लिखित रूपमे पं.जीवन झा आधुनिक मैथिलीक पहिक शाइर छथि (एखन धरिक खोजक अधारपर आ भारत ओ नेपाल दूनू मैथिली मिला कऽ)। हिनक नाटक "सुंदर-संयोग"मे गीत ओ गजल दूनू देल गेल जे कि ई. 1905 मे प्रकाशित भेल।


शब्दार्थ

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गजल मूलतः अरबी शब्द छैक तँए ई बुझबामे कोनो भाँगठ नहि जे गजल नामक काव्य सर्वप्रथम अरबी भाषा कहल गेल। गजल मने प्रेमिकाक आँचर सेहो होइत छैक ,गजल मने हिरणीक दर्द भरल आवाज सेहो होइत छैक, गजल मने प्रेमी-प्रेमीकाक गप्प सेहो होइत छैक। कहबाक तात्पर्य जे जतेक विद्वान ततेक परिभाषा।

मैथिली गजलक इतिहास

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गजलक जन्म आ विकासके जनबासँ पहिने अरब देशक ऐतिहासिकताके जानब बेसी जरुरी अछि। इस्लाम धर्मक जन्मसँ पहिनेके समयके जमानःएजाहिलियः कहल जाइत छैक, जकर मतलब अछि "अन्हार युग"। अन्हार युगमे जाहि तरहक काव्य रचल गेल ओ मूलतः अपन-अपन कबीलाके प्रशंशा आ विपक्षी कबीलाक खिद्धाशंसँ भरल अछि आ एहि काव्य शैलीके कसीदा कहल जाइत छैक। एहि युगमे मुतनब्बी नामक शाइर महत्वपूर्ण छथि। कसीदामे जखन प्रेमक प्रवेश भेल तखनेसँ गजलक जन्म हेबाक संभावना अछि। आ एहि प्रयोगक श्रेय इमरउल कैस (539 इ.)के जाइत छन्हि। अरबी साहित्य विशेषज्ञ सभके मानब छन्हि जे इमरउल कैस अन्हार युगक पहिल शाइर छथि जे गजल कहब शुरु केलथि। संगहि-संग कैसे एहन पहिल शाइर छथि जे अपन प्रियतमकेँ खसल दयार (दयारक मतलब स्थान होइत छै, चाहे ओ स्थान घर होइ कि डीह कि प्रदेश कि देश कि आन कोनो इलाका) पर कानि कए गजल कहबाक परंपरा शुरु केलथि। कैसक अलावे अरबीमे अन्तर-ह्बिनशद्दाह-अल-अबसी (525-615 इ.) अपन गजल-उल-अजरी मने पवित्र प्रेमक गजल लेल प्रसिद्ध भेलाह। अरबीक शाइर अहदे-उमवीक (661-749 इ. ) योगदान गजलमे सर्वाधिक अछि। तँए विद्वान लोकनि एहि युगके उमवी युग कहैत छथि। उमवी समयमे मक्का आ मदीना शाइर आ कलाकारक केन्द्र छल। जाहि कबीला (खानदान)मे पैगम्बर हजरत मोहम्मदक जन्म भेलन्हि ओही कबीलामे शाइर उमर-बिन-अबी -रबीय ( 643-711 इ.)