भूपि शेरचन (वि.स. १९९२-२०४६) नेपाली आधुनिक कवि छी। सन् १९६९ मे ओ घुम्ने मेच माथि‍ अन्धो मान्छे कृतिक लेल साझा पुरस्कार सँ सम्मानित भेल छल।

भूपी शेरचन
Bhupi Sherchan
जन्म१९९२ पुस १२ गते
मुस्ताङ, थाक टुकुचे
मृत्यु२०४६ जेठ १
काठमाडौं नेपाल
पेशाकवि
भाषानेपाली
राष्ट्रियतानेपाली नेपाल
नागरिकतानेपाली
शैलीकविता (गद्य)
उल्लेखनीय कामसभघुम्ने मेचमाथि अन्धो मान्छे
उल्लेखनीय पुरस्कारमदन पुरस्कार

जीवन यात्रा सम्पादन करी

सुरुवाती जीवन सम्पादन करी

भूपी शेरचनक (वास्तविक नाम: भुपेन्द्रमान शेरचन) जन्म वि.सं. १९९२ साल पुस (१४ मे १९३७) महिनामे मुस्ताङ जिलाक थाक टुकुचेमे भेल अछि। भूपी ६ वर्षक होमएत काल उनकर माताक मृत्यु भेल छल। मातृ वात्सल्यविहीन भूपी अत्यन्त संवेदनशील छल।

शिक्षा सम्पादन करी

अध्ययनक लेल ओ बनारस गेल। ओ बि.ए. धरि अध्ययन केनए छल|

व्यक्तिगत जीवन सम्पादन करी

ओ दुई विवाह केनए अछि। दोसर सहयात्री कान्तिसँग ओ २०२५ सालमे अन्तर्जातीय विवाह केनए छल।

सेवा, पेसा आ संलग्नता सम्पादन करी

नेपाल कमन्युस्ट पार्टीक जिला सचिव(२०१२)
ठेकेदारी(२०१८ सँ)
नेपाल राजकीय प्रज्ञा-प्रतिष्ठानक सदस्य(२०२६)

साहित्यिक यात्रा सम्पादन करी

‘भूपी’ शेरचन

(व्यङ्ग्यात्मक सेल्फ पोट्रेट):

केही लेख्छन्

यसो हेर्छन्
चित्त बुझ्दैन
अनि केर्छन्
पुनः लेख्छन्
पुनः हेर्छन्
लामो सास फेर्छन्
कठैबरा, बिचरा
‘भूपी’ शेरचन !

सहिदसभक सम्झनामे सम्पादन करी

हुदैन बिहन मिर्मिरे तारा झरेर नगए
बन्दैन मुलुक दुइ चार सपूत मरेर नगए
ओठमा हाँसो गालामा लाली तब आउछ जगतको
देशको पिरले भेटि जब विरले चढाऊँछ रगतको
घटींमा फ़ासीको माला गॉसि विरले हँसता
मातृभूमि चरण ढोगी भाग्दछ दासता
उम्रन्न बोट कसैले बीऊ छरेर नगए
हामीले खाने प्रत्येक गासमा रगत छ सहिदको
हामीले फेर्ने प्रत्येक सासमा रगत छ साहिदको
हाम्रो मुटुको प्रत्येक चालमा धड्कन छ साहिदको
हाम्रो खुसीको प्रत्येक पलमा जीवन छ साहिदको


कृतिसभ सम्पादन करी

भूपी शेरचनक प्रकाशित कृतिसभ:-

१. परिवर्तन (नाटक, २०१० साल)
२. नयाँ झ्याउरे (कविता,२०१० साल)
३. निर्झर (कविता, २०१५ साल)
४. घुम्ने मेचमाथि अन्धो मान्छे (कविता, २०२५ साल)

भूपी शेरचनक रचनासभ सम्पादन करी

  • अल्झेछ क्यारे पछ्यौरी
शब्द - भूपि शेरचन
स्वर - नारायण गोपाल
संगीत - अम्बर गुरुङ

पुरस्कार सम्पादन करी

१. साझा पुरस्कार(२०२६)

साझा पुरस्कार पावैवाला पहिल कृति सेहो 'घुम्ने मेचमाथि अन्धो मान्छे' ही छी, जाहिमे ४२टा कवितासभ सरल, सरस भाषाशैली आ अनुप्रासयुक्त एवम् लयात्मक भावाभिव्यक्तिसँ शृङ्गारल अछि।

२. गोरखा दक्षिणबाहु दोसर(२०४२)

मृत्यु सम्पादन करी

भूपीक निधन २०४६ साल जेठ १ गते, काठमाडौँमे भेल ।


सन्दर्भ सामग्रीसभ सम्पादन करी

बाह्य जडीसभ सम्पादन करी

एहो सभ देखी सम्पादन करी