हरिसिंहदेव
हरिसिंहदेव (जकरा हरि सिंह देव सेहो कहल जाएत अछि) कर्नाट वंशक एक राजा छल जे भारतमे रहल आधुनिक उत्तर बिहारक मिथिला क्षेत्र आ दक्षिण नेपालक किछ भाग पर शासन केनए छल।
हरिसिंहदेव | |
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मिथिलाक राजा | |
शासनकाल | सन् १३०४ - सन् १३२५ |
पूर्वाधिकारी | शक्तिसिंहदेव |
जन्म | सिम्रौनगढ़[१] |
मृत्यु | वर्तमान तीनपाटन, सिन्धुली जिला |
खानदान | मिथिलाक कर्नाट वंश |
पिता | शक्तिसिंहदेव |
ओ सन् १३०४ सँ सन् १३२५ धरि शासन केनए छल। ओ मिथिलाक कर्नाटक वंशक अन्तिम राजा छल। हुनकर युद्ध आ शान्ति मन्त्री चण्डेश्वर ठाकुर छल, जे प्रसिद्ध ग्रन्थ, राजनीति रत्नाकरक रचना केनए छल। गयासुद्दीन तुगलकक आक्रमण पश्चात् हरिसिंहक शासन समाप्त भऽ गेल आ ओ नेपालक पहाड़ दिस जाए कऽ लेल विवश भऽ गेल। हुनकर वंशज अन्ततः काठमाडौं उपत्यकाक मल्ल वंशक संस्थापक बनल, जे मैथिली भाषाक संरक्षक होमए केर लेल जानल जाएत अछि।
शासन
सम्पादन करीहरिसिंहदेवक शासनकाल केर मिथिलाक इतिहासमे एक ऐतिहासिक विन्दु मानल जाएत अछि, जहिमे हुनकर दू दशक शासनकालक समयमें कयक टा घटना घटित भेल छल। ओ मैथिल ब्राह्मणसभक लेल चारि-वर्ग प्रणाली जका सामाजिक परिवर्तन पेश केलक आ पाँजि प्रणाली विकसित केनए छल। हुनकर दरबारमे आबऽ वाला विद्वानसभ मिथिला पर एक स्थायी छाप छोड़लक।
विभिन्न ऐतिहासिक दस्तावेज आ शिलालेख अनुसार हरिसिंहदेवक अधीनस्थ मिथिला सैनिकद्वारा आक्रमणकारी मुस्लिम राजासभ सङ्ग कएक टा युद्ध लड़लक आ कतेको बेर ओ सभ विजयी भेल छल मुदा तुगलक सेना हुनका सभ केर पराजित कऽ मिथिला छोड़ए पर विवश कऽ देलक।
सन्दर्भ सामग्रीसभ
सम्पादन करी- ↑ "Regmi Research Series, Volume 4"। 1972। p. 10। अन्तिम पहुँच 7 January 2018।