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पङ्क्त्ति १:
{{Infobox language
|name = कन्नडकन्नड़
|nativename = {{lang|kn|ಕನ್ನಡ}} {{IAST|''kannaḍa''}}
|states = [[कर्णाटक]], [[भारत]], [[संयुक्त राज्य अमेरिका|संयुक्त राज्य]], [[अष्ट्रेलिया|अस्ट्रेलिया]], [[सिंगापुर]], [[संयुक्त अधिराज्य|संयुक्त राजशाही]], [[संयुक्त अरब अमीरात]]क समुदाय
पङ्क्त्ति ८:
|familycolor = Dravidian
|fam2 = [[द्रविड भाषासभ]]
|fam3 = प्रोटो-कन्नडकन्नड़
|nation = {{IND}} ([[कर्णाटक]])
|agency = [[कर्णाटक]] सरकारक विभिन्न संस्थासभ<ref>{{cite book |title=कर्नाटक आधिकारिक भाषा अधिनियम, १९६३{{ndash}} कर्नाटक राजपत्र (विशेष) भाग चतुर्थ खण्ड २ए |year=१९६३ |publisher=कर्नाटक सरकार|pages=३३}}</ref>
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|caption = कन्नडकन्नड़ एवं अङ्ग्रेजीमे एकटा द्विभाषी संकेतपट्ट
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|mapcaption=कन्नडकन्नड़ मूल वक्तासभक वितरण, हल्का नील रङ्गक अन्हार आ अल्पसङ्ख्यक क्षेत्रसभमे अधिकांश क्षेत्रसभ<ref>{{cite book|chapterurl=http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00maplinks/overview/languages/himal1992max.jpg|chapter=Currency of Selected Languages and Scripts|title=A Historical Atlas of South Asia|last=Schwartzberg|first=Joseph E.|authorlink=Joseph E. Schwartzberg|date=1978|publisher=University of Chicago Press|page=102|isbn=0195068696}}</ref>
}}
'''कन्नडकन्नड़''' ({{lang|kn|[[wikt:ಕನ್ನಡ|ಕನ್ನಡ]]}} {{IAST|''Kannaḍa''}}, {{IPA-kn|ˈkʌnːəɖa|}}) वा {{lang|en|'''क्यानडीज'''}}<ref name="googlebooks_jaimini">[http://www.archive.org/details/jaiminibharataa00sandgoog].[ज्यामिनी भारत: प्रसिद्ध कन्नडकन्नड़ काव्य, अनुवाद एवम् टीका सहित (१८५२)].[२०१०-११-१३].</ref> [[भारत]]क [[कर्नाटक]] राज्यमे बोलल जाए वाला एकटा भाषा छी आ कर्नाटकक राजभाषा छी। ई भारतमे सभसँ अधिक प्रयोग कएल जाए वाला भाषासभमे सँ एकटा छी। ४.५० करोड लोग कन्नडकन्नड़ भाषा प्रयोग करैत अछि।<ref name=census /> ई भाषा एन्कार्टाक अनुसार विश्वक सर्वाधिक बोलल जाए वाला ३० भाषासभक सूचीमे २७हम स्थानमे आवैत अछि।<ref name="encarta_lang_10million">''[http://encarta.msn.com/media_701500404/Languages_Spoken_by_More_Than_10_Million_People.html १ करोडदेखि अधिक मानिसहरू द्वारा बोलिने भाषाहरू]''. [[एन्कार्टा]]. [http://www.webcitation.org/query?id=1257013011437361 Archived] 2009-10-31.</ref> ई [[द्रविड भाषा-परिवार]]मे आवैत अछि मुद्दा एहीमे [[संस्कृत]]सँ सेहो बहुतरास शब्द अछि। कन्नडकन्नड़ भाषा प्रयोग करै वाला एकर विश्वाससँ 'सिरिगन्नड' कहैत अछि। कन्नडकन्नड़ भाषा किछ २५०० सालसँ उपयोगमे अछि कन्नडकन्नड़ लिपि किछ १९०० सालसँ उपयोगमे अछि कन्नडकन्नड़ अन्य द्रविड भाषासभक प्रकार छी। [[तेलुगु]], [[तमिल]] आ [[मलयालम]] ई भाषासँ मिलैत-जुलैत भाषासभ छी। [[संस्कृत]] भाषासित बहुत प्रभावित भेल ई भाषामे संस्कृतसँ बहुत अधिक शब्द ओही अर्थसँ उपयोग कएल जाइत अछि। कन्नडकन्नड़ भारतक २२ आधिकारिक भाषासभमे सँ एकटा छी।<ref name="official">{{cite web|url=http://dpal.kar.nic.in/26%20of%201963%20(E).pdf|format=PDF|title=कर्नाटक आधिकारिक भाषा अधिनियम|work= संसदीय मामलहरू एवं विधिको आधिकारिक जालस्थल |publisher= कर्नाटक सरकार |accessdate= २९ जुलाई २००७}}</ref>
 
