प्रकाश-संश्लेषण
सजीव कोशिकासभक द्वारा प्रकाशीय उर्जा के रासायनिक ऊर्जा मे परिवर्तित करै के क्रिया के प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिन्थेसिस) कहैत अछि। प्रकाश संश्लेषण ओ क्रिया छी जाहिसँ गाछ अपन हरियर रङ्ग वाला अङ्ग जेना पत्ती, द्वारा सूर्य के प्रकाश के उपस्थिति मे वायु सँ कार्बनडाईअक्साइड तथा भूमि सँ जल लके जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थसभ जेना कार्बोहाइड्रेट्सक निर्माण करैत अछि तथा आक्सीजन गयास (O2) बाहर निकालैत अछि। प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रिया मे सूर्य के प्रकाश के उपस्थिति मे गाछ के हरीयार पत्तिसभक कोशिकासभ के भितर कार्बन डाइआक्साइड आ पानी के संयोग सँ पहिने साधारण कार्बोहाइड्रेट आ बाद मे जटिल काबोहाइड्रेट के निर्माण होएत अछि। ई प्रक्रिया मे अक्सीजन एवं ऊर्जा सँ भरपूर कार्बोहाइड्रेट (सूक्रोज, ग्लूकोज, स्टार्च (मन्ड) आदि) के निर्माण होएत अछि तथा अक्सीजन ग्यास बाहर निकलैत अछि। जल, कार्बनडाइअक्साइड, सूर्य के प्रकाश तथा क्लोरोफिल (हरितलवक) के प्रकाश संश्लेषण के अवयव कहैत अछि। एहीमे सँ जल तथा कार्बनडाइअक्साइड के प्रकाश संश्लेषण के कच्चा माल कहल जाइत अछि। प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रिया सभसँ महत्वपूर्ण जैवरासायनिक अभिक्रियासभमे सँ एक अछि।[१] सीधा वा परोक्ष रूप सँ दुनिया के सभ सजीव एही पर आश्रित अछि। प्रकाश संश्वेषण करै वाला सजीवसभक स्वपोषी कहैत अछि।[२]
रासायनिक समीकरण
सम्पादन करी- 6 CO2 + 12 H2O + प्रकाश + क्लोरोफिल → C6H12O6 + 6 O2 + 6 H2O + क्लोरोफिल[३]
- कार्बन डाईआक्साइड + पानी + प्रकाश + क्लोरोफिल → ग्लूकोज + अक्सीजन + पानी + क्लोरोफिल
प्रकाश एतय अभिक्रिया मे भाग नै लैत अछि बल्कि ई अभिक्रिया के लेल प्रकाशक उपस्थिति आवश्यक अछि। ई रासायनिक क्रिया मे कार्बनडाइअक्साइड के ६ अणुसभ आ जल के १२ अणुसभ के बीच रासायनिक क्रिया होइत अछि जेकर फलस्वरूप ग्लूकोज के एक अणु, जल के ६ अणु तथा अक्सिजन के ६ अणु उत्पन्न होइत अछि। ई क्रिया मे मुख्य उत्पाद ग्लूकोज होइत अछि तथा अक्सिजन आ जल उप पदार्थ के रूप मे मुक्त होइत अछि। ई प्रतिक्रिया मे उत्पन्न जल कोशिका द्वारा अवशोषित भऽ जाइत अछि आ पुनः जैव-रासायनिक प्रतिक्रियासभमे लग जाइत अछि। मुक्त अक्सिजन वातावरण मे चलल जाइत अछि। ई मुक्त अक्सिजन के स्रोत जल के अणु छी कार्बनडाइअक्साइड के अणु नै। अभिक्रिया मे सूर्य के विकिरण ऊर्जाक रूपान्तरण रासायनिक ऊर्जा मे होइत अछि। जे ग्लूकोज के अणुसभमे सञ्चित भऽ जाइत अछि। प्रकाश-संश्लेषण मे गाछ द्वारा प्रति वर्ष लगभग १00 टेरावाट के सौर्य ऊर्जा के रासायनिक ऊर्जा के रूप मे भोज्य पदार्थ के अणुसभमे बाँधि देनए जाइत अछि।[४][५] ई ऊर्जा के परिमाण पूरा मानव सभ्यता के वार्षिक ऊर्जा खर्च सँ सेहो ७ गुणा अधिक अछि।[६] ई ऊर्जा एतय स्थिति ऊर्जा के रूप मे सञ्चित रहैत अछि। अतः प्रकाश-संश्लेषण केएल क्रिया के ऊर्जा बन्धन के क्रिया सेहो कहैत अछि। ई प्रकार प्रकाश-संश्लेषण करै वाला सजीव लगभग १०,००,००,००,००० टन कार्बन के प्रति वर्ष जैव-पदार्थसभमे बदलि दैत अछि।[७]
