ओरछा (Orchha) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के निवाड़ी जिला [१] में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है | एकर स्थापना रुद्र प्रताप सिंह बुंदेला द्वारा १५०१ के बाद कोनो समय एही नाम के राज्य के राजधानी के रूप में कयल गेल छल | ओरछ बुंदेलखंड क्षेत्रमे बेतवा नदीक कातमे अवस्थित अछि। ई उत्तर प्रदेश राज्यमे टीकमगढ़सँ ८० किमी आ झाँसीसँ १५ किमी दूर अछि।[२].

ओरछा
Orchha
(ऊपर से दक्षिणावर्त) चतुर्भुज मन्दिर, जहांगीर महल, राजा महल, लक्ष्मी मंदिर
ओरछा मध्य प्रदेशपर अवस्थित
ओरछा
ओरछा
मध्य प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: २५°२१′N ७८°३८′E / २५.३५°N ७८.६४°E / 25.35; 78.64निर्देशाङ्क: २५°२१′N ७८°३८′E / २५.३५°N ७८.६४°E / 25.35; 78.64
देश भारत
प्रान्तमध्य प्रदेश
ज़िलानिवाड़ी ज़िला
ऊँचाई552 मिटर (1811 फिट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल११,५११
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी, बुंदेली
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड472246
दूरभाष कोड07680
वाहन पंजीकरणMP-36

इतिहास सम्पादन करी

एकर इतिहास १५म शताब्दीसँ शुरू होइत अछि, जखन एकर स्थापना रुद्र प्रताप सिंह जुदेव बुन्देला द्वारा कएल गेल छल जे सिकन्दर लोदीसँ सेहो युद्ध केने छल। एहि ठामक पहिल आ सबसँ रोचक कथा एक मन्दिरक अछि। दरअसल, ई मन्दिर भगवान रामक मूर्तिक लेल बनाओल गेल छल, मुदा मूर्ति स्थापनाक समय ओ अपन स्थानसँ नहि हटल। ई मूर्ति मधुकर शाह बुन्देलाक शासनकाल (१५५४ - ९२) क दौरान हुनकर रानी गणेश कुवर राजे अयोध्या सँ अनने छल। रानी गणेश कुंवर राजे वर्तमान ग्वालियर जिलाक करहिया गामक परमार राजपूत छल। चतुर्भुज मंदिर बनय सँ पहिने रानी पुख्ख नक्षत्र मे अयोध्या सँ पैदल चलिकय बाल स्वरूप भगवान राम (राम लला) क ओरछा लयलक मुदा राति भ' गेलाक कारण भगवान राम कें किछु समयक लेल महलक भोजन कक्ष मे स्थापित कएल गेल। मुदा मन्दिरक निर्माण भेलाक बाद केओ मूर्ति केँ ओकर स्थान सँ नहि हिला सकल। एकरा भगवानक चमत्कार मानैत महलकेँ मंदिरक रूप देल गेल आ एकर नाम राम राजा मंदिर राखल गेल। आजुक समयमे एहि महलक चारू कात शहर बसल अछि आ राम नवमीक दिन एहिठाम हजारो श्रद्धालु जुटैत छथि। ओना, भगवान राम केँ एतय भगवान मानबाक संगहि एतय के राजा सेहो मानल जाइत अछि, कारण ओ मूर्ति केर चेहरा मंदिरक दिस नहि कि महल दिस अछि। आजुक दिन सेहो भगवान राम केँ राजाक रूप मे (राम राजा सरकार) ओरछाक एहि मंदिर मे पूजल जाइत अछि आ हुनका गार्डक सलामी देल जाइत अछि। मन्दिरमे चमड़ाक सामानक प्रवेश निषेध अछि।

