शंकरदेव
श्रीमंत शंकरदेव (असमीया : শ্ৰীমন্ত শংকৰদেৱ) असमीया भाषा के बहुत प्रसिद्ध कवि, नाट्यकार, गायक,नर्तकी, सामाजिक आयोजक, एवं हिन्दू समाज सुधारक थे। नववैष्णव या एकशरण धर्म के प्रचार क असमीया जीवन के संग्रह आ समेकित केलनि।
श्रीमन्त शंकरदेव | |
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जन्म | 26 सितम्बर 1449, बरदौवा, नगाँव, असम, भारत |
मृत्यु | 24 August 1568, Tuesday भेलदोंगा, कूच बिहार, पश्चिम बंगाल |
उपाधि/सम्मान | "महापुरुष" |
खोजकर्ता छी | एकशरण धर्म |
दर्शन | एकशरण |
कहाई | सब चीज के एहन व्यवहार करू जेना ओ स्वयं देवता होथि। ब्राह्मण आ चन्दल के जाति नै पूछू।[२] |
जीवनी
सम्पादन करीश्रीमंत शंकरदेव के जन्म असम के नौगांव जिला के बरदौवा के पास अलीपुखरी में भेल छल। हुनकऽ जन्म तिथि अखनी भी विवादित छै, हालांकि सामान्यतः एकरा १३७१ शाक मानलऽ जाय छै। हुनक जन्मक किछुए दिनक बाद हुनक माता सत्यसंध्याक मृत्यु भ गेलनि। 21 वर्षक उम्र मे सूर्यवती सँ विवाह कयलनि। मनु कन्या के जन्म के बाद सूर्यवती परलोक नारी बनलीह।
32 वर्षक उम्र मे शंकरदेव मोहभंग भ गेलाह आ पहिल यात्रा शुरू केलनि आ उत्तर भारतक सब तीर्थस्थल के भ्रमण केलनि। शंकर के रूपा गोस्वामी आओर सनातन गोस्वामी के संग सेहो इंटरव्यू छलन्हि। तीर्थयात्रा स घुरला के बाद शंकरदेव के विवाह कालिंदी स 54 साल के उम्र में भेल छल। तिरहुतिया ब्राह्मण जगदीश मिश्र बर्दौवा जा कए शंकरदेव केँ भागवत सुनौलनि आ हुनका ई पोथी भेंट केलनि। शंकरदेव जगदीश मिश्र के स्वागत के लेल "महानत" के प्रस्तुति के आयोजन केलनि। एहिसँ पहिने “चिहल्यात्र”क प्रशंसा भेल छल। शंकरदेव 1438 शाका मे भूइयां राज्य छोड़ि अहोम राज्य मे प्रवेश केलनि। संस्कारी विप्रा शंकरदेवक भक्ति उपदेशक घोर विरोध केलनि । ब्राह्मण लोकनि दिहिगिया राजा सँ प्रार्थना केलनि जे शंकर वैदिक विरोधी विचारक प्रचार क' रहल छथि। किछु पूछताछ के बाद राजा हुनका निर्दोष घोषित क देलखिन। हाथीधारा घटनाक बाद शंकरदेव सेहो अहोम राज्य छोड़ि देलनि। 18 साल पटवौसी मे रहला के बाद ओ बहुत रास पोथी लिखलनि। 67 वर्षक उम्र मे ओ बहुत रास पोथी लिखलनि। 97 वर्षक उम्र मे ओ दोसर बेर तीर्थ यात्रा शुरू केलनि। ओ कबीरक मठ मे जा कए श्रद्धांजलि देलथि। एहि यात्राक बाद ओ बारपेटा वापस आबि गेलाह। कोच राजा नारानारायण शंकरदेव के आमंत्रित केलनि। 1490 मे कूच बिहार मे शाका मे वैकुण्ठगमी भेलाह।
शंकरदेवक वैष्णव सम्प्रदायक मान्यता एकटा शरण थिक। एहि धर्म मे मूर्तिपूजाक कोनो प्रधानता नहि अछि। धार्मिक पावनि के समय मंच पर मात्र एकटा पवित्र पुस्तक राखल जाइत अछि आ मात्र ओ भोलापन आ भक्ति के रूप में अर्पित कयल जाइत अछि। एहि सम्प्रदाय मे दीक्षाक कोनो व्यवस्था नहि अछि।
रचनाएँ
सम्पादन करीशंकरदेव द्वारा रचित पहिल कविता निम्नलिखित अछि-
- करतल कमल कमल दल नयन।
- भबदब दहन गहन बन शयन॥
- नपर नपर पर सतरत गमय।
- सभय मभय भय ममहर सततय॥
- खरतर बरशर हत दश बदन।
- खगचर नगधर फनधर शयन॥
- जगदघ मपहर भवभय तरण।
- परपद लय कर कमलज नयन॥
काव्य
सम्पादन करी- हरिश्चन्द्र उपाख्यान
- अजामिल उपाख्यान
- रुक्मिणी हरण काव्य
- बलिछलन
- अमृत मन्थन
- गजेन्द्र उपाख्यान
- कुरुक्षेत्र
- गोपी-उद्धव संवाद
- कृष्ण प्रयाण - पाण्डव निर्वारण
भक्तितत्त्व प्रकाशक ग्रन्थ
सम्पादन करी- भक्ति प्रदीप
- भक्ति रत्नाकर (संस्कृत)
- निमि-नव-सिद्ध संवाद
- अनादि पातन
अनुवादमूलक ग्रन्थ
सम्पादन करी- भागवत प्रथम, द्वितीय
- दशम स्कन्धर आदिछोवा
- द्बादश स्कन्ध
- रामायणर उत्तरकाण्ड
नाटक
सम्पादन करी- पत्नी प्रसाद
- कालिय दमन
- केलि गोपाल
- रुक्मिणी हरण
- पारिजात हरण
- राम विजय
गीतः
सम्पादन करी- बरगीत[३]
- भटिमा (देवभटिमा, नाटभटिमा, राजभटिमा)
- टोटय
- चपय
नाम-प्रसंग ग्रन्थ
सम्पादन करी- कीर्तन घोषा
- गुणमाला
- हरिश्चन्द्र उपाख्यान
- भक्ति प्रदीप
- अनादि पतन
- अजामिल उपाख्यान
- अमृत मन्थन
- बलि छलन
- आदि दशम
- कुरुक्षेत्र
- निमि-नव-सिद्ध संवाद
- उत्तरकाण्ड रामायण (अनुवाद)
- पत्नीप्रसाद, कालिय दमन यात्रा, केलि गोपाल, रुक्मिणी हरण, पारिजात हरण, राम विजय आदि नाटक
- भक्तिरत्नाकर (संस्कृत)
संदर्भ
सम्पादन करी- ↑ This portrait, created by Bishnu Rabha in the 20th-century, is generally accepted as the "official" portrait of Sankardev, whose likeness in pictorial form is not available from any extant form A Staff Reporter (14 October 2003)। "Portrait of a poet as an artist"। The Telegraph। 19 मई 2014 कऽ मूल रूप सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 8 May 2013।
- ↑ "Kirttana Ghosa – Translations"। मूलसँ 28 मार्च 2012 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 27 October 2012।
- ↑ बिपुलज्योति डट इन