सभापर्व
महाभारतक द्वितीय पर्व, सभा पर्वक अन्तर्गत कुल १० उपपर्व आ ८१ अध्याय अछि।
उपपर्व
सम्पादन करी- सभाक्रिया पर्व
- लोकपालसभाख्यान पर्व
- राजसूयारम्भ पर्व
- जरासन्धवध पर्व
- दिग्विजय पर्व
- राजसूय पर्व
- अर्घाभिहरण पर्व
- शिशुपालवध पर्व
- द्यूत पर्व
- अनुद्यूत पर्व
अध्याय एवम श्लोक
सम्पादन करी- अध्याय एवम श्लोक संख्या : ७८/२५११
विषय-सूची
सम्पादन करीसभा पर्वमे देवशिल्पी विश्वकर्माद्वारा इन्द्रप्रस्थक निर्माण तथा मय दानवद्वारा युधिष्ठिरक लेल सभाभवनक निर्माण, देवर्षि नारदद्वारा विभिन्न लोकपालसभक सभासभक वर्णन, देवर्षि नारदक कहै पर युधिष्ठिर द्वारा राजसूय करैक संकल्प केनाइ, जरासन्धक कथा तथा ओकर वध, पाण्डवसभक दिग्विजय यात्रा, शिशुपालवध, दुर्योधन तथा शकुनीद्वारा द्युतक्रीडाक आयोजन, युधिष्ठिरक ओ द्यूतमे हार आ पाण्डवसभक वनवास आदि वर्णित अछि।
चित्र दीर्घा
सम्पादन करी-
पाण्ड्व श्रीकृष्णक सङ्ग खाण्डव वनमे माया दानव तथा विश्वकर्माद्वारा निर्मित इन्द्रप्रस्थ नगरकेँ देखैत
-
द्युतक्रीडा तथा द्रोपदी चीर हरण
बाह्य जडीसभ
सम्पादन करी- वेद-पुराण - यहाँ चारों वेद एवं दस से अधिक पुराण हिन्दी अर्थ सहित उपलब्ध हैं। पुराणों को यहाँ सुना भी जा सकता है।
- महर्षि प्रबंधन विश्वविद्यालय सङ्ग्रहित २००८-०४-०८ वेब्याक मेसिन-यहाँ सम्पूर्ण वैदिक साहित्य संस्कृत में उपलब्ध है।
- ज्ञानामृतम् - वेद, अरण्यक, उपनिषद् आदि पर सम्यक जानकारी
- वेद एवं वेदांग - आर्य समाज, जामनगर के जालघर पर सभी वेद एवं उनके भाष्य दिये हुए हैं।
- जिनका उदेश्य है - वेद प्रचार[permanent dead link]
- वेद-विद्या_डॉट_कॉम सङ्ग्रहित २०१०-०५-२१ वेब्याक मेसिन
- Sabha Parva, Translation by Kisari Mohan Ganguli
- Sabha Parva, Translation by Manmatha Nath Dutt
- Le Mahabharata, Translation in French, by H. Fauche (Paris, 1868)
- மஹாபாரதம் தமிழில்.
- English Translation by Kisari Mohan Ganguli, Another archive
- Ganguli, Kisari Mohan (Mar 26, 2005). The Mahabharata of Krishna-Dwaipayana Vyasa, Volume 1 Books 1, 2 and 3. Public domain in the USA. http://www.gutenberg.org/ebooks/15474.
- Sabha Parva in Sanskrit by Vyasadeva and commentary by Nilakantha (Editor: Kinjawadekar, 1929)
- A critical, less corrupted edition of Sabha Parva, Mahabharata in Sanskrit Vishnu S. Sukthankar; A review of this critical edition by T. Burrow