 
ओरछा की डाक टिकट - १९३५ महाराज: वीर सिंह देव

मन्दिर आ आसपास सम्पादन करी

 
ओरछा के एक मंदिर के बाहर साधू
 
बेतवा नदी के किनारे बनल महल

मंदिरक लग एक बगान अछि जाहिमे स्थित दूटा मीनार (वायु यन्त्र) लोकसभक आकर्षणक केन्द्र अछि। जे सावन भाद कहल जाइत अछि, एकर नीचाँ बनल सुरंगसभके शाही परिवार अपन आवागमन मार्गक रूपमे प्रयोग करैत छल। ई स्तम्भसभक बारेमे एकटा किंवदन्ती प्रचलित अछि जे वर्षा ऋतुमे हिन्दू क्यालेन्डरक अनुसार सावन महिनाक समाप्ति आ भादो मासक शुभारम्भक समयमे ई दुनु स्तम्भ आपसमे जुड़ैत छल। मुदा एकर कोनो ठोस प्रमाण नहि अछि। ई मीनारसभक नीचाँक मार्गसभ बन्द कऽ देल गेल अछि आ अनुसन्धानक लेल कोनो मार्ग नहि अछि।

ई मन्दिरसभके दशकसभ पुरान पुलसँ पार कऽ शहरक बाहरी इलाकामे 'रॉयल एन्क्लेव' (राजनिवास) अछि। एहिठाम चारिटा महल, जहांगीर महल, राज महल, शीश महल आ एहिसँ किछु दूरी पर बनल राय परवीन महल अछि। एहिमे सँ जहांगीर महलक किस्सा सबसँ प्रसिद्ध अछि, जे मुगल बुन्देला मैत्रीपूर्ण सम्बन्धक प्रतीक अछि। कहल जाइत अछि जे बादशाह अकबर अबुल फजल केँ शहजादे सलीम (जहांगीर) केँ काबू मे करबाक लेल पठौने छल, मुदा सलीम बीर सिंह बुन्देलाक सहायता सँ हुनकर हत्या करा देलक। एहि सँ प्रसन्न भऽ सलीम ओरछाक कमान बीर सिंह बुन्डेला केँ सौंपि देलक। ई सभ महल बुन्देला राजपूतक वास्तुकलाक प्रमाण अछि। खुल्ला गलियारा, पाथरक जालीक काज, पशुक मूर्ति, बेलबूटे जहिना तमाम बुन्देला वास्तुकलाक विशेषतासभ एहिठाम स्पष्ट देखल जा सकैत अछि।

आजुक समय मे ई महल सभ एतेक शांत नहि छल, मुदा आब ई सभ एतेक शांत भ ' गेल अछि। एहि ठाम रोज-रोजक भेल हलचल सँ उपजी कथा सभ आइयो लोक सभक जुबान पर अछि। एहिमे सँ एक अछि हरदौल बुन्देलाक कथा, जे जुझार सिंह बुन्देला (१६२७ - ३४) क शासन कालमे अछि। दरअसल, मुगल जासूससभक षड्यन्त्रपूर्ण कथासभक कारण ई राजाकेँ संदेह भऽ गेल छल जे हुनकर रानीक सम्बन्ध हुनकर भाइ हरदौल बुन्देलासँ छल। एहि लेल ओ रानी सँ हरदौल बुन्देला केँ जहर देबाक आग्रह केलक। जखन रानी ई नहि कऽ सकलथि त' अपन निर्दोषता प्रमाणित करबाक लेल हरदौल बुन्डेला स्वयं जहर पी लेलनि आ त्यागक एकटा नव मिसाल कायम केलक।

बुन्देला क्षत्रियक राजकाल १७८३ मे समाप्त भेलाक संग ओर्छा सेहो गुमनामीक घने जंगलमे गुम भऽ गेल आ फेर ई स्वतंत्रता संग्रामक समयमे सुर्खिसँ आएल। दरअसल, स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद एहि ठामक एक गाम मे आबि कऽ लुकि गेल छलाह। आजुक दिन हुनकर ठहरबाक स्थान पर एकटा स्मारक सेहो बनल अछि।

