आकृति:मुख्य लेख/मार्च, २०१८
होली हिन्दू संस्कृतिमे हरेक वर्षक फागुन शुक्ल पूर्णिमा अर्थात होली पूर्णिमाक दिन मनाएल जाइत अछि । ई पावनि नेपाल, भारत तथा अन्य राष्ट्रसभमे बैसैवला हिन्दूसभक एकटा महत्वपूर्ण पावनि छी । ई पावनि वसन्त ऋतुक फागुन मासमे मनाएल जाइत अछि । होलीमे नेपाली समुदायमे फागु पूर्णिमा आ मिथिलामे फगुवाक नामसँ सेहो जानल जाइत अछि । होली रङ्गक पावनि छी । होलीक दिन सम्पूर्ण हिन्दूधर्मावलम्बी एक दोसरके विभिन्न प्रकार सँ रङ्ग आ अबीर लगबैत अछि । मिठाई आ पकवान ग्रहण करबैत अछि । होली पावनि मनेवाक पाछा एकटा आओर कारण इतिहास छी । एकटा जनविश्वास अछि जे होलीक दिन पुरान कटुता समाप्त कए आ दुश्मनी सेहो बिसैर लोकसभ एक-दोसर सँ भेंट करैत अछि ।
होली पावनि घरपरिवार-साथीभाई आपसमे रङ्ग लगाए उल्लासपूर्वक फागुन पूणिर्माक अवसरमे पहाड़सँ, तराई आर गाम आ शहरधरि बच्चा, युवा, युवती तथा प्रौढसभक हूल तथा जत्थासभ हातमे रङ्ग आ रङ्गीन घोल पदार्थ लऽ गीत गावैत, बजावैत, मनोरञ्जन होहल्ला करैत आपसी रिसराग छोड़िक उत्साह आ उमङ्गक साथ मनबैत अछि ।(पूरा लेख...)