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'''चाणक्य''' वाया '''कौटिल्य''' (लगभग ईपू ३७०–२८३) एक भारतिय शिक्षक, दार्शनिक आर महान सम्राट [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] केँके सल्लाहकार छेलछल । हुनकर नदवंशके नाश करलखिन आर चन्द्रगुप्त मौर्यके राजा बनेलखिन । हुनकर राजनीति आर कूटनीति के साक्षात् मूर्ति छेल । हुनका अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आधाके महान ग्रन्थ छेल । चाण्क्य भारतकेँ एकटा सुदृढ़ आऽ केन्द्रीकृत शासन प्रदान कएलन्हि, जकर अनुभव भारतवासीकेँ पूर्वमे नहि छलन्हि। चाणक्यक जीवन आऽ वंश विषयक सूचना अप्रामाणिक अछि। चाणक्यक आन नाम सभ सेहो अछि। जेना कौटिल्य, विष्णुगुप्त, वात्स्यायन, मालांग, द्रामिल, पाक्षिल, स्वामी आऽ आंगुल। विष्णुगुप्त नाम कामंदक केर नीतिसार, विशाखादत्तक मुद्राराक्षस आऽ दंडीक दशकुमारचरितमे भेटैत अछि। अर्थशास्त्रक समापनमे सेहो ई चर्च अछि जे नन्द राजासँ भूमिकेँ उद्धार केनिहार विष्णुगुप्त द्वारा अर्थशास्त्रक रचना भेल। अर्थशास्त्रक सभटा अध्यायक समापनमे एकर रचयिताक रूपमे कौटिल्यक वर्णन अछि। जैन भिक्षु हेमचन्द्र हिनका चणकक पुत्र कहैत छथि। अर्थशास्त्रमे उल्लिखित अछि जे कौटिल्य कुटाल गोत्रमे उत्पन्न भेलाह। पन्द्रहम अधिकरणमे कौटिल्य अपनाकेँ ब्राह्मण कहैत छथि। कौटिल्य गोत्रक नाम, विष्णुगुप्त व्यक्तिगत नाम आऽ चाणक्य वंशगत नाम बुझना जाइत अछि। धर्म आऽ विधिक क्षेत्रमे कौटिल्यक अर्थशास्त्र आऽ याज्ञवल्क्य स्मृतिमे बड्ड समानत अछि जे चाणक्यक मिथिलावासी होयबाक प्रमाण अछि। अर्थशास्त्रमे(१.६ विनयाधिकारिके प्रथमाधिकरणे षडोऽध्यायः इन्द्रियजये अरिषड्वर्गत्यागः) कराल जनक केर पतनक सेहो चर्चा अछि । तद्विरुद्धवृत्तिरवश्येन्द्रियश्चातुरन्तोऽपि राजा सद्यो विनश्यति- यथा दाण्डक्यो नाम भोजः कामाद् ब्राह्मण कन्यायमभिमन्यमानः सबन्धराष्ट्रो विननाश करालश्च वैदेहः,... । अर्थशास्त्रमे १५ टा अधिकरण अछि । सभ अधिकरण केर विभाजन प्रकरणमे भेल अछि ।
 
कौटिल्यक राज्य संब्धी विचार सप्तांग सिद्धांतमे अछि।स्वामी, अमात्य, राष्ट्र, दुर्ग, कोष, दंड आऽ मित्र केर रूपमे राज्यक सातटा अंग अछि। कऊतिल्यक संप्रभुता सिद्धांतमे राज्यक प्राशसनिक विभा वा तीर्थक चर्च अछि- ई १८ ट अछि। १.मंत्री२.पुरोहित३.सेनापति४.युवराज५.दौवारिक६.अंतर्वांशिक७.प्रशास्त्र८.संहर्त्ता९.सन्निधात्रा१०.प्रदेष्टा११.नअयक१२.पौर व्यावहारिक१३.कर्मांतिक१४.मंत्रिपरिषदाध्यक्ष१५,.दंडपाल१६.दुर्गपाल१७.अंतर्पाल१८.आत्विक। विधिक चरिटा श्रोत अछि- धर्म, व्यवहार, चरित्र आऽ राजशासन । कौटिल्यक अतरराज्य संबंध केर सिद्धांत मंडल सिद्धांत केर नामसँ प्रतिपादित अछि । विजिगीषु राजा- विजय केर इच्छा बला राजा- केर चारू कात अरिप्रकृति राजा आऽ अरिप्रकृति राजाक सीमा पर निम्न प्रकृति राजा रहैत छथि। विजुगीषु राजाक सोझाँ मित्र, अरिमित्र, मित्र-मित्र आऽ अरिमित्र-मित्र रहैत छथि आऽ पाछाँ पार्ष्णिग्राह९फीठक शत्रु), आक्रंद (पीठक मित्र), पार्ष्णिग्राहासार (फार्ष्णिग्राहक मित्र) आऽ अक्रंदसार (आक्रंदक मित्र) रहैत छथि।
प्राप्ति स्थल "https://mai.wikipedia.org/wiki/चाणक्य"