पञ्चकोशी दैलेख जिलाकs एक पवित्र तीर्थस्थल छी। इ क्षेत्रमs नित्य प्रज्वलित ज्वालासभ भेलासं इ तिर्थस्थलकs ज्वाला क्षेत्रक नामसं चिन्हल जाइत अछि ।

"वाराणस्याः प्रयागश्च मायापुर्याः विशेषतः ।
इदं क्षेत्रं महापुण्यं कलौ कल्मषनाशनम् ॥

अथवा वाराणसी, प्रयाग, मायापुरी (हरिद्वार)सं विशेष करि इ ज्वालाक्षेत्र महापुण्यदायक आ इ कलि युगमs पाप नाशक सहो छै से मान्यता अछि।" []
पादुका, नाभीस्थान, कोटीला, श्रीस्थानधुलेश्वरकs पाँच थान पंचकोशीक नाम देल गेल अछि। पंचकोशीक उत्पन्न बारे कोनो ठोस प्रमाण नै भेटलकs बाधो बहुतो किम्ब्दनतीसभ इ प्रकारक होइत अछि।

  1. पौराणिक कालमs दैत्यसभ द्वारा त्रिलोकमे अन्याय आ अत्याचार करs लाग्ला पs ध्यानम बसल भगवान शिवकs जगाबक लेल देवतासभ द्वारा कामदेवकs पठाओल गेल छल। अपन ध्यान भङ होइत देखि भगवान शिव क्रोधमे आबि ध्यान मग्न शिव आपन तेसर नेत्र खोलि नेत्रसं निकलल अग्नी ज्वालासं कामदेवकs भस्म करि देलक। इ देखs भगवान शिवकs पश्चाताप भेल आ अपन ज्वालासभकs एकत्रित करि फेकि देल्खनि।[]

हरिशंकरी यात्रा

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सन्दर्भ सामग्रीसभ

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  1. वैश्वानर पुराण
  2. वैश्वानर पुराण

एहो सभ देखी

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