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
सम्पादन करीबहुत प्राचीन काल सँ ई ज्ञात अछि कि गाछ अपन पोषण जडि द्वारा प्राप्त करैत अछि। १७७२ मे स्टीफन हेलेस बतौलक् कि गाछ की पत्तिसभ वायु सँ भोजन ग्रहण करैत अछि तथा ई क्रिया मे प्रकाश के किछ महत्वपूर्ण क्रिया छी। प्रीस्टले १७७२ मे पहिने बतौलक् कि ई क्रिया के दौरान उत्पन्न वायु मे मैनबत्ती जलावाल जाए तँ ई जलैत रहैत अछि। मैनबत्ती जलि के पश्चात् उत्पन्न वायु मे यदि अखन एक जीवित चूहा रखल जाए तँ ओ मरि जाइत अछि। ओ १७७५ मे पुनः बतौलक् कि गाछ द्वारा दिन के समय मे निकलल ग्यास अक्सिजन होएत अछि। एकर पश्चात इन्जन हाउस १७७९ मे बतौलक् कि हरियर गाछ सूर्य के प्रकाश मे co2 ग्रहण करैत अछि तथा अक्सिजन निकालैत अछि। डी. सासूर १८०४ मे बतौलक् गाछ दिन आ रात श्वसन मे तँ अक्सिजन ही लैत अछि मुद्दा प्रकाश संश्लेषण के दौरन अक्सिजन मुक्त करैत अछि। अत: अक्सिजन पूरा दिन काम मे आवैत अछि मुद्दा कार्बनडाईअक्साइड सँ अक्सिजन केवल प्रकाश संश्लेषण मे ही बनैत अछि। सास १८८७ मे बतौलक् कि हरियर गाछ के co2 ग्रहण करवाक तथा o2 निकलवाक सँ गाछ मे स्टार्च के निर्माण होइत अछि।
महत्व
सम्पादन करीहरियर गाछ मे होए वाला प्रकाश संश्लेषण के क्रिया गाछ एवं अन्य जीवित प्राणीसभक लेल एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्रिया छी। ई क्रिया मे गाछ सूर्य के प्रकाशीय उर्जा के रासायनिक उर्जा मे परिवर्तित करि दैत अछि तथा CO2 पानी जेहन साधारण पदार्थसभ सँ जटिल कार्बन यौगिक कार्बोहाइड्रेट्स बनि जाइत अछि। ई कार्बोहाइड्रेट्स द्वारा ही मनुष्य एवं जीवित प्राणीसभ के भोजन प्राप्त होइत अछि। ई प्रकार गाछ प्रकाश संश्लेषण के क्रिया द्वारा सम्पूर्ण प्राणी जगत के लेल भोजन-व्यवस्था करैत अछि। कार्बोहाइड्रेट्स प्रोटीन एवं भिटामिन आदि के प्राप्त करै के लेल विभिन्न फसलसभ उगाएल जाइत अछि तथा ई सभ पदार्थसभक निर्माण प्रकाश संश्लेशण द्वारा ही होइत अछि। रबड, प्लास्टिक, तेल, सेल्यूलोज एवं अनेकौं औषधीसभ सेहो गाछ मे प्रकाश संश्लेषण क्रिया मे उत्पन्न होइत अछि। हरियर वृक्ष प्रकाश संश्लेषण के क्रिया मे कार्बन डाईअक्साइड के लैत अछि आ अक्सीजन के निकलैत अछि, एही प्रकार वातावरण के शुद्ध करैत अछि। अक्सिजन सभ जन्तुसभ के साँस लेए के लेल अति आवश्यक अछि। पर्यावरण के संरक्षण के लेल सेहो ई क्रिया के बहुत महत्व अछि।[८][९] मत्स्य-पालन के लेल सेहो प्रकाश संश्लेषण के बहुत महत्व अछि। जखन प्रकाश संश्लेषण के क्रिया अस्थिर भऽ जाइत अछि तँ जल मे कार्बनडाईअक्साइड के मात्रा बढि जाइत अछि। एकर ५ सी.सी. प्रतिलिटर सँ अधिक होनाए मत्स्य पालन हेतु हानिकारक अछि।[१०] प्रकाश संश्लेषण जैव ईन्धन बनावे मे सेहो सहायक होइत अछि। एकर द्वारा गाछ सौर ऊर्जा द्वारा जैव ईन्धन के उत्पादन सेहो करैत अछि। ई जैव ईन्धन विभिन्न प्रक्रिया सँ गुजरैत विविध ऊर्जा स्रोतसभक उत्पादन करैत अछि। उदाहरण के लेल पशुसभ के चारा, जेकर बदला हमरासभ के गोबर प्राप्त होइत अछि, कृषि अवशेष के द्वारा खाना पकानाए आदि।