"प्रकाश-संश्लेषण" के अवतरणसभमे अन्तर

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पङ्क्त्ति ३१:
 
प्रकाश-संश्लेषण के क्रिया गाछ के सभ क्लोरोप्लास्ट युक्त कोशिकासभ मे होइत अछि। अर्थात गाछ के समस्त हरियर भागसभ मे होइत अछि। ई क्रिया विशेषतः पत्तिसभ के मीसोफिल ऊतक मे होइत अछि किया कि पत्तिसभ के मीसोफिल उतक के पेरेन्काइमे कोशिकासभ मे अन्य कोशिकासभ के उपेक्षा क्लोरोप्लास्ट के मात्रा अधिक होइत अछि।
 
 
== प्रकाश प्रक्रिया, हिल प्रक्रिया अथवा फोटोकेमिकल प्रक्रिया ==
[[File:Thylakoid membrane.svg|thumb|280px|right|क्लोपोप्लास्ट मे होए वाला प्रकाश अभिक्रिया]] प्रकाश संश्लेषण के क्रिया मे जे प्रक्रिया प्रकाश के उपस्थिति मे होइत अछि ओकरा प्रकाश क्रिया के अन्तर्गत अध्ययन कएल जाइत अछि। ई क्रिया के हिल आदि अन्य वैज्ञानिकसभ द्वारा अध्ययन कएल गेल। प्रकाश प्रक्रियासभ के समय अन्धेरी प्रक्रियासभ सीमाबद्ध कारक के कार्य करैत अछि। प्रकाश प्रक्रियासभ दुई चरणसभ मे होइत अछि, फोटोलाइसिस एवं हाइड्रोजन के स्थापन। फोटोलाइसिस के प्रक्रिया मे प्रकाश क्लोरोफिल के अणु द्वारा फोटोन के रूप मे अवशोषित कएल जाइत अछि। जखन क्लोरोफिल के अणु एक क्वान्टम प्रकाश शोषित करि लैत अछि ओकर पश्चात् क्लोरोफिल के दूसरा अणु तखन धरि प्रकाश शोषित नै करैत अछि जखन धरि कि पहिल ऊर्जा प्रकाश संश्लेषण के क्रिया मे प्रयोग नै भऽ जाइत अछि। क्लोरोफिल द्वारा ई प्रकार शोषित प्रकाश के फोटोन उच्च ऊर्जा स्तर पर एक [[इलेक्ट्रान]] निकालैत अछि तथा ई शक्ति फास्फेट के तेसर बाँड पर स्थित भऽ उच्च ऊर्जा वाला एडिनोसाइन ट्राइफास्फेट के रूप मे प्रकट होइत अछि। ई प्रकार क्लोरोपिल प्रकाश के उपस्थिति मे एटीपी उत्पन्न करैत अछि तथा ई प्रक्रिया के फोस्फोराइलेशन कहैत अछि। ई प्रकार सूर्य के प्रकाश के ऊर्जा एटीपी अर्थात् रासायनिक ऊर्जा मे परिवर्तित भऽ जाइत अछि। ई प्रकार क्लोरोफिल अणु मे निर्मित एटीपी क्लोरोफिल अणु सँ पृथक भऽ CO<sub>2</sub> के [[शर्करा]] मे अनाक्सीकृत होए आदि अनेक रासायनिक क्रियासभ मे सहायक अछि। क्लोरोफिल ई एटीपी के स्वतन्त्र करै पर फेर अक्रिय भऽ जाइत अछि। वान नील फ्रैङ्क, विशनिक के अनुसार पानी जखन ई क्रियाशील क्लोरोफिल के सम्पर्क मे आवैत अछि तखन पानी अनाक्सीकृत H तथा तेज अक्सीकारक OH मे विच्छेदित भऽ जाइत अछि।<br />
क्लोरोफिल + प्रकाश → सक्रिय क्लोरोफिल<br />
H<sub>2</sub>O + सक्रिय क्लोरोफिल → H<sup>+</sup> + OH<sup>-</sup><br />
ई फोटोलाइसिस प्रक्रिया मे O<sub>2</sub> पानी सँ स्वतन्त्र भऽ जाइत अछि तथा हाइड्रोजन सेहो हाइड्रोजन ग्राहक पर चलि जाइत अछि।<br />
2H<sub>2</sub>O + 2A → 2AH<sub>2</sub> + O<sub>2</sub> <br />
एही प्रकार गाछ के प्रकाश-संश्लेषण के क्रियासभ सँ निकलि समस्त अक्सिजन जल सँ प्राप्त होइत अछि। हिल, रूबेन एकर समर्थन केलक तथा O<sup>18</sup> के प्रयोग करि के एकर सिद्ध केलक। पानी सँ अक्सिजन निकलि के क्लोरील्ला नामक शैवाल मे CO<sub>2</sub> के अनुपस्थिति मे देखाएल गेल। एकर अर्थ भेल कि CO<sub>2</sub> के अनुपस्थिति मे अक्सिजन के उत्पादन भऽ सकैत अछि, मुद्दा एहीमे हाइड्रोजन ग्राहक होनाए चाहि। एहन देखल गेल अछि कि गाछ मे एनएडीपी (NADP) दुइ NADPH<sub>2</sub> बनावैत अछि। <br />
2H<sub>2</sub>O+2NADP=2NADPH<sub>2</sub>+O<sub>2</sub>