जैन धर्ममे भगवान अरिहन्त (केवली) आ सिद्ध (मुक्त आत्मासभ) कऽ कहल जाइत अछि। जैन धर्म अही ब्रह्माण्डक अभिव्यक्ति, निर्माण या रखरखावक लेल जिम्मेदार कोनो निर्माता ईश्वर या शक्तिक धारणाक खारिज करैत अछि।[१]जैन दर्शनक अनुसार, एहि लोक आ एकर छह द्रव्य (जीव, पुद्गल, आकाश, काल, धर्म, आ अधर्म) हमेशासँ अछि आ हिनक अस्तित्व हमेशा रहत। ई ब्रह्माण्ड स्वयं संचालित अछि आ सार्वभौमिक प्राकृतिक कानूनसभ पर चैलैत अछि। जैन दर्शनक अनुसार भगवान, एक अमूर्तिक वस्तु एक मूर्तिक वस्तु (ब्रह्माण्ड)क निर्माण नै करि सकत। जैन ग्रन्थसभमे देवसभ (स्वर्ग निवासिसभ)क एक विस्तृत विवरण मिलैत अछि,


भगवानक स्वरुप सम्पादन करी

पन्च परमेष्ठी सम्पादन करी

केवली सम्पादन करी

 
भरत चक्रवर्ती सेहो अरिहन्त भेल


तीर्थंकर (अरिहन्त) सम्पादन करी

सिद्ध सम्पादन करी

पूजा  सम्पादन करी

एहो सभ देखी सम्पादन करी



सन्दर्भ सामग्रीसभ सम्पादन करी