कुप्पाली वी गौड़ा पुटप्पा
कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा (कन्नड: ಕುಪ್ಪಳ್ಳಿ ವೆಂಕಟಪ್ಪಗೌಡ ಪುಟ್ಟಪ್ಪ) (२९ दिसम्बर १९०४ - ११ नवम्बर १९९४)[१] एक कन्नड़ लेखक एवं कवि छल, जेकरा २०अम शताब्दी के महानतम कन्नड़ कवि क उपाधि देल गेल अछी। ओ कन्नड़ भाषा मे ज्ञानपीठ सम्मान पावै वाला सात व्यक्तिसभ मे प्रथम छल।[२] पुटप्पा सभ साहित्यिक कार्य उपनाम 'कुवेम्पु' से केने अछी। उनका साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र मे सन १९५८ मे पद्म भूषण से सम्मानित कएल गेल छल।
के.वी.पुटप्पा ಕೆ.ವಿ. ಪುಟ್ಟಪ್ಪ | |
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जन्म | कुपल्ली, तीर्थहल्ली ताल्लुक, शिवमोगा जिला, कर्नाटक | २९ दिसम्बर १९०४
मृत्यु | ११ नवम्बर १९९४ मैसूर, कर्नाटक | (८९ वर्ष)
उपनाम | कुवेम्पू |
व्यवसाय | लेखक, प्राध्यापक |
राष्ट्रीयता | भारत |
शैली | फिक्शन |
साहित्यिक आन्दोलन | नवोदय |
प्रभावित किया
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आधिकारिक जालस्थल |
कृतिसभ
सम्पादन करीright|thumb|300px|कुवेंपु क पैतृक घर
काव्य
सम्पादन करी- अमलन कथॆ (शिशुसाहित्य) (१९२४)
- बॊम्मनहळ्ळिय किंदरिजोगि (शिशुसाहित्य) (१९२६)
- हाळूरु (१९२६)
- कॊळलु (१९३०)
- पांचजन्य (१९३३)
- कलासुंदरि (१९३४)
- नविलु (१९३४)
- चित्रांगदा (१९३६) (खंडकाव्य)
- कथन कवनगळु (१९३६)
- कोगिलॆ मत्तु सोवियट् रष्या (१९४४)
- कृत्तिकॆ (१९४६)
- अग्निहंस (१९४६)
- पक्षिकाशि (१९४६)
- किंकिणि (१९४६)
- प्रेमकाश्मीर (१९४६)
- षोडशि (१९४७)
- नन्न मनॆ (१९४७)
- जेनागुव (१९५२)
- चंद्रमंचकॆ बा, चकोरि! (१९५४)
- इक्षु गंगोत्रि (१९५७)
- अनिकेतन (१९६३)
- अनुत्तरा (१९६३)
- मंत्राक्षतॆ (१९६६)
- कदरडकॆ (१९६७)
- प्रेतक्यू (१९६७)
- कुटीचक (१९६७)
- हॊन्न हॊत्तारॆ (१९७६)
- समुद्रलंघन (१९८१)
- कॊनॆय तॆनॆ मत्तु विश्वमानव गीतॆ (१९८१)
- मरिविज्ञानि (१९४७) (शिशुसाहित्य)
- मेघपुर (१९४७) (शिशुसाहित्य)
- श्री रामायण दर्शन० (१९४९) (महाकाव्य)
अंग्रेजी काव्यसंकलन
- बिगिनर्'स् म्यूस् (१९२२)
- अलियन् हार्प् (१९७३)
नाटक
सम्पादन करी- मोडण्णन तम्म (१९२६)(मक्कळ नाटक)
- जलगार (१९२८)
- यमन सोलु (१९२८)
- नन्न गोपाल (१९३०) (मक्कळ नाटक)
- बिरुगाळि (१९३०)
- स्मशान कुरुक्षेत्र (१९३१)
- महारात्रि (१९३१)
- वाल्मीकिय भाग्य (१९३१)
- रक्ताक्षि (१९३२)
- शूद्र तपस्वि (१९४४)
- बॆरळ्गॆ कॊरळ् (१९४७)
- बलिदान (१९४८)
- चंद्रहास (१९६३)
- कानीन (१९७४)
उपन्यास
सम्पादन करी- कानूरु सुब्बम्म हॆग्गडति (१९३६)
- मलॆगळल्लि मदुमगळु (१९६७)
कथा संकलन
सम्पादन करी- संन्यासि मत्तु इतर कथॆगळु (१९३६)
- नन्न देवरु मत्तु इतरॆ कथॆगळु (१९४०)
ललित प्रबंध
सम्पादन करी- मलॆनाडिन चित्रगळु (१९३३)
गद्य/विचार/विमर्श/प्रबंध
सम्पादन करी- आत्मश्रीगागि निरंकुशमतिगळागि (१९४४)
- साहित्य प्रचार (१९४४)
- काव्य विहार (१९४७)
- तपोनंदन (१९५०)
- विभूति पूजॆ (१९५३)
- द्रौपदिय श्रीमुडि १९६०)
- रसोवैसः (१९६२)
- षष्ठि नमन (१९६४)
- इत्यादि (१९७०)
- मनुजमत-विश्वपथ (१९७१)
- विचार क्रांतिगॆ आह्वान (१९७४)
- जनताप्रज्ञॆ मत्तु वैचारिक जागृति (१९७८)
भाषण
सम्पादन करी- श्री कुवॆंपु भाषणगळु भाग १ (१९६६)
- श्री कुवॆंपु भाषणगळु भाग २ (१९७६)
आत्मकथा
सम्पादन करी- नॆनपिन दोणियल्लि
जीवन चरित्र
सम्पादन करी- श्री रामकृष्ण परमहंस (१९३४)
- स्वामि विवेकानंद (१९३४)
रामकृष्ण-विवेकानंद साहित्य
सम्पादन करी- विवेकवाणि (१९३३)
- गुरुविनॊडनॆ देवरडिगॆ (१९५४)
वेदांत साहित्य
सम्पादन करी- ऋषिवाणि (१९३४)
- वेदांत (१९३४)
- मंत्र मांगल्य (१९६६)
अन्य
सम्पादन करी- जनप्रिय वाल्मीकि रामायण (१९५०)
- प्रसारांग (१९५९)
प्रशस्ति एवं पुरस्कार
सम्पादन करी- केंद्र साहित्य अकाडॆमि प्रशस्ति - (श्रीरामायण दर्शनं) (१९५५)
- पद्मभूषण (१९५८)
- मैसूरु विश्वविद्यानिलयदिंद गौरव डि.लिट्.
- 'राष्ट्रकवि' पुरस्कार (१९६४)
- कर्नाटक विश्वविद्यालयदिंद गौरव डि.लिट्. (१९६६)
- ज्ञानपीठ प्रशस्ति (श्री रामायण दर्शनं) (१९६८)
- बॆंगळूरु विश्वविद्यालयदिंद गौरव डि.लिट्. (१९६९)
- पद्मविभूषण (१९८९)
- कर्नाटक रत्न (१९९२)
- पंप प्रशस्ति(१९८८)
एहो सभ देखी
सम्पादन करीसन्दर्भ सामग्रीसभ
सम्पादन करी- ↑ "The Gentle Radiance of a Luminous Lamp"। Ramakrishna Math। मूलसँ 2006-08-22 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2006-10-31।
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suggested) (help) - ↑ "Jnanapeeth Awards"। Ekavi। अन्तिम पहुँच 2006-10-31।