परीक्षित (अङ्ग्रेजी: Parikshit) हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ महाभारतक अनुसार अर्जुनक पोता, अभिमन्युउत्तराक पुत्र तथा जनमेजयक पिता छल । जब ई गर्भमे छल तखन उत्तराके बोलाबा पर विष्णुद्वारा अश्वत्थामाक ब्रह्मास्त्रसँ हुनकर रक्षा केनए छल । याह लेल हिनकर नाम 'विष्णुरात' पड़ल । भागवत (१, १२, ३०) कऽ अनुसार गर्भकालमे अपन रक्षक विष्णुकें खोजी करवाक कारण हिनका 'परीक्षित, (परिअ ईक्ष) कहल गेल मुदा महाभारत (आश्व., ७०, १०) कऽ अनुसार कुरुवंशक परिक्षीण होमएक बाद जन्म भेलाक कारण ओ 'परिक्षित' कहायल ।

परीक्षित
Parikshit
जानकारी
परिवारअभिमन्यु (पिता) आ उत्तरा (माता)
पति या पत्नी(सभ)इरावती
बच्चाजन्मेजय

महाभारतमे हिनका विषयमे लिखल गेल अछि की जाहि समय ओ अभिमन्युक पत्नी उत्तराक गर्भमे छल, द्रोणाचार्यक पुत्र अश्वत्थामा हिनका गर्भमे हत्या करि सम्पूर्ण पाण्डु कुलक नाश करवाक अभिप्राय सँ ऐषीक नामक अस्त्रकें उत्तराक गर्भमे प्रेरित केलक जकर फल ई भेल की उत्तराक गर्भसँ परीक्षितक झुलसल मृत पिण्ड बाहर निकलल । श्रीकृष्णक पाण्डु कुलक नामशेष भऽ जेनाए मञ्जुर नै छल, याह लेल ओ अपन योगबलसँ मृत भ्रूणकें जीवित करि देलक । परिक्षीण या विनष्ट होमए सँ बचायल गेल कारण ई बालकक नाम परीक्षित रखल गेल छल । परीक्षित गुरू कृपाचार्यसँ अस्त्रविद्यामे निपुण भेल छल जे महाभारत युद्धमे कुरुदलक प्रसिद्ध महारथी छल ।[१]

युधिष्ठिर आदि पाण्डव संसारसँ पूर्ण रूप सँ उदासिन भऽ गेल छल आ तपस्याक अभिलाषी छल । अतः ओ शीघ्र यथा शीघ्र परीक्षितकें हस्तिनापुरक सिंहासन पर सुशोभित करि द्रौपदी समेत तपस्या करै लेल चलि गेल ।[२] परीक्षित जब राजसिंहासन पर बैठलक तँ महाभारत युद्धक समाप्ति भेला किछे समय भेल छल, भगवान कृष्ण ओहि समय परमधाम सिधार गेल छल आ युधिष्ठिरक राज्य कएला ३६ वर्ष भेल छल । राज्यप्राप्तिक अनन्तर गङ्गातट पर ओ तीन अश्वमेघ यज्ञ केलक जाहिमे अन्तिम बेर देवतासभद्वारा प्रत्यक्ष आबि बलि ग्रहण केनए छल । हिनकर विषयमे सबसँ मुख्य बात ई अछि की हिनकरे राज्यकालमे द्वापर युगक अन्त भेल आ कलि युगक आरम्भ होनाए मानल जाइत अछि ।

अन्य परीक्षित सम्पादन करी

हिनका अतिरिक्त 'परीक्षित' नामक चारि अन्य राजा आओरो भेल जाहिमे तीन कुरुवंशीय छल आ एक इक्ष्वाकुवंशीय । पहिने तीनोमे प्रथम वैदिककालीन राजा छल । हिनकर राज्यक समृद्धि आ शान्तिकें उल्लेख अथर्ववेद (२०. १२७, ७-१०) मे भेल छल । हिनकर प्रशस्तिमे आएल मन्त्र 'पारिक्षित्य मन्त्र', कऽ रूपमे प्रसिद्ध अछि (ऐतरेय ब्राह्मण- ६, ३२, १०)।

सन्दर्भ सामग्रीसभ सम्पादन करी

  1. Michael Witzel, "Early Sanskritization. Origins and development of the Kuru State". B. Kölver (ed.), Recht, Staat und Verwaltung im klassischen Indien. The state, the Law, and Administration in Classical India. München : R. Oldenbourg 1997, 27-52 [१] सङ्ग्रहित २००६-०८-१५ वेब्याक मेसिन
  2. Michael Witzel, "Early Sanskritization. Origins and development of the Kuru State". B. Kölver (ed.), Recht, Staat und Verwaltung im klassischen Indien. The state, the Law, and Administration in Classical India. München : R. Oldenbourg 1997, 27-52 [२] सङ्ग्रहित २००६-०८-१५ वेब्याक मेसिन

बाह्य जडीसभ सम्पादन करी

एहो सभ देखी सम्पादन करी