"आयुर्वेद" के अवतरणसभमे अन्तर
Content deleted Content added
अNo edit summary |
अNo edit summary |
||
पङ्क्त्ति ३१:
४. भूतविद्या- देव, असुर, गन्धर्व, यक्ष, पितृ, मृतात्मा, पिशाच, नाग आदि अदृश्य शक्तिसभके अनेक रोग उत्पन्न करै प्राणीसभके शारीरिक आ मानसिक कष्ट दऽ अछि। ओसँ छुटकारा पाउन शान्तिकर्म, बलि, उपवास, होम आदि उपायसभक उपदेश दऽ तन्त्रके भूतविद्या कहैत अछि।
५. कौमारभृत्य- शुक्र आ शोणितक शुद्धता, तिनकर दोष एवं निवारणक उपाय, गर्भाधान, गर्भरक्षा, गर्भिणी, सूतिका एवं शिशुक परिचर्या, प्रसवपछा सूतिकक आरोग्यको रक्षण, बालकक पोषण, स्तन्यपान आदि बालकक स्वास्थ्यरक्षामे सहायक उपायसभक वर्णन तथा बालग्रहादिक कारण बालकसभके भेल रोगसभक शानितो उपायबारे उपदेश दऽ तन्त्रके कौमारभृत्यतन्त्र कहैत अछि।
==सन्दर्भ सामग्रीसभ==
{{reflist}}
|