रमेश क्षितिज (अङ्ग्रेजी: Ramesh Kshitij) नेपाली साहित्यक समकालीन धारा (२०४० पछा) कऽ सशक्त साहित्यकार अछि। कविता विधात तरफ मात्र नै रहि कथा आ गीतलेखन तरफ सेहो ओहिने सक्रिय आ उत्कृष्टता प्रदान करऽमे सफल क्षितिज कविकऽ रूपमे चिन्हल जाइत अछि। समसामयिक नेपाली कविताक टडकार सुइन स्वरसभक पङ्क्तिमे ओ सबसँ अगाडि आबैक सामर्थ्य राखैत छथि।[]

रमेश क्षितिज
जन्म
राष्ट्रियतानेपालनेपाली
शिक्षाएल.एल.एम.
व्यवसायलेखन, निजामती सेवा
प्रसिद्धि कारणकविता, कथा, गीत

सुरुवाती जीवन

सम्पादन करी

सन् १९६९मे सल्यान जिलामे जन्मल जीवनक बाल्यकालिन समय दाङक हेकुली गाविसक मिरौलीमे बिताएक क्षितिज कक्षा ४मे पढ़ैत पहिल बेर कविता आ कक्षा ६मे पढ़ैत काल नाटक लीखने छल । सिद्धजनता मावि, श्रीगाउँसँ प्रवेशिकाधरीक शिक्षा ल्या उच्चशिक्षा अध्ययन नेपाल ल क्याम्पस, काठमाणडूसँ शुरु कऽ त्रिभुवन विश्वविद्यालयसँ स्नातकोत्तर (एल.एल.एम) पुरा केलक।

 
स्वेच्छिक अवकाश लिएर घर फर्किरहेको पूर्व लडाकुले
बिर्सिहिँडेछ बाटोछेउको झुपडीजस्तो चियापसलमा
पसिना पुछेर राखेको रुमाल।

"लडाकुको रुमाल", (घर फर्किरहेको मानिस)

कार्य जीवन

सम्पादन करी

वि.सं. २०५६ सालसँ सरकारी सेवामे प्रवेश करैक क्षितिज विशेषतः कविता, गीत तथा कथा विधामे कलम चलाने छल। स्थानिय विकास अधिकारीक रूपमे दूरदराजक गाउसभमे विकास निर्माणक काममे सन्लग्न भऽ, जनयुद्ध क्षतविक्षत भौतिक संरचनासभक पुनर्निर्माण कार्य करऽ क्रममे अनेकौ व्यक्तिसभक संसर्गमे पहुचल भेटल लडाकु होई या कोनो प्राकृतिक छटामे, या विदेश भ्रमणक बेरमे भेटल विदेशी लोकनिसभ, ओहि बखत उत्पन्न मानवीय भावना, सम्वेदनाके कवि अपन कवितासभमे व्यक्त केने अछि :

 

भोलि – म हुनेछैन तिम्रो सहरमा
फर्किनेछु आफ्नै देश जसरी फर्किन्छ बतास
सुस्तरी छोएर चेरीका फूलहरू

जसरी फर्किन्छन् लहरहरू समुद्रका किनारबाट

कि त्यसरी - जसरी फर्किन्छ साँझको पक्षी आफ्नै गुँडमा

"टोकियोमा एक दिन", (घर फर्किरहेको मानिस)


"तिर्खाएको काकाकुल सरी भएँ, कुनै नमिठो भुल सरी भए.." राजेशपायल राईद्धारा स्वरबद्ध इ गीत २०४७ सालमे रेडियो नेपालमे पहिलबेर रेकर्ड भेल छल। राजेशपायल राईके आवाजमे दोसर गीत "नमाग मसंग सहारा नमाग, भुईंमा छु आकाशका जुनतारा नमाग .." गीत वि.सं २०५० सालमे रेडियो नेपालमे क्षितिज सर्वोत्कृट गीतकारक दर्जा देबऽमे सफल भेल छल।

