सावित्री व्रत या सावित्री अमावस्या एकटा व्रतक दिन छी, जे सावित्री के पुण्य कर्मकें स्मरण कराबै छै, जे अपनऽ पति सत्यवान के मृत्यु के देवता (यम) सँ बचाबै छलै। ज्येष्ठ मासक अमवसियाक दिन होइत अछि। विवाहित हिन्दू महिला अपन पति के दिर्घायु के लेल, स्वस्थ जीवन के सदैव बनल रहे ओहि के लेल व्रत रखैत छथि, ई भारत के ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश आ नेपाल राज्यमे मनाओल जाइत अछि |

सावित्री व्रत
सावित्री व्रत
सावित्री सत्यवानकें जीवनक लेल यमसँ भिख मंगैत्
अन्य नामसावित्री व्रत
समुदायबिहार, नेपाल, ओडिशाउत्तर प्रदेशक विवाहित हिन्दू महिलासभ
तिथिजेष्ठ अमवसिया
२०२३ मे१९ मई
२०२४ मेdate missing (please add)
समबन्धसावित्री आ सत्यवान

महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, कर्नाटक सहित अन्य क्षेत्र मे जेष्ठक पूर्णिमा वट पूर्णिमा पर सेहो एही पावनि मनाओल जाइत अछि |

व्रत के पाछुकें किम्वदन्ती

सम्पादन करी

सावित्रीक कथा हिन्दू महाकाव्य महाभारत मे उल्लेखित अछि | राजा अश्वपति के सुन्दर पुत्री सावित्री के नाम पर एहि व्रत के नामकरण भेल छल | ओ सत्यवान के अपन जीवनसाथी के रूप मे चुनलनि, जे निर्वासित राजकुमार छलाह जे अपन आन्हर पिता द्युमात्सेन के संग जंगल मे रहैत छलाह | विवाह सँ पहिने हुनका भविष्यवाणी कयल गेल छलनि जे सत्यवान मात्र एक साल जीबैत रहताह - यद्यपि, एहि सँ हुनकर निर्णय नई रुकलनि | एक सालक बाद सत्यवान सावित्रीक संग लकड़ी काटयके लेल जंगल गेलाह, मुदा बेहोश भ' क' खसि पड़लाह आ मरि गेलाह. मृत्यु के देव यम सत्यवान के आत्मा छीनयके लेल प्रकट भेलाह | ई देखि सावित्री पत्नीक रूप मे अपन कर्तव्य मानैत हुनका लोकनिक पाछाँ लागि गेलीह | सावित्रीक भक्ति सँ प्रेरित यम अपन पतिक प्राण फिर्ता कऽ देलन्हि। देखैत-देखैत सत्यवान अपन हेरायल राज्य फिर्ता पाबि लेलनि, आ हुनक पिता द्युमात्सेन के फेर सँ दृष्टि भेटि गेलनि |