"अग्नि पुराण" के अवतरणसभमे अन्तर

''''अग्निपुराण''' पुराण साहित्यमे अपन व्यापक दृष्टि तथ...'सँग नव पन्ना बनाएल गेल
 
 
पङ्क्त्ति ६:
;कथा
:अग्नि पुराणक अनुसार एहीमे सभ विधासभक वर्णन अछि। ई अग्निदेवक स्वयंक श्रीमुखसँ वर्णित अछि, ओही लेल सेहो ई प्रसिद्ध आ महत्त्वपूर्ण पुराण मानल गेल अछि। ई पुराण अग्निदेवद्वारा महर्षि वशिष्ठक सुनाएल गेल छल । ई पुराण दुई भागसभमे बाँटल गेल अछि : पहिल भागमे पुराण ब्रह्म विद्ध्याक सार अछि। एकर आरम्भमे भगवान विष्णुक दशावतारसभक वर्णन अछि। ई पुराणमे ११ रुद्रसभ, ८ वसुसभ तथा १२ आदित्यसभक बारेमे बताएल गेल अछि। विष्णु तथा शिवक पूजाक विधान, सूर्यक पूजाक विधान, नृसिंह मन्त्र आदिक जानकारी सेहो ई पुराणमे डेल गेल अछि। एकर अतिरिक्त प्रसाद एवं देवालय निर्माण, मूर्ति प्रतिष्ठा आदिक विधिसभ सेहो बताएल गेल अछि। एहिमे भूगोल, ज्योतिः शास्त्र तथा वैद्यकक विवरणके बाद राजनैतिक क सेहो विस्तृत वर्णन कएल गेल अछि जाहीमे अभिषेक, सहाय्य, सम्पत्तिसँ वक, दुर्ग, राजधर्म आदि आवश्यक विषय निर्णीत अछि। धनुर्वेदक सेहो बड ज्ञानवर्धक विवरण देल गेल अछि जाहीमे प्राचीन अस्त्र-शस्त्रसभ तथा सैनिक शिक्षा पद्धतिक विवेचन विशेष उपादेय तथा प्रामाणिक अछि। ई पुराणक अन्तिम भागमे आयुर्वेदक विशिष्ट वर्णन अनेक अध्यायसभमे मिलैत अछि, एकर अतिरिक्त छंदःशास्त्र, अलंकार शास्त्र, व्याकरण तथा कोश विषयक विवरण सेहो देल गेल अछि ।
 
[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]
[[श्रेणी:रामायण]]
[[श्रेणी:धर्म]]
[[श्रेणी:देवी-देवता]]