क जन्म सेहो भेलन्हि। इ. 701 जन्मल जमील बुसीन विशुद्ध गजलगो शाइर छलाह। बुसीन वस्तुतः जमीलक प्रेमिकाक नाम छल जकरा जमील अपन तखल्लुस (उपनाम) के रुपमे प्रयोग करैत छलाह। आब एहि समय धरि गजलक विषय मात्र शारीरिक नहि रहि भावनात्मक भए गेलैक। प्रसिद्ध शाइर उमरु-बिन-कुलसूम अत़गलबी अपन गजलक शुरुआत प्रेमिकाक देहसँ नहि वरन जाम-ओ-मीनासँ करैत छथि। इस्लामक जन्म पछाति अरबी शाइरीके विषय तँ बदलबे केलै संगहि-संग इस्लाम जखन इरान-इराक पहुँचल तँ गजल सेहो पहुँचि गेलै। आ एहि तरहें आब फारसीमे सेहो गजल कहनाइ शुरु भेल। फारसीमे गजलगोइ नवम शताब्दीक अंतसँ शुरु भेल। मुदा एहिठाम ई कहबामे कोनो संकोच नहि जे फारसीमे कहल गजल अरबी गजलसँ बेसी नीक, समृद्ध, उदार आ भावनासँ परिपूर्ण अछि। एकर कारण ई जे अरब के तुलनामे इरान सभ्यता-संस्कृतिके मामलेमे बेसी विकसित छल। फारसीमे संभवतः रुदकी समरकन्दी पहिल शाइर छथि जे गजल कहलथि। रुदकी गजलक अलावे कसीदा, रुबाइ, मनसवी आदि सेहो कहलथि। फारसीक लगभग सभ महत्वपूर्ण शाइर गजल कहलथि जेना श़ेख सादी, रुमी, ख्वाजू किरमानी, हाफ़िज, शिराजी इत्यादि। फारसी गजलमे कमाल ख़जन्दी महत्वपूर्ण हस्ताक्षर छलाह। एहि सभहँक अलावे ओहि समयमे उ़र्फी, मजीरी, तालिब, कलीम आ सायब सभ सेहो गजलक विकास अपना-अपना तरीकासँ केलथि। एकटा आर गप्प फारसी गजलमे सायबके तमसील (मने दृष्टान्त)क बादशाह मानल जाइत अछि, मुदा ओ स्वयं एहि कलाके उस्ताद गनी काश्मीरीके बुझैत छलाह। आ हुनकासँ भेंट करबाक लेल भारत (फारसी इतिहासमे हिन्दोस्तान) सेहो आएल छलाह। फारसी गजलके संबंधमे दूटा गप्प आर । पहिल जे अमीर खुसरो " अमीर खुसरो देहलवी"क नामेँ भारतसँ बेसी इरानमे प्रसिद्ध छलाह। आ दोसर गप्प जे स़फवी युगमे इरान शासक सभँहक अकृपाक कारणे बहुत शाइर सभ भारत आबि बसि गेलाह। एहने क्रममे शाइर शैख अलीहर्फीइस्फाहानी जे बनारस आबि गेलाह। सन 1765 इ.मे हुनक मृत्यु भेलन्हि । आ एहने समयमे भारतक माटि पर गजल अपन गमक पसारि देलक। एहिठाम ई मोन राखब उचित जे भारतमे अमीर खुसरोके पहिल गजलगो सेहो मानल जाइत अछि। आ एहि गमकक किछु कण मीर, गालिब जेहन शाइरके जन्म देलक। आ तकरा बाद धीरे-धीरे उर्दू शाइरीक जन्म भेल। मोहम्मद कुली कुतुबशाह उर्दूक ओ पहिल शाइर छथि जनिकर दीवान ( गजल संकलन) प्रकाशित भेलन्हि। कुतुबशाहक बाद जे शाइर भेलाह ओ छथि-ग़व्वासी, वज़ही, बह़री इत्यादि। आ उर्दूक संग-संग गजल मैथिलीक माटि पर सेहो पसरल जकर पहिल उदाहरण 1905 मे कविवर जीवन झाक नाटक सुन्दर-संयोगमे भेटैत अछि।

