आल्हा आओर ऊदल दू भाई छलाह। जे बुन्देलखण्ड (महोबा)के वीर योद्धा छलाह। हिनकर वीरताक खिस्सा अइयो उत्तर-भारतके गाँव-गाँवमें गायल जायत अछि। जगनिक  आल्ह-खण्ड नामक एगो काव्यक रचना केने छलाह ओहिमे ई वीर सबहक गाथा वर्णित अछि।[१]

आल्हा-ऊदल में से एक भाई ऊदल का चित्र

पं० ललिता प्रसाद मिश्र अपने ग्रन्थ आल्हखण्डक भूमिकामें आल्हाके युधिष्ठिर आओर ऊदलके भीमक साक्षात अवतार बतबैत छथि, लिखने छथि - "ई दुनु वीर अवतारी हुअके कारण अतुल पराक्रमी छलाह। जे प्राय: १२वीं विक्रमीय शताब्दीमें जन्म लेने छलाह आओर १३वीं शताब्दीके पुर्वार्द्ध तक अमानुषी पराक्रम देखबैत वीरगतिके प्राप्त केने छलाह।हएन प्रचलित अछि की ऊदल के पृथ्वीराज चौहान द्वारा हत्याके बाद आल्हा  संन्यास ल लेने छल आओर जे आई तक अमर अछि आओर गुरु गोरखनाथके आदेश सँ आल्हा  पृथ्वीराजके जीवनदान द देने  छल ,पृथ्वीराज चौहानके परम मित्र संजम  सेहो महोबाक अहिं लड़ाईमें आल्हा उदलके सेनापति बलभद्र तिवारी जे कान्यकुब्ज आओर कश्यप गोत्रके छलाह हुनका द्वारा मारल गेल  छलाह l ओ शताब्दी वीर सबहक सदी कहल जा सकैत अछि आओर ओही समय के अलौकिक वीरगाथा सब के तखन  सँ  गाबैत हम  सब चलैत आबि रहल छी। अइयो कायर तक हुनका (आल्हा) सुनि क' जोशमें भरि अनेक तरहक साहसके काज क' दैत अछि यूरोपीय महायुद्धमें सैनिक सबहकके रणमत्त कर'के लेल ब्रिटिश गवर्नमेण्टके सेहो अहिं (आल्हखण्ड) के मदति लिअ परैत छल।"[२]

सन्दर्भ सम्पादन करी

  1. मिश्र, पं० ललिता प्रसाद (2007). आल्हखण्ड (15 संस्करण). पोस्ट बॉक्स 85 लखनऊ 226001: तेजकुमार बुक डिपो (प्रा०) लि०. प॰ 1-11 (महोबे का इतिहास). 
  2. मिश्र, पं० ललिता प्रसाद (2007). आल्हखण्ड (15 संस्करण). पोस्ट बॉक्स 85 लखनऊ 226001: तेजकुमार बुक डिपो (प्रा०) लि०. प॰ 1 (भूमिका).