कवि ओ व्यक्ति छी जे कविता लेखन करैत अछि आ भावसभकें रसाभिषिक्त अभिव्यक्ति दैत अछि। कवि सामान्य अथवा स्पष्ट सँ भिन्न रुप सँ गहन यथार्थक वर्णन करैत अछि। एहि लेल वैदिक कालमे ऋषय: मन्त्रदृष्टार: कवय: क्रान्तदर्शिन: अर्थात् ऋषिकें मन्त्रदृष्टा आ कविकें क्रान्तदर्शी कहल गेल अछि। कवि शब्दक प्रयोग प्रचलन आ सामान्य एवं पारिभाषिक अर्थक विकास परम्परा मुदा बहुत लम्बा आ वैविध्यपूर्ण सेहो रहल अछि। वैदिक संस्कृत भाषाक आदि ग्रन्थ ऋग्वेद सँ लौकिक संस्कृत - प्राकृत -अपभ्रंश भाषा होएत मैथिली भाषाक आधुनिक युगधरि आबि गेला कम सँ कम साढ़े तीन सहस्राब्दीक प्रयोग क्रममे कवि शब्द अपन अर्थ परिवर्तनक अनेको सिढ़ी पार करैत आएल अछि। एखन ई शब्द छन्दोबद्ध वा छन्दमुक्त कविताक रचना केनिहार व्यक्तिकें बुझबैत अछि। [१][२]

कवि
Poet
पेशा
नामसभकवि, गीतकार
पेशा प्रकार
उद्यम
क्रियाकलाप क्षेत्र
साहित्य
विवरण
दक्षतालेखन
शैक्षिक आवश्यकता
नई
सम्बन्धित काजसभ
उपन्यासकार, लेखक, गीतकार


सन्दर्भ सामग्रीसभ सम्पादन करी

  1. बराल, डा.ईश्वर प्रधान, कृष्णचन्द्र (सं.२०५५), नेपाली साहित्य कोश, काठमाडौं : नेपाल राजकीय प्रज्ञा प्रतिष्ठान
  2. Culture of Hindi, Malik Mohammad, Kalinga Publications, 2005, ISBN 978-81-87644-73-6