1905सँ लगभग 1980 धरि मैथिली गजल पूर्णतः व्याकरण केर पालन करैत अछि मुदा तकर बाद किछु आधिक शाइर व्याकरणकेँ छोड़ि देला आ गजलक संगे-संग गजलक इतिहासकेँ सेहो तोड़ि-मरोड़ि देला। ई कथित आधुनिक गजलकार सभ ओहन गजलकारक चर्चा केनाइ छोड़ि देलथि जे व्याकरणमे लिखै छलाह। एहि ठाम आगू चलि कऽ व्याकरण बला गजलकार सूची आ बिना व्याकरण बला गजलकार सूची अलग-अलग देल अछि जाहिसँ मैथिली गजलक इतिहास समग्र रूपमे परिलक्षित हएत।[]

ह्रस्व आ दीर्घ केर संयोगसँ जुज बनैत छै, जुजसँ अज्जा, अज्जासँ रुक्न, रुक्नसँ अर्कान, अर्कानसँ बहर, कोनो एक रंगक बहरसँ बनल दूटा पाँतिकेँ शेर कहल जाइत छै आ एक समान बहरक किछु शेरक समूहकेँ गजल कहल जाइत छै।

गजलक प्रकार

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मुरद्फ गजल-- जाहि गजलमे मतला हो तकरा मुरद्फ गजल गजल कहल जाइत छै। गैर मुरद्फ गजल-- जाहि गजलक मतलामे रदीफ नै हो तकरा गैर मुरद्फ गजल कहल जाइत छै।

ऐ ठाम ई मोन राखू जे बिना रदीफक तँ गजल भए सकैए मुदा बिना कफिया गजल नै हएत।

एकर अतिरिक्त बिना व्याकरण बला गजल सेहो मैथिलीमे लिखाएल अछि। संक्षिप्त चर्चा आगू चलि कऽ हएत।

मैथिली गजलमे अनचिन्हार आखर केर योगदान

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11/4/2008केँ “अनचिन्हार आखर” नामक ब्लाग इंटरनेटपर आएल। अनचिन्हार आखर केर छोटका नाम " अ-आ " राखल गेल अछि। ई ब्लाग आशीष अनचिन्हार द्वारा शुरू कएल गेल छल आ समय-समयपर आन-आन गजलकार सभकेँ जोड़ल गेल। वर्तमानमे ई ब्लाग आशीष अनचिन्हार आ गजेन्द्र ठाकुर द्वारा संपादित भऽ रहल अछि [] तँ देखी अनचिन्हार आखर केर किछु विशेषता-  

1) अ-आ प्रिंट वा इंटरनेटपर पहिल उपस्थिति अछि जे की मात्र आ मात्र गजल एवं गजल अधारित विधापर केन्द्रित अछि।

2) अ-आ केर आग्रहपर श्री गजेन्द्र ठाकुर जी गजलशास्त्र लिखला जे की मैथिलीक पहिल गजलशास्त्र भेल।

3) अ-आ द्वारा "गजल कमला-कोसी-बागमती-महानन्दा सम्मान" केर शुरूआत भेल। जे की स्वतन्त्र रूपें गजल विधा लेल पहिल सम्मान अछि।

4)  अ-आ केर ई सौभाग्य छै जे ओ मैथिली बाल गजल नामक नव विधाकेँ जन्म देलक आ ओकर पोषण केलक। मैथिली भक्ति गजल सेहो अ-आ केर देन अछि। विदेहक अङ्क 111 पूर्ण रूपेण बाल-गजल विशेषांक अछि आ अङ्क 126 भक्ति गजल विशेषांक।

5) बर्ख 2008 आ 2015 माँझ करीब 30टासँ बेसी गजलकार मैथिली गजलमे एलाह। ई गजलकार सभ पहिनेसँ गजल नै लिखै छलाह। सङ्गे-सङ्ग करीब 5टा समीक्षक-आलोचक सेहो एलाह।

6) पहिल बेर मैथिली गजलक क्षेत्रमे एकै बेर करीब 16-17 टा आलोचना लिखाएल।[]

7) अ-आ मैथिली गजलकेँ विश्वविद्यालय ओ यू.पी.एस.सी एवं बी.पी.एस.सीमे स्थान दिएबाक अभियान चलौने अछि आ एकटा माडल सिलेबस सेहो बना क' प्रस्तुत केने अछि।

8)  अ-आ प. जीवन झा जीक मृत्यु केर अंग्रेजी तारीख पता लगा ओकरा गजल दिवस मनेबाक अभियान चलौने अछि।

9) अ-आ 1905सँ ल' क' 2013 धरिक गजल सङ्ग्रहक सूची एकट्ठा ओ प्रकाशित केलक ( व्याकरणयुक्त एवं व्याकरणहीन दूनू )। []

10)  अ-आ अधिकांश गजलकारक ( व्याकरण युक्त एवं व्याकरणहीन दूनू ) संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत केलक।

11) अ-आ 62 खण्डमे गजलक इस्कूल नामक श्रृखंला चलौलक जे की समान्य पाठकसँ ल' क' गजलकार धरि लेल समान रूपसँ उपयोगी अछि।

12)  अ-आ मैथिलीमे पहिल बेर आन-लाइन मोशयाराक आरम्भ केलक आ ई बेस लोकप्रिय भेल।

13) मैथिली गजल आ अन्य भारतीय भाषाक गजल बीच संबंध बनेबाक लेल "विश्व गजलकार परिचय शृखंला" शुरू कएल गेल।