[११] मनुष्य के अतिरिक्त अन्य जीव जन्तुसभमे सेहो प्रकाश-संश्लेषण के बहुत महत्व अछि। मानव अपन छाला मे प्रकाश के द्वारा भिटामिन डी के संश्लेषण करैत अछि। भिटामिन डी एक वसा मे घुलनशील रसायन छी, एकर संश्लेषण मे पराबैगनी किरणसभ के प्रयोग होइत अछि। किछ समुद्री घोघे अपन आहार के माध्यम सँ शैवाल आदि गाछ के ग्रहण करैत अछि तथा एहीमे मौजूद क्लोरोप्लास्ट के प्रयोग प्रकाश-संश्लेषण के लेल करैत अछि।[१२] प्रकाश-संश्लेषण एवं श्वसन के क्रियासभ एक दोसर के पूरक एवं विपरीत होइत अछि। प्रकाश-संश्लेषण मे कार्बनडाइअक्साइड आ जल के बीच रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप ग्लूकोज के निर्माण होइत अछि तथा अक्सिजन मुक्त होइत अछि। श्वसन मे एकर विपरीत ग्लूकोज के अक्सिकरण के फलस्वरूप जल तथा कार्बनडाइअक्साइड बनैत अछि। प्रकाश-संश्लेषण एक रचनात्मक क्रिया छी एकर फलस्वरूप सजीव के शुष्क भार मे वृद्धि होइत अछि। श्वसन एक नासात्मक क्रिया अछि, ई क्रिया के फलस्वरूप सजीव के शुष्क भार मे कमी आवैत अछि। प्रकाश-संश्लेषण मे सौर्य ऊर्जा के प्रयोग सँ भोजन बनैत अछि, विकिरण ऊर्जा के रूपान्तरण रासायनिक ऊर्जा मे होइत अछि। जखन श्वसन मे भोजन के अक्सीकरण सँ ऊर्जा मुक्त होइत अछि, भोजन मे सञ्चित रासायनिक ऊर्जा के प्रयोग सजीव अपन विभिन्न कार्यसभ मे करैत अछि। एही प्रकार ई दुनु क्रियासभ अपन कच्चा माल के लेल एक दोसर के अन्त पदार्थसभ पर निर्भर रहैत एक दोसर के पूरक होइत अछि।
क्रिया विधि : विभिन्न मत
सम्पादन करीप्रकाश संश्लेषण के क्रिया केवल हरियर गाछ सँ होइत अछि आ समीकरण अत्यन्त साधारण अछि। फेर सेहो ई एक विवादग्रस्त प्रश्न अछि कि केहन प्रकार CO2 एवं पानी जेहन सरल पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट्स जेहन जटिल पदार्थसभक निर्माण करैत अछि। समय-समय पर विभिन्न पादप कार्यिकी विशेषज्ञसभ ई क्रिया के समझि के लेल विभिन्न मत प्रकट कएल गेल अछि। एहीमे बयर, भिल्सटेटर तथा स्टाल तथा आरनोन के मत प्रमुख अछि। बयर, भिल्सटेटर तथा स्टाल के मतसभक केवल ऐतिहासिक महत्व अछि। ई सभ के बाद के परीक्षणसभमे सही नै पावल गेल। १९६७ मे आरनोन बतौलक् कि क्लोरोप्लास्ट मे पावल गेल जाए वाला प्रोटीन फ्यारोरोडोक्सिन प्रकाश संश्लेषण केलक क्रिया मे मुख्य कार्य करैत अछि। आधुनिक युग मे सभ वैज्ञानिकसभ द्वारा ई मान्य अछि कि प्रकाश संश्लेषण मे स्वतन्त्र अक्सिजन पानी सँ आवैत अछि। आधुनिक समय मे अनेक प्रयोगसभ के आधार पर ई सिद्ध भऽ चुकल अछि कि प्रकाश संश्लेषण के क्रिया निम्न दुई चरणसभमे सम्पन्न होइत अछि। पहिल चरण मे प्रकाश प्रक्रिया अथवा हिल प्रक्रिया अथवा फोटोकेमिकल प्रक्रिया। आ दोसर चरण मे अन्धेरी प्रक्रिया अथवा ब्लेकम्यान प्रक्रिया वा प्रकाशहीन प्रक्रिया। प्रकाश संश्लेषण के क्रिया मे दुनु प्रक्रियासभ एक दोसर के पश्चात होइत अछि। प्रकाश प्रक्रिया अन्धेरी प्रक्रिया के उपेक्षा अधिक तेजी सँ होइत अछि।
