"दुर्गा सप्तशतीक सिद्ध-मन्त्र" के अवतरणसभमे अन्तर
PANKAJ DEO (वार्ता | योगदान) दुर्गा सप्तशती के सिद्ध-मंत्र |
(कोनो अंतर नै)
|
अन्तिम परिवर्तन १७:४२, २९ जुन २०१६
दुर्गा सप्तशती के सिद्ध-मंत्र क अर्थ होयेत अछि कि जे मंत्र मॉ दुर्गा कs लेल प्रयुक्त कएल जाएत अछि अर्थात मॉ दुर्गा कs नमन करएत हुनकर चरण में अपना के समर्पित करयेत हुनकर सिद्ध मंत्रो क जाप करला पर मॉ दुर्गा प्रशन्न होएत अपन भक्त कs इच्छित फल प्राप्ति कs अवसर देती अछि ।
दुर्गा सप्तशती के सिद्ध-मंत्र के मंत्र विभिन्न प्रकार के होएत अछि , जे कि हर एक इच्छा पर निर्भर और अही मंत्र कs कम स कम ११, २१, ५१ अथवा १०८ बेर जाप करला पर व्यक्ति कs मनोकामना पुर्ण होएत अछि ।
दुर्गा सप्तशती के सिद्ध-मंत्र
दुर्गा सप्तशती के सिद्ध-मंत्र के मंत्र किछ अहि प्रकार अछि :
- आपत्त्ति उद्धारक
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तु ते ॥
- भयनिवारक
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते ।
भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तु ते ॥
- पापनाशक
हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥
- रोगनाशक
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥
- पुत्र प्राप्ति के लिये
देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥
- इच्छित फल प्राप्ति
एवं देव्या वरं लब्ध्वा सुरथः क्षत्रियर्षभः
- महामारी नाशक
जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तु ते ॥
- शक्ति प्राप्ति के लिये
सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।
गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तु ते ॥
- इच्छित पति प्राप्ति के लिये
ॐ कात्यायनि महामाये महायेगिन्यधीश्वरि ।
नन्दगोपसुते देवि पतिं मे कुरु ते नमः ॥
- इच्छित पत्नी प्राप्ति कs लेल
पत्नीं मनोरामां देहि मनोववृत्तानुसारिणीम् ।
तारिणीं दुर्गसंसार-सागरस्य कुलोभ्दवाम् ॥
एकरो भी देखें
बाहरी कडिसभ
ये सिद्ध मंत्र निम्नलिखित पुस्तको से ली गई है:
- दुर्गापाठ पुस्तक
- मॉ दुर्गा महिमा