आकर्षण सम्पादन करी

 
ओरछा दुर्ग का विहंगम दृष्य
 
राय प्रवीण महल
 
चतुर्भुज मंदिर, ओरछा

जहांगीर महल सम्पादन करी

बुन्देला राजपूतसभ आ मुगल शासक जहांगीरक मित्रताक ई चिन्ह ओर्छाक मुख्य आकर्षण छी। दरबारक प्रवेशद्वार पर दूटा हाथी झुकि कऽ ठाढ़ अछि। राजा बीरसिंह जुदेव बुन्देला द्वारा जहांगीर के स्वागत मे तीन मंजिला ई महल बनाओल गेल छल। वास्तुकलाक दृष्टि सँ ई अपन जमानक उत्कृष्ट उदाहरण अछि।

 
जहांगीर महल

राजमहल सम्पादन करी

ई महल ओरछाक सबसँ प्राचीन स्मारकसभमे सँ एक छी। एकर निर्माण मधुकर शाह बुन्देला १७ अम शताब्दीमे केने छल। राजा विरसिंह जुदेव बुन्देला हुनक उत्तराधिकारी छल। ई महल छत्रियसभ आ उत्कृष्ट भित्री भित्तिचित्रसभक लेल प्रसिद्ध अछि। महलमे धर्म ग्रन्थसँ जुडल चित्र सेहो देखल जा सकैत अछि।

राय प्रवीण महल सम्पादन करी

ई महल राजा इन्द्रमणि बुन्देलाक सुन्दर गणिका प्रवीणरायक स्मृतिमे बनाओल गेल छल। ओ एक कवि आ संगीतकार छलीह। मुगल सम्राट अकबर केँ जखन हिनकर सुन्दरताक बारे मे पता चलल त' हिनका दिल्ली लेबाक आदेश देल गेलनि। इन्द्रमणि बुन्देलाक प्रति प्रवीणक सच्चा प्रेम देखि अकबर हुनका फेर ओराछा पठौलनि। ई दू मंजिला महल प्राकृतिक उद्यान आ वनस्पति सँ घेरल अछि। राय प्रवीण महल मे एकटा छोट हॉल आ चेम्बर अछि। [३]

लक्ष्मीनारायण मन्दिर सम्पादन करी

ई मन्दिर १६२२ ई. मे बनाओल गेल छल। एकर निर्माण बीरसिंह जुदेव बुन्देला द्वारा कएल गेल छल। मंदिर ओरछा गामक पश्चिममे एक पहाडपर बनल अछि। मन्दिरमे १७अम आ १९अम शताब्दीक चित्र अछि। चित्रक उज्ज्वल रंग एतेक जीवंत लगैत अछि जेना ओ हालहिमे बनाओल गेल होअय। मंदिरमे झांसीक युद्धक दृश्य आ भगवान कृष्णक आकृति बनल अछि।

चतुर्भुज मन्दिर सम्पादन करी

राजमहलक समीप स्थित चतुर्भुज मन्दिर ओरछाक मुख्य आकर्षण छी। ई मन्दिर चारि भुजाधारी भगवान विष्णुके समर्पित अछि। ई मन्दिरक निर्माण राजा मधुकर शाह बुन्देला द्वारा १५५८ सँ १५७३ के बीच कराओल गेल छल। अपन समयक ई उत्कृष्ट रचना युरोपेली कैथेड्रलसँ समान अछि। मंदिर मे प्रार्थनाक लेल विस्तृत हॉल अछि जतय कृष्ण भक्तसभ एकत्रित होइत अछि। ओरछामे ई स्थान भ्रमणक लेल बहुत श्रेष्ठ अछि।

फूलक बगान सम्पादन करी

बुन्देला राजासभद्वारा बनाएल गेल ई फूलक बगान चारू दिससँ देबालसँ घेरल अछि। पालकी महलक नजदीक स्थित ई बाग बुन्देला राजासभक विश्रामस्थल छल। वर्तमानमे ई पिकनिक स्थलक रूपमे जानल जाइत अछि। फूल बागमे एक भूमिगत महल आ आठ स्तम्भ वाला मंडप अछि। चन्दन कटोरा सँ गिरैत पानि झरना जकाँ प्रतीत होइत अछि।