प्रकाश-संश्लेषण के क्रिया गाछ के सभ क्लोरोप्लास्ट युक्त कोशिकासभ मे होइत अछि। अर्थात गाछ के समस्त हरियर भागसभ मे होइत अछि। ई क्रिया विशेषतः पत्तिसभ के मीसोफिल ऊतक मे होइत अछि किया कि पत्तिसभ के मीसोफिल उतक के पेरेन्काइमे कोशिकासभ मे अन्य कोशिकासभ के उपेक्षा क्लोरोप्लास्ट के मात्रा अधिक होइत अछि।
प्रकाश प्रक्रिया, हिल प्रक्रिया अथवा फोटोकेमिकल प्रक्रिया
सम्पादन करी प्रकाश संश्लेषण के क्रिया मे जे प्रक्रिया प्रकाश के उपस्थिति मे होइत अछि ओकरा प्रकाश क्रिया के अन्तर्गत अध्ययन कएल जाइत अछि। ई क्रिया के हिल आदि अन्य वैज्ञानिकसभ द्वारा अध्ययन कएल गेल। प्रकाश प्रक्रियासभ के समय अन्धेरी प्रक्रियासभ सीमाबद्ध कारक के कार्य करैत अछि। प्रकाश प्रक्रियासभ दुई चरणसभ मे होइत अछि, फोटोलाइसिस एवं हाइड्रोजन के स्थापन। फोटोलाइसिस के प्रक्रिया मे प्रकाश क्लोरोफिल के अणु द्वारा फोटोन के रूप मे अवशोषित कएल जाइत अछि। जखन क्लोरोफिल के अणु एक क्वान्टम प्रकाश शोषित करि लैत अछि ओकर पश्चात् क्लोरोफिल के दूसरा अणु तखन धरि प्रकाश शोषित नै करैत अछि जखन धरि कि पहिल ऊर्जा प्रकाश संश्लेषण के क्रिया मे प्रयोग नै भऽ जाइत अछि। क्लोरोफिल द्वारा ई प्रकार शोषित प्रकाश के फोटोन उच्च ऊर्जा स्तर पर एक इलेक्ट्रान निकालैत अछि तथा ई शक्ति फास्फेट के तेसर बाँड पर स्थित भऽ उच्च ऊर्जा वाला एडिनोसाइन ट्राइफास्फेट के रूप मे प्रकट होइत अछि। ई प्रकार क्लोरोपिल प्रकाश के उपस्थिति मे एटीपी उत्पन्न करैत अछि तथा ई प्रक्रिया के फोस्फोराइलेशन कहैत अछि। ई प्रकार सूर्य के प्रकाश के ऊर्जा एटीपी अर्थात् रासायनिक ऊर्जा मे परिवर्तित भऽ जाइत अछि। ई प्रकार क्लोरोफिल अणु मे निर्मित एटीपी क्लोरोफिल अणु सँ पृथक भऽ CO2 के शर्करा मे अनाक्सीकृत होए आदि अनेक रासायनिक क्रियासभ मे सहायक अछि। क्लोरोफिल ई एटीपी के स्वतन्त्र करै पर फेर अक्रिय भऽ जाइत अछि। वान नील फ्रैङ्क, विशनिक के अनुसार पानी जखन ई क्रियाशील क्लोरोफिल के सम्पर्क मे आवैत अछि तखन पानी अनाक्सीकृत H तथा तेज अक्सीकारक OH मे विच्छेदित भऽ जाइत अछि।
क्लोरोफिल + प्रकाश → सक्रिय क्लोरोफिल
H2O + सक्रिय क्लोरोफिल → H+ + OH-
ई फोटोलाइसिस प्रक्रिया मे O2 पानी सँ स्वतन्त्र भऽ जाइत अछि तथा हाइड्रोजन सेहो हाइड्रोजन ग्राहक पर चलि जाइत अछि।
2H2O + 2A → 2AH2 + O2
एही प्रकार गाछ के प्रकाश-संश्लेषण के क्रियासभ सँ निकलि समस्त अक्सिजन जल सँ प्राप्त होइत अछि। हिल, रूबेन एकर समर्थन केलक तथा O18 के प्रयोग करि के एकर सिद्ध केलक। पानी सँ अक्सिजन निकलि के क्लोरील्ला नामक शैवाल मे CO2 के अनुपस्थिति मे देखाएल गेल। एकर अर्थ भेल कि CO2 के अनुपस्थिति मे अक्सिजन के उत्पादन भऽ सकैत अछि, मुद्दा एहीमे हाइड्रोजन ग्राहक होनाए चाहि। एहन देखल गेल अछि कि गाछ मे एनएडीपी (NADP) दुइ NADPH2 बनावैत अछि।
2H2O+2NADP=2NADPH2+O2
सन्दर्भ सामग्रीसभ
सम्पादन करी- ↑ D.A. Bryant & N.-U. Frigaard (2006)। "Prokaryotic photosynthesis and phototrophy illuminated"। Trends Microbiol.। 14 (11): 488। doi:10.1016/j.tim.2006.09.001।
{{cite journal}}
: Unknown parameter|month=
ignored (help) - ↑ राय, रामाज्ञा (मार्च १९९१). सुगम जीवन विज्ञान. कोलकाता: आर के प्रकाशन. प॰ १-४०.
