ऋषिपञ्चमी हिन्दु संस्कार अनुसार महिलासभक लेल तीज तथा हरितालिकाक जते महत्व भेल पर्व मानल जाइत अछि । पौराणिक कथनअनुसार नारीसभ रजस्वला भेला पर जानि वा अन्जानमे कएल गेल जतेक भी पापसभ भ जाइत अछि, ओहीसँ मुक्ति पावैके लेल ई व्रत बैसल जाइत अछि ।

ऋषिपञ्चमी
ऋषिपञ्चमी
पाशुपत क्षेत्रमे नाचगान करैत महिलासभ
अन्य नामतीज
समुदायहिन्दु महिला
पूजन सम्बन्धित रङ्गलाल
महत्ववर्षभरिक पापसँ मुक्ति
पावनिसभसप्तऋषिक पूजा, स्नान, नाचगान, व्रत

पौराणिक कथन सम्पादन करी

श्रीमद्भागवत, गरुड पुराण लगायत अन्य पुराणसभमे लिखल अनुसार देवराज इन्द्रक ब्रह्महत्यासँ भेल पापक मुक्त करैके लेल चाईर भाग लगा एक भाग नारीसभक मासिक रक्तमे प्रवेश कराके ओहीके कारण ओ सभ चौथा दिनतक अशुद्ध रहैत अछि। एही रजस्वलासँ ही नारीसभमे सन्तानोत्पादन करैके शक्ति उत्पन्न भेल मानल जाइत अछि। सम्पूर्ण मानवीय चक्रक सुरूआत ही नारीक मासिक रजस्वलासँ सुरू होइत अछि।

व्रतकथा सम्पादन करी

पर्व सम्पादन करी

व्रतविधि सम्पादन करी

सन्दर्भ सामग्रीसभ सम्पादन करी

बाह्य जडीसभ सम्पादन करी

एहो सभ देखी सम्पादन करी