके प्रमुख पात्रसभमे सँ एक छल।[१]
घटोत्कचक जन्म
सम्पादन करीलाक्षागृह के दहन के पश्चात सुरंगके रास्तासँ लाक्षागृहसँ निकलि के पाण्डव अपन माताके साथ वनके भितर चलि गेल। अनेकौं कोस चलैके कारण भीमसेनक छोडि के शेष लोग थकानसँ बेहाल भ गेल आ एक वट वृक्षके नीचा सुति गेल। माता कुन्ती प्याससँ व्याकुल छल एहीलेल भीमसेन कोनो जलाशय या सरोवरक खोजमे चलि गेल। एक जलाशय दृष्टिगत होए पर ओ पहिने स्वयम् जल पिलक आ माता तथा भाइसभक जल पिलावे के लेल लौट कर उनकर नजदिक गेल। ओ सभ थकान के कारण गहिर निन्द्रामे निमग्न भ चुकल छल अतः भीम ओही पर पहरा दै लगल।
ओही वनमे हिडिम्ब नाम के एक भयानक असुरक निवास छल। मानवसभक गन्ध मिलै पर ओ पाण्डवसभक पकैड लैके लेल अपन बहन हिडिम्बाक भेजलक ताकि ओ उनका अपन आहार बनाके अपन क्षुधा पूर्ति करि सके। ओही ठाम पर पहुँचला पर हिडिम्बा भीमसेनके पहरा दैत देखलक आ उनकर सुन्दर मुखारविन्द तथा बलिष्ठ शरीरके देखके उनका पर आसक्त भ गेल। ओ अपन राक्षसी मायासँ एक अपूर्व लावण्मयी सुन्दरीक रूप बना लेलक आ भीमसेनके नजदिक पहुँचल। भीमसेन उनकासँ पूछलक, "हे सुन्दरी! अहाँ के छी आ रात्रिमे ई भयानक वनमे अकेले किया घूम रहल छी?" भीम के प्रश्न के उत्तरमे हिडिम्बा कहलक, "हे नरश्रेष्ठ! हम हिडिम्बा नामक राक्षसी छी। हमर भाई हमरा अहाँसभके पकडिके लावे के लेल भेजने अछी मुद्दा हमर हृदय अहाँ पर आसक्त भ गेल अछी तथा हम अहाँके अपन पति के रूपमे प्राप्त करैके लेल चाहै छी। हमर भाई हिडिम्ब बहुत दुष्ट आ क्रूर अछी किन्तु हम एतेक सामर्थ्य रखने छी कि अहाँके ओकर चंगुलसँ बचाके सुरक्षित स्थान धरि पहुँचा सकै छी।"
सन्दर्भ सामग्रीसभ
सम्पादन करी- ↑ "महाभारत के ओ १० पात्र जिनका जनैत अछी बहुत कम लोग!"। दैनिक भास्कर। २७ दिसम्बर २०१३। मूलसँ 2013-12-28 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2017-11-05।
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