बटुवा हे मान्छे भन्नु यो संसारमा
जुनजस्तै चम्की हिड अन्धकारमा
बग्छ आँशु एकान्तमा बगी जान देऊ
खुशी तर बोकी हिड अनुहारमा

"क्षितिज" गीति एलबममे समावेश करि अन्जु पन्तक स्वरमे रहल इ गीत कहल जहिना अपन सिर्जनासभमे आशा, दार्शनिक चेतना, नव विचारसभ एवम सकारात्मक भावना जगावैत आशावादी सन्देश देबऽ चाहैत क्षितिजक करीब १०० गीत रेकर्ड भेल अछि तहिना रेडियो नेपालमेमात्र २५ टा गीत रेकर्ड भेल अछि।[]

कुभिण्डे दह


राजकुमारीजस्ती युवती जून
ओर्लिन्छे आकाशबाट
कहिले यो कुना, कहिले ऊ कुना
रातभरि नुहाइरहन्छे
यो पोखरीमा - निर्वश्त्र, निर्वश्त्र !
जुनेलीको जादुगरी छडीले छोएर
बिउँझाउँछे
छेउमा सुतेको राजकुमार पहाड
र बिहानीको रेसमी रुमाल सुकाएर डाँडामा
हराउँछे आफू - कहाँ हो कहाँ !
दिनभरि झोक्राएर पहाड
हेरिरहन्छ यही ऐनामा अनि
आफ्नो उदास अनुहार !


(कुभिण्डे दह : सल्यानमे रहल एक ताल)

(अर्को सांझ पर्खेर सांझमा" कविता संग्रहबाट)

लेखन एवम प्रकाशन / मुख्य कृतिसभ

सम्पादन करी

कविता संग्रहः

सम्पादन करी

१. अर्को साँझ पर्खेर साँझमा, पहिल मुद्रण २०५७, दोस्रो मुद्रण २०६९
२. घर फर्किरहेको मानिस [] सङ्ग्रहित २०१५-०४-१९ वेब्याक मेसिन[],पहिल मुद्रण भाद्र २०६९, दोस्रो मुद्रण पौष २०६९, तेस्रो मुद्रण २०७०

गीति संग्रह:

सम्पादन करी

१. आफै आफ्नो साथी भए, वि.सं. २०६३[]

गीति एल्बम:

सम्पादन करी

१. क्षितिज, वि.सं. २०६८[][]

प्रकाशोन्मुख कृतिः

सम्पादन करी

१. उस्तै छु म (कथा संग्रह)

पुरस्कार तथा सम्मान:

सम्पादन करी
  • वि.सं. २०५० : सर्वोत्कृष्ट गीतकार, रेडियो नेपाल
  • वि.सं. २०५१ : प्रथम, राष्ट्रिय कविता महोत्सव, नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान
  • वि.सं. २०६८ : राप्ती साहित्य पुरस्कार
  • वि.सं. २०६९ : राप्ती म्युजिक अवार्ड[]
  • वि.स. २०६८ : मोहन स्मृति सम्मान[]
  • वि.सं. २०६९ : उत्कृष्ट निजामती पुरस्कार, नेपाल सरकार[१०]
  • वि.सं. २०७० : स्थानीय विकास अवार्ड

