अधिकार
अधिकार, कोनो वस्तुकें प्राप्त करै या कोनो कार्यकें सम्पादित करैक लेल उपलब्ध करायल गेल कोनो व्यक्तिक कानूनसम्मत या सम्विदासम्मत सुविधा, दावा या विशेषाधिकार छी । कानूनद्वारा प्रदत्त सुविधासभ अधिकारसभक रक्षा करैत अछि । दुनुक अस्तित्व एक-दोसरकें बिना समभव नै अछि । जतय कानून अधिकारसभक मान्यता देत अछि ओतय एकरा लागू करनाए या एकर अवहेलनापर नियन्त्रण स्थापित करैक व्यवस्था सेहो करैत अछि ।
अधिकारक अवधारणा आया ओकर विकास
सम्पादन करीराजनीतिक आ संवैधानिक दृष्टिसँ अधिकार मानव इतिहाससँ समान शाश्वत अछि । प्राचीन कालमे परिवार आ सम्पत्तिपर मातृसत्ताक समाजमे माताक तथा पितृसत्ताक समाजमे पिताक अधिकार होइत छल । राजतन्त्रके विकासक साथ राजा दैवी अधिकारकें सिद्धान्तसभक सहायतासँ प्रजासँ प्रजाक समस्त अधिकारसभसँ निरस्त करि राष्ट्र विशेषमे सम्प्रभु बनि जाए लागल ।