- ↑ यादव, नारायण, रामनन्दन, विजय (मार्च २००३). अभिनव जीवन विज्ञान. कोलकाता: निर्मल प्रकाशन. प॰ १-४०.
- ↑ Nealson KH, Conrad PG (1999)। "Life: past, present and future"। Philos. Trans. R. Soc. Lond., B, Biol. Sci.। 354 (1392): 1923–39। doi:10.1098/rstb.1999.0532। PMC 1692713। PMID 10670014।
{{cite journal}}
: Unknown parameter|month=
ignored (help) - ↑ Nealson KH, Conrad PG (1999)। "Life: past, present and future"। Philos. Trans. R. Soc. Lond., B, Biol. Sci.। 354 (1392): 1923–39। doi:10.1098/rstb.1999.0532। PMC 1692713। PMID 10670014।
{{cite journal}}
: Unknown parameter|month=
ignored (help) - ↑ "World Consumption of Primary Energy by Energy Type and Selected Country Groups, 1980-2004"। Energy Information Administration। July 31, 2006। मूल (XLS)सँ November 11, 2004 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच February 12, 2018।
{{cite web}}
: Unknown parameter|access date=
ignored (|access-date=
suggested) (help); Unknown parameter|dead-url=
ignored (|url-status=
suggested) (help) - ↑ Field CB, Behrenfeld MJ, Randerson JT, Falkowski P (1998)। "Primary production of the biosphere: integrating terrestrial and oceanic components"। Science (journal)। 281 (5374): 237–40। doi:10.1126/science.281.5374.237। PMID 9657713।
{{cite journal}}
: Unknown parameter|month=
ignored (help)CS1 maint: multiple names: authors list (link) - ↑ "आवश्यक है पर्यावरण संरक्षण"। हिन्दी मिलाप। मूल (एचटीएमएल)सँ 2009-05-15 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2018-02-12।
{{cite web}}
: Unknown parameter|accessmonthday=
ignored (help); Unknown parameter|accessyear=
ignored (|access-date=
suggested) (help); Unknown parameter|dead-url=
ignored (|url-status=
suggested) (help) - ↑ "आधुनिक जीवन और पर्यावरण"। भारतीय साहित्य संग्रह। मूल (पीएचपी)सँ 2010-06-13 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2018-02-12।
{{cite web}}
: Unknown parameter|accessmonthday=
ignored (help); Unknown parameter|accessyear=
ignored (|access-date=
suggested) (help); Unknown parameter|dead-url=
ignored (|url-status=
suggested) (help) - ↑ "मत्स्य पालन सम्बंधी जानकारी: भौतिक, रासायनिक एवं जैविक घटक"। मत्स्य पालन विभाग, उत्तराखण्ड। मूल (एचटीएमएल)सँ 2016-03-04 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2018-02-12।
{{cite web}}
: Unknown parameter|accessmonthday=
ignored (help); Unknown parameter|accessyear=
ignored (|access-date=
suggested) (help); Unknown parameter|dead-url=
ignored (|url-status=
suggested) (help) - ↑ "जैव ईंधन"। भारत विकास प्रवेशद्वार।
{{cite web}}
: Unknown parameter|accessmonthday=
ignored (help); Unknown parameter|accessyear=
ignored (|access-date=
suggested) (help) - ↑ Muscatine L, Greene RW (1973)। "Chloroplasts and algae as symbionts in molluscs"। Int. Rev. Cytol.। 36: 137–69। PMID 4587388।