प्रशन्सकसभ

सम्पादन करी
 
मिति २०६९ साल माघ २७ गते धरानमे प्रशंसकसभमाझ कविता वाचन करैत कवि
 
दर्शकदीर्घा

"तहिना तऽ, कवि बुद्धजहिना अछि आ कविता लेखन एकप्रकारक विपश्यना नै छी। बुद्धजहिना कविके ध्यानजहिने लेखनमार्फत भेटेल काव्यिक आर्यसत्यसभ्के मानिसक हृदयके हल्लावैत जाइत अचम्मक क्षमता बोकने होइत अछि । कविताक एक हरफ जीवनक रस्ता बदलैत अछि। कविताक एक पंक्ति आन्तरिक शक्ति आ अथाह उर्जा भरि सकैत अछि " [११]। ~ (पहिल प्रेम आ प्रिय कविताक आत्मकथा, घर आवैतकाल लोकसँ) कहैत तपस्वीजहिना लाइग ओ सन्त कवि रमेश क्षितिजक गीत कविता तथा कथासभ पढिलापश्चात मिति २०६९मे स्थापित प्रशन्सकसभके समूह छि "फ्यान क्लब अफ रमेश क्षितिज (Fan Club of Ramesh Kshitij)"[१२],[१३],[१४],[१५] ई क्लब मिति २०६९ साल माघ २७ गते होटल रत्न इन, धरानमे कविक एकल कविता वाचन कार्यक्रम "क्षितिजक कवितासभसंग हम" आयोजना केने छल। अहि विधामे कोनो साहित्यिक संगठनमे आबद्ध नैरहल प्रशंसकसभद्धारा अहि प्रकारक कार्यक्रमक आयोजना करि राष्ट्रमे पहिलबेर छि।[१६]

अन्तर्वार्तासभ:

सम्पादन करी

कविक अन्य लेखसभ

सम्पादन करी

सन्दर्भ सामग्रीसभ

सम्पादन करी
  1. "आफैतिर फर्किरहेको मानिसको कविता, हरि अधिकारी, नेपाल, आइतबार, २०६९ असोज २१"मूलसँ 2013-09-25 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2017-02-18 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  2. सय गीतछा एल्बम, नागरिक, आइतबार, २०६८ पुष २४ (२०१२ जनवरी ८)
  3. घर फर्किरहेको मानिस, फाइनप्रिन्ट, काटमाडौं, नेपाल.
  4. "'घर फर्किरहेको मानिस'को विमोचन"मूलसँ 2013-10-07 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2017-02-18 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  5. "कृति समीक्षा, अनलाईन नेपाली साहित्य मंच, कृति समीक्षा, अनलाईन नेपाली साहित्य मंच, २००६ डिसेम्बर १०"मूलसँ 2013-10-07 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2017-02-18 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  6. क्षितिज लिएर क्षितिज, कान्तिपुर दैनिक, २०६८ असोज २६, (२०११ अक्टोबर १३)
  7. "सन्तोष र रमेशको 'क्षितिज' विमोचन"मूलसँ 2013-10-07 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2017-02-18 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  8. "म्यूजिक अवार्ड– २०६९मा गीतकार रमेश क्षितिजको "क्षितिज" सर्वोत्कृष्ट, 2012 August 12"मूलसँ 2013-09-28 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2017-02-18 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  9. क्षिजितके मोहन रेग्मी सम्मान, कान्तिपुर, सोमबार २०६९ असोज १ (२०१२ सेप्टेम्बर १७)
  10. उत्कृष्ट निजामती पुरस्कार न्यौपानेके, नयां युगबोध, September 10, 2012
  11. शव्दसँ कुछ दुर (अनुभूति), कान्तिपुर, शनिबार, २०६९ असोज २७
  12. फ्यान क्लबमा कवि, हिमाल खबर पत्रिका
  13. "धरानमे क्षितिजक कविता, गोपाल दाहाल, Onlinekhabar.com"मूलसँ 2013-09-27 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2017-02-18 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  14. "फ्यान क्लब अफ रमेश क्षितिज-रमेश क्षितिज/कवि, सौर्य दैनिक, शनिबार, ४ ज्येष्ठ २०७०"मूलसँ 2013-09-27 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2017-02-18 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  15. "धरान गेला , रमेश क्षितिज, कान्तिपुर,कोसेली, शनिबार २०६९ फाल्गुन ५"मूलसँ 2013-09-27 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2017-02-18 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  16. धरानमे रमेश क्षितिजक एकल कविता वाचन, विश्वस्त सूत्र साप्ताहिक, मंगलबार २०६९ माघ १६

बाह्य जडीसभ

सम्पादन करी

एहो सभ देखी

सम्पादन करी