अनचिन्हार आखरक एही काज सभकेँ देखैत मैथिली गजलक पहिल अरूजी गजेन्द्र ठाकुर 2008क बाद सँ लऽ कऽ वर्तमान कालखंडकेँ "अनचिन्हार युग" केर नाम देलाह।[]

मैथिली गजलमे विदेह (पत्रिका) केर योगदान

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विदेहक किछु एहन काज जै बिना गजलक उत्थान सम्भव नै छल

1) विदेहक 21म अंक ( 1 नवम्बर 2008 )मे राजेन्द्र विमल जीक 2 टा गजल अछि। राम भरोस कापड़ि भ्रमर आ रोशन जनकपुरी जीक 11 टा गजल अछि। संगे-संग धीरेन्द्र प्रेमर्षि जीक 1 टा आलेख मैथिलीमे गजल आ एकर संरचना। अछि संगे-संग ऐ आलेखक संग 1 टा गजल सेहो अछि प्रेमर्षि जीक। विदेहक ऐ अंकमे कतहुँ ई नै फड़िछाएल अछि जे ई गजल विशेषांक थिक मुदा विदेहक ऐसँ पहिनुक अंक सभमे गजलक मादें हम कोनो तेहन विस्तार नै पबै छी तँए हम एही अंककेँ विदेहक गजल विशेषांक मानलहुँ अछि।

2) विदेहक अंक 96 (15 दिसम्बर 2011)मे मुन्नाजी द्वारा गजल पर पहिल परिचर्चा भेल। ऐ परिचर्चाक शीर्षक छल मैथिली गजल: उत्पत्ति आ विकास (स्वरूप आ सम्भावना)। ऐमे भाग लेलथि सियाराम झा सरस, गंगेश गुंजन, प्रेमचंद पंकज, शेफालिका वर्मा, मिहिर झा ओमप्रकाश झा, आशीष अनचिन्हार आ गजेन्द्र ठाकुर भाग लेलथि। ऐकेँ अतिरिक्त राजेन्द्र विमल, मंजर सुलेमान ऐ दूनू गोटाक पूर्वप्रकाशित लेखक भाग, धीरेन्द्र प्रेमर्षिजीक पूर्व प्रकाशित लेख) सेहो अछि।

3) विदेहक अंक 111 (1/8/2012) जे की बाल गजल विशेषांक अछि जाहिमे कुल 16 टा गजलकारक कुल 93 टा बाल गजल आएल।

4) विदेहक 15 मार्च 2013 बला 126म अंक भक्ति गजल विशेषांक छै।

5) 15 नवम्बर 2013केँ विदेहक 142म अंक "गजल आलोचना-समालोचना-समीक्षा " विशेषांक छल।

मैथिलीक किछु प्रमुख गजलकार

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व्याकरण युक्त गजलकार (ई लिस्ट भारत-नेपाल दूनू ठामक गजलकार मिला कऽ अछि)

1) पं.जीवन झा

2) यदुनाथ झा यदुवर

3) सीताराम झा

4) काशीकान्त मिश्र "मधुप"

5) योगानंद हीरा

6) जगदीश चन्द्र अनिल (जगदीश चन्द्र ठाकुर "अनिल")

7) विजय नाथ झा

8) गजेन्द्र ठाकुर

9) मुन्नाजी

10) सुनील कुमार झा

11) शान्तिलक्ष्मी चौधरी

12) अनिल कुमार मल्लिक

13) मिहिर झा

14) ओमप्रकाश झा

15) अमित मिश्र

16) चंदन कुमार झा

17) जगदानन्द झा 'मनु'

18) पंकज चौधरी "नवलश्री"

19) कुन्दन कुमार कर्ण

20) विनीत उत्पल

21) श्रीमती इरा मल्लिक

22) राम कुमार मिश्र

23) नीरज कुमार कर्ण

24) प्रदीप पुष्प

25) राजीव रंजन मिश्रा

26) आशीष अनचिन्हार

उपरक नामक अतिरिक्त त्रिपुरारी कुमार शर्मा, विकास झा रंजन,रोशन, दीप नारायण विद्यार्थी,प्रवीन नारायण चौधरी प्रतीक, भावना नवीन, भाष्कर झा, रवि मिश्रा भारद्वाज, अजय ठाकुर मोहन, प्रभात राय भट्ट, श्रीमती इरा मल्लिक, स्वाती लाल, नितेश झा रौशन ,कुमार पंकज झा, उमेश मंडल, मनोज, अविनाश झा अंशु, सुमित मिश्रा "गुंजन" आदि सेहो गजल लीखि रहल छथि आ भविष्यमे ई सभ आर बेसी जगजियार हेता।