 
== कन्नडकन्नड़ तथा कर्नाटक शब्दसभक व्युत्पत्ति ==
कन्नडकन्नड़ तथा कर्नाटक शब्दसभक व्युत्पत्ति के सम्बन्धमे यदि कोनो विद्वान् के ई मत अछि जे "कन्रिदुअनाडु" अर्थात् "काली माटि के देश" सँ कन्नडकन्नड़ शब्द बनाएल गेल अछि तँ दोसर विद्वान् के अनुसार "कपितु नाडु" अर्थात् "सुगन्धित देश" सँ "कन्नाडु" आ "कन्नाडु" सँ "कन्नडकन्नड़" के व्युत्पत्ति भेल अछि। कन्नडकन्नड़ साहित्यक इतिहासकार आर.नरसिंहाचार ई मत के स्वीकार केनए अछि। किछ वैयाकरणसभक कथन अछि जे कन्नडकन्नड़ [[संस्कृत]] शब्द "कर्नाट" के तद्भूव रूप छी। ई सेहो कहल जाइत अछि जे "कर्णयो अटति इति कर्नाटक" अर्थात जे कानसभमे गूँजैत अछि ओ कर्नाटक छी।
 
प्राचीन ग्रन्थसभमे कन्नडकन्नड़, कर्नाट, कर्नाटक शब्द समानार्थमे प्रयुक्त भेल अछि। [[महाभारत]]मे कर्नाट शब्दक प्रयोग अनेकौं बेर भेल अछि (कर्नाटकश्च कुटाश्च पद्मजाला: सतीनरा:, सभापर्व, ७८, ९४; कर्नाटका महिषिका विकल्पा मूषकास्तथा, भीष्मपर्व ५८-५९)। दोसर शताब्दीमे लिखल होएतो तमिल "शिलप्पदिकारम्" नामक काव्यमे कन्नडकन्नड़ भाषा बाजैय वाला सभक नाम "करुनाडर" बताएल गेल अछि। [[वराहमिहिर]]क [[बृहत्संहिता]], सोमदेवक '''[[कथासरित्सागर]]''' गुणाढयक पैशाची "बृहत्कथा" आदि ग्रन्थसभमे सेहो कर्नाट शब्दक बराबर उल्लेख मिलैत अछि।
 
[[अङ्ग्रेजी भाषा|अङ्ग्रेजी]]मे कर्नाटक शब्द विकृत भऽ कर्नाटिक (Karnatic) अथवा केनरा (Canara), फेरसँ केनरासँ केनारीज (Canarese) बनल अछि। उत्तरी भारतक हिन्दी तथा अन्य भाषासभमे कन्नडकन्नड़ शब्दक लेल कनाडी, कन्नडीकन्नड़ी, केनारा, कनारीक प्रयोग मिलैत अछि।
 
अचेल कर्नाटक तथा कन्नडकन्नड़ शब्दसभक निश्चित अर्थमे प्रयोग होइत अछि – [[कर्नाटक]] प्रदेशक नाम छी आ "कन्नडकन्नड़" भाषा के।
 
== कन्नडकन्नड़ भाषा तथा लिपि ==
[[File:6th century Kannada inscription in cave temple number 3 at Badami.jpg|thumb|right|प्राचीन कन्नडकन्नड़ शिलालेख, [[५७८]] ई. [[बादामी]]-[[चालुक्य वंश]] काळीन, जे [[बादामीक गुफा चित्र]] सं० ३मे मिलल अछि।]]
[[द्रविड भाषा परिवार]]क भाषासभ '''पञ्चद्राविड''' भाषासभ कहलावैत अछि। कोनो समय ई पञ्चद्राविड भाषासभमे कन्नडकन्नड़, तमिल, तेलुगु, गुजराती तथा मराठी भाषासभ सम्मिलित छल। मुद्दा अखन पञ्चद्राविड भाषासभक अन्तर्गत कन्नडकन्नड़, तमिल, तेलुगु, मलयालम तथा तुलु मानल जाइत अछि। वस्तुत: [[तुलु]] कन्नडककन्नड़क ही एकटा पुष्ट बोली अछि जे दक्षिण कन्नडकन्नड़ जिल्लासभमे बाजल जाइत अछि। तुलुका अतिरिक्त कन्नडककन्नड़क अन्य बोलीसभ अछि–कोडगु, तोड, कोट तथा बडग। कोडगु कुर्गमा बाजल जाइत अछि आ बाँकी तीनसभक नीलगिरि जिल्लासभमे प्रचलन छी। [[नीलगिरि जिल्ला]] [[तमिलनाडु]] राज्यक अन्तर्गत छी।
 
