बराह अवतार
हिन्दू धर्मक अनुसार भगवान विष्णु बराह "बँदेल"क रूप लऽ पृथ्वीके लातसँ मारके समुन्द्रमे डुबाने "हिरण्यक्ष" नाम भेल राक्षसक बध केने छल । जलमे डुबल पृथ्वीके पूर्ववत करै पूथ्वीक उद्दार केने छल ।
हिरण्याक्ष कथा
सम्पादन करीपौराणिक कालमे कश्यप ऋषिक पत्नी दितीके गर्भ रहक ३ वर्षतक नै बच्चा जन्मिएलक । ई देख सब देवतासभ आ ऋषी कश्यप ब्रम्हाजीसग । ब्रह्माजी सब बात सुन अपन योग दृष्टी लगालक। तहि पछा ब्रह्माजी सबके गर्भसँ २टा बालकसभ जन्मिएल तर अनिष्टकार बालकक जन्म भेल बतालक । ई सुन सब चिन्तित भऽ अपन अपन धाममे गेल । कुछ दिन पछा दितीक गर्भसँ हिरण्याक्ष तथा हिरण्यकशेपु नामक दुईटा बालकसभक जन्म भेल । बालक रहे ई दुनु स्वर्ग मर्त्य तिनो लोकमे उप्रदव मचाउन छल । हिरण्याक्ष पैग भेला वाद महाबली असुर भेल । ब्रह्माजीक कठोर तपश्या करै पश्चात ब्रह्माजी हिरण्याक्षके इछ्छा अनुसारक बरदान माग्ने अनुमती देलक। ब्रह्माजीक आज्ञा पावेव हिरण्याक्ष सदा अमर रहब बरदान मागलक । ब्रह्माजी जन्म पछा मरै परैत अछि अमरताक बरदान नै सकब ई बाहेक कुछ अरु बरदान माग पस्ताब राखल्क मुदा हिरण्याक्ष अपन अमरता बाहेक आरो कोनो बर नै मागब ढिट करै लगल । हिरण्याक्ष तपश्याके ध्यानमे राख ब्रह्माजी जनावर बाहेक मनुष्य, देवता, यक्ष, किन्नर, आदी कोनोक हातसँ मृत्यु नै होएत बरदान देलक। हिरण्याक्ष जनावर सामान्य नै होएत कहैत सोच करै ब्रह्माक बरदान स्विकार केलक मुदा जनावर जे माताक कोखसँ पैदा नै भेल जनावर मात्र मारै सकैत अछि बचन राख छोडलक । ब्रह्माक बरदान पाऽ हिरण्याक्ष जता ततै उत्पात मचाउन थालक । एहिना उत्पात मचावैत जनावरसभ एहि पृथ्वीमे अछि ई पृथ्वी नै जलमे डुबा डेलक हम सँदा जिवित रहब मनसाय एक दिन पृथ्वीके लात्तसँ मार पाताल पुर्यादेलक । तब सारा चराचर जगत नै जलमग्न भेल ।ई देख ब्रह्मादी देवतासभ चिन्तित भऽ भगवान बिष्णुक आराधना केलक। ओही समय ब्रह्माजीक नाकसँ भगवान बिष्नु बँदेलरूप लऽ अवतरीत भेल । हुनका हिरण्य असुर मार भुमीके अपन दाँतसँ उठा पूर्ववत केलक। बराह भगवान नै श्राद्ध पद्धती चलाने अछि हिन्दू ग्रन्थमे लेखने अछि ।[१]
सन्दर्भ सामग्रीसभ
सम्पादन करी- ↑ सुब्बा होम नाथ केदारनाथ कृत सुक सागर