मैथिलीक किछु गजल गायक

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मैथिलीक बिना व्याकरण बला गजल

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लगभग 1980 सँ एखन धरि बहुतो गजलकार ओहन गजल लिखलथि जाहिमे गजलक नियमक पालन नै भेल अछि। ई कहब बेसी उचित जे ओहि धाराक गजलकार सभ नियम पालन करहे नै चाहैत छथि। ओ हुनकर अवधारणा हेतनि। एहिठाम ओहि धाराक किछु प्रतिनिधि गजलकार सभहँक नाम देल जा रहल अछि (ई लिस्ट भारत-नेपाल दूनू ठामक गजलकार मिला कऽ अछि)--

1) रवीन्द्र नाथ ठाकुर

2) मायानंद मिश्र

3) कलानंद भट्ट

4) सियाराम झा "सरस"

5) अरविन्द ठाकुर

6) सुधांशु शेखर चौधरी

7) धीरेन्द्र प्रेमर्षि

8) बाबा बैद्यनाथ

9) विभूति आनन्द

उपरमे देल प्रतिनिधि गजलकारक अतिरिक्त बहुतों एहन शाइर सभ छथि जे की छिटपुट आजाद गजल लिखला आ अन्य विधामे महारत हासिल केलाह।[] ई सूची शुरूसँ लऽ कऽ एखन धरिक अछि। संगे-संग भारत आ नेपाल दुन्नू मिला कए अछि। जँ ऐमे कोनो नाम छूटि गेल हुअए तँ ओ अहाँ सभ तुरंत एडिट कऽ ऐठाम दी[]-- बाबू भुवनेश्वर सिंह भुवन, रमानंद रेणु, फूल चंद्र झा प्रवीण, वैकुण्ठ विदेह, शीतल झा, प्रेमचंद्र पंकज, प.नित्यानंद मिश्र, शारदानंद दास परिमल, तारानंद झा तरुण, रमाकांत राय रमा, महेन्द्र कुमार मिश्र, विनोदानंद, दिलीप कुमार झा दिवाना, वैद्यनाथ मिश्र बैजू, विलट पासवान विहंगम, सारस्वत, कर्ण संजय, अनिल चंद्र ठाकुर, श्याम सुन्दर शशि, अशोक दत्त, कमल मोहन चुन्नू, रोशन जनकपुरी, जियाउर रहमान जाफरी, धर्मेन्द्र विहवल्, सुरेन्द्र प्रभात, अतुल कुमार मिश्र, रमेश रंजन, कन्हैया लाल मिश्र, गोविन्द दहाल, चंद्रेश, चंद्रमणि झा, फजलुर रहमान हाशमी, रामलोचन ठाकुर, विनयविश्व बंधु, रामदेव भावुक, सोमदेव, रामचैतन्य धीरज, महेन्द्र, केदारनाथ लाभ, गोपाल जी झा गोपेश, नंद कुमार मिश्र,देवशंकर नवीन,मार्कण्डेय प्रवासी,अमरेन्द्र यादव, केदार कानन आदि। बहुत रास नाम धीरेन्द्र प्रेमर्षि जी द्वारा संपादित गजल विशेषांक पर आधारित अछि।

संदर्भ ओ स्रोत

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  1. मैथिली गजलक व्याकरण ओ इतिहास[permanent dead link]
  2. अनचिन्हार आखर
  3. मैथिली गजल: आगमन ओ प्रस्थान बिंदु[permanent dead link]
  4. मैथिलीक प्रतिनिधि गजल[permanent dead link]
  5. "धांगि बाट बनेबाक दाम अगूबार पेने छँ" (PDF)मूल (PDF)सँ 2016-07-24 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2017-04-13 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  6. https://www.ilovemithila.com/ ,हालक मैथिली गजल
  7. विशेष जानकारी, https://www.ilovemithila.com/maithili-books-pdf-free-download/