जाँत
जाँत[१], जाँता, हस्तचक्की या चक्की पाथरसँ बनल एक प्रकारक चक्की छी। ई घरेलु पारम्परिक उपकरण दू टा गोल (वृताकार) पाथरक एक दोसरक उपर राखि बनल रहैत अछि। नीचा रहल पाथरक केन्द्र विन्दु पर एकटा डण्डा लागल रहैत अछि। उपर रहल पाथर पर केन्द्रमे एकटा छेद रहैत अछि जकर नीचा रहल पाथर पर लागल डण्डा बाहर अबैत रहैत अछि। उपर रहल पाथरक केन्द्रक छेदसँ कनिकरे बगलमे एकटा दोसर छेद रहैत अछि जतयसँ अनाज केर जाँतमे राखल जाएत अछि। उपर रहल पाथरक किनार दिस एकटा डण्डा लागल रहैत अछि जकरा पकड़ि उपरका पाथर घुमाएल जाएत अछि।
वर्गीकरण | पिसानी |
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भारतीय सभ्यता आ मिथिला संस्कृतिमे जाँतक बहुत महत्व अछि। एकर प्रयोग प्राचीन कालसँ होएत आबि रहल अछि। आजु काल्हि सेहो किछ ग्रामीण आ शहरी घरसभमे जाँत देखल जा सकैत अछि।
सन्दर्भ सामग्रीसभ
सम्पादन करी- ↑ Badrinath Kapoor; R Ratnesh; Shiv Kumar Avasthi (2012). Hindi Patrakarita Ki Shabda Sampada. प्रभात प्रकाशन. pp. 130–. आइएसबिएन 978-93-5048-112-7. https://books.google.com/books?id=qFODBQAAQBAJ&pg=PA130.