"कर्म" के अवतरणसभमे अन्तर
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पङ्क्त्ति २:
[[दर्शनशास्त्र|दर्शन]]मे '''कर्म''' एक विशेष अर्थमे प्रयुक्त होईछि।कर्म काम,भाग्य,कार्य छि।जे भी मनुष्य करई छि ऊ से फल उत्पन्न होइछि। ई फल शुभ, अशुभ या दुवासे आलग होइछि।
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