सुन्दर महल सम्पादन करी

ई महल राजा जुझार सिंह बुन्डेलाक पुत्र धुरभजन बुन्डेला द्वारा बनाओल गेल छल। धुरभजनक मृत्युक बाद ओ एक संतक रूपमे जानल जाइत छल। वर्तमान मे ई महल काफी क्षतिग्रस्त भ चुकल अछि।

रामराजा मन्दिर सम्पादन करी

भगवान श्रीरामक ४०० वर्ष पूर्व ओरछामे राज्याभिषेक भेल छल आ तकर बादसँ आइ धरि एतय भगवान श्रीरामके राजाक रूपमे पूजा कएल जाइत अछि। ई सम्पूर्ण विश्वक एकमात्र एहन मन्दिर अछि जतय भगवान रामके राजाक रूपमे पूजा कएल जाइत अछि। रामराजा के अयोध्या सँ ओरछा आबएबाक एक मनोहारी कथा अछि। [४]

मान्यतासभ सम्पादन करी

किछु लोक कहैत अछि जे बुन्देलखंडमे सभसँ पहिने लोक रहए लागल छल। एही कारण सँ एहि क्षेत्रक प्रत्येक गाम आ शहरक अपन अपन कथा अछि। बुन्देलखण्डक दूटा सुन्दर आ रोचक स्थान अछि ओर्छा आ दातिया। यद्यपि दुनूक बीच किछु किलोमीटरक दूरी अछि, मुदा ई दूनू स्थान इतिहासक धागा सँ बहुत मजबूती सँ जुड़ल अछि। ओरछा झांसी सँ आधा घंटाक दूरी पर अछि। ओरछा निवाड़ी जिलाक मुख्यालय छी।

आवागमन सम्पादन करी

ओरछा झांसी सँ लगभग १८ किलोमीटर दूर अछि आ दिल्ली सँ भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस द्वारा आसानी सँ पहुँचल जा सकैत अछि।

वायुमार्ग सम्पादन करी

ओरछाक निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो अछि जे १६३ किलोमीटर दूर अछि। ई हवाई अड्डा दिल्ली, वाराणसी आ आगरा सं नियमित उड़ान सं जुड़ल अछि।

रेल मार्ग सम्पादन करी

झांसी ओरछाक नजदीक रेलवे मुख्यालय अछि। दिल्ली, ललितपुर, आगरा, भोपाल, मुम्बई, ग्वालियर आदि प्रमुख शहरसँ झांसीक लेल अनेक रेलगाड़ी अछि। ओर्चा तक रेल लाइन अछि जतय पैसेंजर ट्रेन सँ पहुँचल जा सकैत अछि।

सड़क मार्ग सम्पादन करी

ओरछा झांसी-खजुराहो मार्ग पर स्थित अछि। नियमित बस सेवा ओरछा आ झांसी केँ जोड़ैत अछि। दिल्ली, ललितपुर, आगरा, भोपाल, ग्वालियरवाराणसी सँ एहिठाम नियमित बस चलैत अछि।

एहो सभ देखी सम्पादन करी

सन्दर्भ सामग्रीसभ सम्पादन करी

  1. "District Administration Niwari, Government of Madhya Pradesh"जिला प्रशासन निवाड़ी, मध्य प्रदेश शासन। 20 August 2019। अन्तिम पहुँच 11 November 2023
  2. "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293
  3. WD। "वैभवपूर्ण ओरछा"hindi.webdunia.com (हिन्दीमे)। अन्तिम पहुँच 2022-03-29
  4. अयाची, पं राकेश (2014) (hiमे). सम्पूर्ण ओरछा दर्शन एवं ओरछा का इतिहास. ओरछा: अयाची पुस्तकालय. pp. 330. 

बाह्य जडीसभ सम्पादन करी