"आयुर्वेद" के अवतरणसभमे अन्तर
Content deleted Content added
अNo edit summary |
अNo edit summary |
||
पङ्क्त्ति २९:
३. कायचिकित्सा- कायक अर्थ जठराग्नि छी। ओकर दोष मन्दाग्नि आदिक कारण उत्पन्न भेल सर्वाङ्गत ज्वर, रक्तपित्त, शोष, उन्माद, अपस्मार, कृष्ठ, प्रमेह, अतिसार आदि शारीरिक मानसिक रोगसभक निदान आ चिकित्साक वर्णन जे अङ्गमे भेल अछि तेकरा कायचिकित्सा कहैत अछि।
४. भूतविद्या- देव, असुर, गन्धर्व, यक्ष, पितृ, मृतात्मा, पिशाच, नाग आदि अदृश्य शक्तिसभके अनेक रोग उत्पन्न करै प्राणीसभके शारीरिक आ मानसिक कष्ट दऽ अछि। ओसँ छुटकारा पाउन शान्तिकर्म, बलि, उपवास, होम आदि उपायसभक उपदेश दऽ तन्त्रके भूतविद्या कहैत अछि।
==सन्दर्भ सामग्रीसभ==
{{reflist}}
|