विद्यापति

विद्यापति (१३५२-१४४८) मैथिल कवि कोकिल कऽ नाम सँ सेहो जानल जाएवाला मैथिली साहित्यक आदि कवि आ संस्कृतक लेखक छल। हुनका भारतीय साहित्यक 'शृङ्गार-परम्परा' कऽ सङ्ग-सङ्गे 'भक्ति-परम्परा' कऽ सेहो प्रमुख स्तम्भसभमे सँ एक आ मैथिली भाषाक सर्वोपरि कवि कऽ रूपमे जानल जाएत अछि। हिनकर काव्यसभमे मध्यकालीन मैथिली भाषाक स्वरूप कऽ दर्शन कएल जा सकैत अछि। हिनका वैष्णव, शैवशाक्त भक्ति कऽ सेतु कऽ रूपमे सेहो स्वीकार कएल गेल अछि। मिथिलाक लोकसभकें 'देसिल बयना सब जन मिट्ठा' कऽ शुत्र दऽ ओ उत्तरी-बिहारमे लोकभाषाक जनचेतनाकें जीवित करवाक महान प्रयास केनए छल। विद्यापतिद्वारा रचित कवितासभ मैथिली भाषाक मात्रे साहित्यिक प्रेरणा नई देलक अपितु हिन्दुस्तानी भाषा, बङ्गाली, नेवारी आ कम सम नेपाली भाषाक सेहो साहित्यिक प्रेरणा देनए छल। (पूरा लेख...)