"प्रकाश-संश्लेषण" के अवतरणसभमे अन्तर

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पङ्क्त्ति १६:
:[[कार्बन डाईआक्साइड]] + [[पानी]] + [[प्रकाश]] + [[क्लोरोफिल]] → [[ग्लूकोज]] + [[अक्सीजन]] + [[पानी]] + क्लोरोफिल <br />
प्रकाश एतय अभिक्रिया मे भाग नै लैत अछि बल्कि ई अभिक्रिया के लेल प्रकाशक उपस्थिति आवश्यक अछि। ई रासायनिक क्रिया मे कार्बनडाइअक्साइड के ६ अणुसभ आ जल के १२ अणुसभ के बीच रासायनिक क्रिया होइत अछि जेकर फलस्वरूप ग्लूकोज के एक अणु, जल के ६ अणु तथा अक्सिजन के ६ अणु उत्पन्न होइत अछि। ई क्रिया मे मुख्य उत्पाद ग्लूकोज होइत अछि तथा अक्सिजन आ जल उप पदार्थ के रूप मे मुक्त होइत अछि। ई प्रतिक्रिया मे उत्पन्न जल कोशिका द्वारा अवशोषित भऽ जाइत अछि आ पुनः जैव-रासायनिक प्रतिक्रियासभमे लग जाइत अछि। मुक्त अक्सिजन वातावरण मे चलल जाइत अछि। ई मुक्त अक्सिजन के स्रोत जल के अणु छी कार्बनडाइअक्साइड के अणु नै। अभिक्रिया मे सूर्य के विकिरण ऊर्जाक रूपान्तरण रासायनिक ऊर्जा मे होइत अछि। जे ग्लूकोज के अणुसभमे सञ्चित भऽ जाइत अछि। प्रकाश-संश्लेषण मे गाछ द्वारा प्रति वर्ष लगभग १00 टेरावाट के सौर्य ऊर्जा के रासायनिक ऊर्जा के रूप मे भोज्य पदार्थ के अणुसभमे बाँधि देनए जाइत अछि।<ref>{{cite journal |author=Nealson KH, Conrad PG |title=Life: past, present and future |journal=Philos. Trans. R. Soc. Lond., B, Biol. Sci. |volume=354 |issue=1392 |pages=1923–39 |year=1999 |month=December |pmid=10670014 |pmc=1692713 |doi=10.1098/rstb.1999.0532 |url=http://journals.royalsociety.org/content/7r10hqn3rp1g1vag/}}</ref><ref>{{cite journal |author=Nealson KH, Conrad PG |title=Life: past, present and future |journal=Philos. Trans. R. Soc. Lond., B, Biol. Sci. |volume=354 |issue=1392 |pages=1923–39 |year=1999 |month=December |pmid=10670014 |pmc=1692713 |doi=10.1098/rstb.1999.0532 |url=http://journals.royalsociety.org/content/7r10hqn3rp1g1vag/}}</ref> ई ऊर्जा के परिमाण पूरा मानव सभ्यता के वार्षिक ऊर्जा खर्च सँ सेहो ७ गुणा अधिक अछि।<ref name=EIA>{{cite web | publisher= Energy Information Administration |url= http://www.eia.doe.gov/pub/international/iealf/table18.xls | title = World Consumption of Primary Energy by Energy Type and Selected Country Groups, 1980-2004 | format = XLS | date = July 31, 2006 | access date=2007-01-20|archiveurl=http://web.archive.org/web/20041111015455/http://www.eia.doe.gov/pub/international/iealf/table18.xls|archivedate=November 11, 2004}}</ref> ई ऊर्जा एतय स्थिति ऊर्जा के रूप मे सञ्चित रहैत अछि। अतः प्रकाश-संश्लेषण केएल क्रिया के ऊर्जा बन्धन के क्रिया सेहो कहैत अछि। ई प्रकार प्रकाश-संश्लेषण करै वाला सजीव लगभग १०,००,००,००,००० टन कार्बन के प्रति वर्ष जैव-पदार्थसभमे बदलि दैत अछि।<ref>{{cite journal |author=Field CB, Behrenfeld MJ, Randerson JT, Falkowski P |title=Primary production of the biosphere: integrating terrestrial and oceanic components |journal=Science (journal) |volume=281 |issue=5374 |pages=237–40 |year=1998 |month=July |pmid=9657713 |doi=10.1126/science.281.5374.237}}</ref>
 
== ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ==
[[File:Stephen Hales.jpg|tumb|right|200px|स्टीफन हेलेस]]बहुत प्राचीन काल सँ ई ज्ञात अछि कि गाछ अपन पोषण जडि द्वारा प्राप्त करैत अछि। [[१७७२]] मे [[स्टीफन हेलेस]] बतौलक् कि गाछ की पत्तिसभ [[वायु]] सँ भोजन ग्रहण करैत अछि तथा ई क्रिया मे [[प्रकाश]] के किछ महत्वपूर्ण क्रिया छी। प्रीस्टले [[१७७२]] मे पहिने बतौलक् कि ई क्रिया के दौरान उत्पन्न वायु मे मैनबत्ती जलावाल जाए तँ ई जलैत रहैत अछि। मैनबत्ती जलि के पश्चात् उत्पन्न वायु मे यदि अखन एक जीवित चूहा रखल जाए तँ ओ मरि जाइत अछि। ओ [[१७७५]] मे पुनः बतौलक् कि गाछ द्वारा दिन के समय मे निकलल ग्यास अक्सिजन होएत अछि। एकर पश्चात इन्जन हाउस [[१७७९]] मे बतौलक् कि हरियर गाछ [[सूर्य]] के प्रकाश मे co<sub>2</sub> ग्रहण करैत अछि तथा अक्सिजन निकालैत अछि। डी. सासूर [[१८०४]] मे बतौलक् गाछ दिन आ रात श्वसन मे तँ अक्सिजन ही लैत अछि मुद्दा प्रकाश संश्लेषण के दौरन अक्सिजन मुक्त करैत अछि। अत: अक्सिजन पूरा दिन काम मे आवैत अछि मुद्दा कार्बनडाईअक्साइड सँ अक्सिजन केवल प्रकाश संश्लेषण मे ही बनैत अछि। सास [[१८८७]] मे बतौलक् कि हरियर गाछ के co<sub>2</sub> ग्रहण करवाक तथा o<sub>2</sub> निकलवाक सँ गाछ मे [[स्टार्च]] के निर्माण होइत अछि।