"होली" के अवतरणसभमे अन्तर
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पङ्क्त्ति २१:
होलीक बारेम पौराणिक भनाइ अनुसार प्राचीन समयमा अथवा [[सत्य युग]]मे नास्तिक हिरण्यकश्यपु नामक एक गोटे [[राक्षस]]क जन्म भेल छल । हिरण्यकश्यपुक भगवान [[विष्णु]] [[नृसिंह अवतार]]म प्रकट भक संघहार केलक । हिरण्यकश्यपुक सुपुत्र भक्त [[प्रह्लाद]] छल । भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णुक निक भक्त छल । अपन पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णुक भजन करैत हिरण्यकश्यपुक रास नै भेल । अहिल ओ राजा प्रह्लादक मारक लेल योजनासभ बनावैत छल । एक योजना अनुसार हिरण्यकश्यपु पुत्रके अग्निकुण्डमे फेक माइर अपन बहिन होलिका(''जे अग्निसँ नै डहत वरदान भेटल छल'')क जिम्मा देलक । हिरण्यकश्यपुक आदेशानुसार होलिका प्रह्लादक काखम लक अग्निम वैठ आगनि धर्मक साथ देलक होलिका डहैक नष्ट भेल प्रह्लादक किछ नै भेल । होलिका दहनक खुसियाली मनाओल आपसमा रङ्ग आ अविरक होली पर्व मनावैक परम्परा चलल धार्मिक मान्यता रहि गेल अछि । तहिना दोसर एक प्रसङ्ग अनुसार [[द्वापर युग]]म [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]]क मार् उद्देश्य सँ दूध पिलावै गेल कंशक शेना पुतना नामक राक्षसनीक उल्टा कृष्ण मारिदेलक तहिद्वरा शवके ब्रजवासीहसभ अहि दिन जलाक आपसमा रङ्ग आर अबिर छरी खुसियाली मनाओलक वोहिक सम्झनामा अद्यावधिक चीरदाहक होली खेल्ल परम्परा चलल भनाइ अछि ।<ref>विभिन्न हिन्दू धार्मिक ग्रन्थहरू</ref> होली हिन्दूसभक अत्यन्त प्राचीन पर्व छी । [[इतिहासकार]]सभ मानैत अछि कि ई पर्वक प्रचलन आर्यसभ सेहो छल । ई पर्वक वर्णन अनेक [[पुरातन]] [[धार्मिक पुस्तक]]सभमे भेटल जाइत अछि । [[नारद पुराण]] आ [[भविष्य पुराण]] जेहन प्राचीन [[हस्तलिपी]]सभमे [[ग्रन्थ]]सभमे सेहो ई पर्वक उल्लेख कएल गेल अछि। [[भारत]]म विंध्यक्षेत्रको राम गढमर स्थानम स्थित ईसा सँ ३०० वर्ष पुरान एकटा [[अभिलेख]]म सेहो एकर उल्लेख कएल गेल अछि। [[संस्कृत]] [[साहित्य]]म [[वसन्त ऋतु]] आर वसन्तोत्सव अनेक कविसभक प्रिय विषय छल ।
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फागु पुर्णिमा आ होली ई चाड नेपालम हर्शोल्लाशका साथ मनाओल जाइत अछि। होलीक एक दिन अगाडी साझ नेपालक बसन्तपुर दरबार अगाडि 'होलिका दहन'क ई चाडक सुरुवात होइत अछि। हिरण्यकश्यपुक बहिन होलिकाक बिष्णुके भक्त हिरण्यकश्यपुके सुपुत्र ([[प्रह्लाद]]) के मारि अग्नी नजिक जा होलिका पने जलिक नस्ट भेलाहक कारण असत्य माथि सत्यक जित भेल दिनक रुपमा ई पर्ब मनावैत अछि।
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