वास्तुक, वास्तुविद् या आर्किटेक्ट (Architect) ओ व्यक्ति छी, जे भिन्न-भिन्न भवन आ इमारतसभक व्यापक संकल्पना आ दूरगामी कल्पनायुक्त अभिकल्पना (डिजाइन) सँ सम्बन्धित कला आ विद्यामे दक्ष होए तथा नक्साद्वारा या मापकद्वारा प्रतिरूप बनाए त्रिविमितीय दृश्य वास्तु सम्बन्धी अपन विचार व्यक्त करवाक लेल समर्थ होए आ फेर अपन अभिकल्पित इमारतसभक निर्माण कार्यक यथोचित रूपसँ निरीक्षण करैत होए, अथवा जे उत्कृष्ट कोटिक भवन आ ओकर पर्यावरण तैयार करवाक आस्था रखैत वास्तुकलाक यथोचित रूपमे काममे आनैत होए तथा भवनसभक अभिकल्पन आ ओकर रचनाक निर्देशनकें बड्ड नीकसँ व्यवसाय करैत होए ।[]

वास्तुक काज करैत, सन् १८९३
पेशा
नामसभवास्तुक
व्यवसाय प्रकार
व्यवसाय
गतिविधि क्षेत्रसभ
वास्तुकला
दीवानी इन्जिनियरिङ
निर्माण
परियोजना प्रबन्धन
शहरी नियोजन
आन्तरिक सज्जा
दृश्य कला
विवरण
सक्षमताइन्जिनियरिङ, प्राविधिक ज्ञान, भवन सज्जा, नियोजन आ प्रबन्धन कौशल
आवश्यक शिक्षा
देखी व्यावसायिक आवश्यकतासभ

एकर अतिरिक्त वास्तुकक पवित्र कर्तव्य अछि की ओ भवन निर्माणक काल, स्थान तथा युगक प्रवृत्तिकें चित्रण करै । ओकर समस्त सृजनात्मक क्रियाकलापक फलस्वरूप कीछ नवीन, कीछ असाधारण, कीछ भावनापूर्ण तथा उपयुक्त सृष्टि होइत अछि, जकर विषयमे ओकर अनुमान स्पष्ट आ कल्पनाचातुर्य प्रत्युत्पन्न तथा प्रत्यक्ष होवाक चाही, वास्तुकक उद्यम सँ उत्साह, समृद्धि, न्यूनतम पुनरावृत्तिक सङ्ग अधिकतम सौन्दर्य आ वास्तविक उपयोगिताक सङ्ग स्वरूपक पवित्रता प्रकट होइत अछि । ई नेतृत्वपूर्ण नैष्ठिक सृजनात्मकताक कारण वास्तुककें मूर्तिमान सृष्टाक औचित्यपूर्ण नाम देल जाइत अछि ।

व्यावसायिक आवश्यकतासभ

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सन्दर्भ सामग्रीसभ

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बाह्य जडीसभ

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एहो सभ देखी

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