[[रामायण]]-[[महाभारत]]-कालमे सेहो कन्नडकन्नड़ बाजल जाइत छल, ओहिना ते ईसा के पूर्व कन्नडककन्नड़क कोनो लिखित रूप नै मिलैत अछि। प्रारम्भिक कन्नडककन्नड़क लिखित रूप शिलालेखसभमे मिलैत अछि। ई शिलालेखसभमे हल्मिडि नामक स्थानसँ प्राप्त शिलालेख सभसँ प्राचीन अछि, जेकर रचनाकाल ४५० ई. छी। सातम् शताब्दीमे लिखल गेल शिलालेखसभमे बादामि आ श्रवण बेलगोलक शिलालेख महत्वपूर्ण अछि। प्राय: आठम् शताब्दी के पूर्वक शिलालेखसभमे गद्यक ही प्रयोग भेल अछि आ ओकर बादके शिलालेखसभमे काव्यलक्षणसभसँ युक्त पद्य के उत्तम नमूना प्राप्त होएत अछि। ई शिलालेखसभक भाषा जतय सुगठित तथा प्रौढ अछि ओतय ओहीमे संस्कृतक गहिरा प्रभाव देखाई दैत अछि। एही प्रकार यद्यपि आठम् शताब्दी धरि के शिलालेखसभक आधारमे कन्नडमेकन्नड़मे गद्य-पद्य-रचनाक प्रमाण मिलैत अछि तँ सेहो कन्नडककन्नड़क उपलब्ध सर्वप्रथम ग्रन्थक नाम "कविराजमार्ग" के उपरान्त कन्नडमेकन्नड़मे ग्रन्थनिर्माण के कार्य उत्तरोत्तर बढल आ भाषा निरन्तर विकसित होएत गेल। कन्नडकन्नड़ भाषाक विकासक्रम के चारिटा अवस्थासभ मानल गेल अछि जे एही प्रकार अछि :
 
# अतिप्राचीन कन्नडकन्नड़ ([[आठम् शताब्दी]]क अन्त धरि के अवस्था),
# हळ कन्नड–प्राचीनकन्नड़–प्राचीन कन्नडकन्नड़ ([[९हम शताब्दी]]क आरम्भसँ [[१हम शताब्दी]]क मध्य-काल धरि के अवस्था),
# नडु गन्नड मध्ययुगीन कन्नडकन्नड़ ([[१हम शताब्दी]]क उत्तरार्धसँ [[१९हम शताब्दी]]क पूर्वार्ध धरि के अवस्था), आ
# होस गन्नड–आधुनिक कन्नडकन्नड़ ([[१९हम शताब्दी]]क उत्तरार्धसँ अखन धरि के अवस्था)।
 
चारिटा द्राविड भाषासभक अपन पृथक-पृथक लिपीसभ अछि। डा.एम.एच. कृष्णक अनुसार ई चारिटा लिपिसभक विकास प्राचीन अंशकालीन ब्राह्मी लिपि के दक्षिणी शाखासँ भेल अछि। बनावटक दृष्टिसँ कन्नडकन्नड़ आ [[तेलुगु]]मे तथा [[तमिल]] आ [[मलयालम]]मे साम्य अछि। १३हम शताब्दीक पूर्व लिखल गेल तेलुगु शिलालेखसभक आधारमे ई बताएल गेल अछि जे प्राचीन कालमे तेलुगु आ कन्नडककन्नड़क लिपीसभ एकै छल। वर्तमान कन्नडककन्नड़क लिपि बनावटक दृष्टिसँ देवनागरी लिपिसँ भिन्न देखाई दैत अछि, मुद्दा दुनुटा के ध्वनिसमूहमे अधिक अन्तर नै अछि। अन्तर एतेक ही अछि जे कन्नडमेकन्नड़मे स्वरसभक अन्तर्गत "ए" आ "ओ" के ह्रस्व रूप तथा व्यञ्जनसभक अन्तर्गत वत्स्य "ल" के साथ-साथ मूर्धन्य "ल" वर्ण सेहो पावैत अछि। प्राचीन कन्नडमेकन्नड़मे "र" आ "ळ" प्रत्येक के एक-एक मूर्धन्य रूप के प्रचलन छल, मुद्दा आधुनिक कन्नडमेकन्नड़मे ई दुनुटा वर्णसभक प्रयोग लुप्त भेल अछि। बाँकी ध्वनिसमूह संस्कृतक समान अछि। कन्नडककन्नड़क वर्णमालामे कुल ४७ वर्ण अछि। अखन एकर सङ्ख्या बावन धरि बढा देल गेल अछि।
 
<center>{{कन्नडकन्नड़ यूनिकोड सारणी}}</center>
 
 
पङ्क्त्ति ७८:
 
==एहो सभ देखी==
*[[कन्नडकन्नड़ लिपी|कन्नडकन्नड़ लिपि]]
*[[कन्नडकन्नड़ साहित्य]]
 
[[श्रेणी:भारतक भाषासभ]]