"मिर्जापुर" के अवतरणसभमे अन्तर

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पङ्क्त्ति ५३:
=== तारकेश्‍वर महादेव ===
विन्ध्याचल कऽ पूर्वमे स्थित तारकेश्‍वर महादेव कऽ जिक्र पुराणमे सेहो कएल गेल अछि। मन्दिरक समीप एक कुण्ड स्थित अछि। मानल जाएत अछि कि तराक नामक असुर मन्दिर कऽ समीप एक कुण्ड खोदने छल । भगवान शिव तारक कऽ वध केने छल । तहिल ओ तारकेश्‍वर महादेव सेहो कहल जाएत अछि। कुण्ड कऽ समीप बहुत शिवलिङ्ग स्थित अछि। पौराणिक कथाक अनुसार भगवान विष्णु तारकेश्‍वर पश्चिम दिशाक ओर एक कुण्ड आ भगवान शिव मन्दिर कऽ निर्माण केने छल । एहि अतिरिक्त, एहो कहल जाएत कि तारकेश्‍वरमे देवी लक्ष्मी निवास करती करैत अछि। देवी लक्ष्मी अन्य रूपमे देवी सरस्वतीक साथ वैष्णवी रूपमे रहैत अछि।
 
=== महा त्रिकोण ===
कहल जाएत अछि कि महा त्रिकोण कऽ परिक्रमे करैसँ भक्त की इच्छा पूरी होएत अछि। मन्दिर स्थित विन्ध्यावशनी देवी कऽ दर्शन करैके पश्चात् भक्त संकट मोचन मन्दिर जाएत अछि। ई मन्दिर कऽ कालीखोह नाम सँ सेहो जानल जाएत अछि। यह मन्दिर विन्ध्याचल रेलवे स्टेशन कऽ दक्षिण दिशा की ओर स्थित अछि। देवी काली आ संकट मोचन कऽ दर्शन करैके बाद भक्त अपन परिक्रमा सन्त करनागिरी बावली कऽ दर्शन करैके पूरा करैत अछि। कालीखोह कऽ आस-पास अन्य कयो मन्दिर जना आनन्द भैरव, सिद्धनाथ भैरव, कपाल भैरव आ भैरव आदि स्थित अछि। विन्ध्याचल मन्दिर परिक्रमा पूरा करैके पश्चात् मनक बेहद सुकून प्राप्त होएत अछि । पूरी यात्रा महा त्रिकोण कऽ नाम सँ प्रसिद्ध अछि।
 
विन्ध्याचलमे त्रिकोण यात्रा कऽ बहुत महत्त्व अछि। त्रिकोण कऽ सही क्र्म छी- सर्वप्रथम गंगास्नान कऽ पश्चात् तट पर स्थित विन्ध्यवासिनी देवी कऽ दर्शन। तत्पश्चात् कालीगोह स्थित मां काली कऽ दर्शन। अष्टभुजी क यात्रा, विन्ध्यवासिनी आकर पुनः दर्शन। एहि प्रकार लगभग चौहद किलोमीटर कऽ ई यात्रा होएत अछि। ई तीन स्थल स्पष्ट रूपसँ त्रिभुज कऽ तीन कोण पर अवस्थित अछि। ई यात्रा कऽ अतिशय महत्त्व अछि। तन्त्र शास्त्रमे ई बाह्यत्रिकोण कऽ यात्रा कऽ रूपमे मान्यता अछि। एहि आधारित अन्तः त्रिकोण कऽ यात्रा सेहो होएत अछि।
प्राप्ति स्थल "https://mai.wikipedia.org/wiki/मिर्जापुर"