Anitakeshri
[केशरवानी १]केशरवानी समाज की संक्षिप्त जानकारी केशरवानी मूल रूप से कश्मीर के निवासी है , केशरवानी समाज के कुलगोत्र भगवान महर्षि कश्यप जी है , भगवान महर्षि कश्यप जी के नाम पर हमारे राज्य का नाम कश्मीर पड़ा , वास्तव में केशरवानी कश्मीरी ब्राह्मण ( पंडित ) है , मुस्लिम आतंक के वजह से अपना सम्मान बचाने के लिए केशरवानी समाज को कश्मीर छोड़ना पड़ा क्योकि केशरवानी समाज कश्मीर में केशर की खेती और व्यापार करते थे , कश्मीर से निकाले जाने या निकलने के बाद केशर की खेती का कार्य खत्म ( बन्द ) हो गया , क्योंकि हमारी जमीन पर दूसरे धर्म के लोगो ने कब्जा कर लिया था , इसलिए हम लोग अपने अनुभव के कारण केशर का व्यापार ( वाड़ी / वानी ) करने लगे , अन्य समाज के लोग केशर के व्यापार के कारण हमें / हमारे समाज को केशरवानी वैश्य समझने लगे , इस प्रकार केशरवानी कश्मीर से निकलकर देश के दूसरे राज्यो में जाने लगे , जो जिस प रिवार से जाता था , उसे एक चिन्ह दिया गया , उस चिन्ह को बान कहते है , समान बान का होना यह दर्शाता है कि भविष्य में हम ( केशरवानी ) एक परिवार के रहे होंगे और इसीलिए समान बान होने पर या एक बान होने पर आज भी केशरवानी परिवार में आपस मे शादी नही होती है , शादी होने के लिए दूसरा बान होना चाहिये , लेकिन हमारे कुलगोत्र सभी केशरवानी परिवार के भगवान महर्षि कश्यप जी ही है । यह हमारी संक्षिप्त पहचान है , विस्तृत वर्णन हमारी किताबो में संग्रहित है । लोग पूछते है कि केशरवानी कौन है / क्या होते है , किस समुदाय के है , बहुत से लोग सर नेम के अन्त में वानी लिखने के कारण सिंधी समझते है , लेकिन न हम सिंधी है , न हमारा सिंध से कोई संबंध है , हम कश्मीरी पंडित ( ब्राह्मण ) है जो समाज मे व्यापार करने के कारण वैश्य समझा जाता है , क्योंकि उस समय कार्य के _ _ अनुसार वर्ण ( जाति ) का निर्धारण होता था , हम व्यापार करते है / थे इसलिए लोग हमें वैश्य समझते है / थे , हमार ा संबंध कश्मीर से है , हम केशरवानी है , हमारे समाज मे कोई सर नेम गुप्ता / केसरी / केशरी / केसरवानी / केशरवानी / साह / चौधरी / आढ़तिया / केशर आदि आदि लिखते है । आज देश / विदेश / समाज मे जो भी केशरवानी है , उन्हें वैश्य के रूप में समाज में लोग जानते हैं / मान्यता मिली हुई हैं , केशरवानी समाज के कुलगोत्र भगवान महर्षि कश्यप जी हैं । - - Badri Vishal Kesharwani
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