मोतीराम भट्ट
मोतीराम भट्ट (१९२३ भदौ २५ - १९५३) नेपाली साहित्यक प्रथम गजलकार, जीवनीकार, समलोचक तथा माध्यमिक कालक प्रवर्तक छल। कमै बाइच नेपाली साहित्यमे अत्यन्तै ढेर योगदान पुर्यावल ओ नेपाली साहित्यक प्रेरक व्यक्तित्व, कुशल नायक आ होनहार प्रतिभा मानैत अछि। १९४० सँ १९७६ सालधरिक नेपाली साहित्यमे श्रृङ्गारिक धाराक सुरुवातकर्ता मोतीराम भट्ट छल।
मोतीराम भट्ट | |
जन्म: | वि० सं० १९२३ भदौ २५ गते काठमाडौं |
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मृत्यु: | वि० सं० १९५३ काठमाडौं |
कार्यक्षेत्र: | लेखन, पत्रकारिता |
राष्ट्रियता: | नेपाली |
भाषा: | नेपाली |
विधा: | गद्य तथा पद्य |
विषय: | कविता, जीवनी, निवन्ध |
मोतीराम भट्ट नेपाली साहित्यामे भानुभक्त आचार्य पछा आवैंल सशक्त व्यक्तित्व छी। उनकर नेपाली भाषा साहित्यमे समालोचनाक सुरु कैर; भट्ट नै संवत् १९४८मे कवि भानुभक्त आचार्यक जीवनचरित्रके प्रकाशमे लबल्क। कवि भानुभक्त आचार्यक जीवन चरित्रमे मोतीराम भट्ट प्रभाववादी ढङ्सँ व्याख्यात्मक रूपमे भानुभक्तबारे प्रशंसा करल गेल मानैत अछि। अपन खोजल कविके प्रतिभा सम्पन्न तथा सहज कवि छल माने प्रमाणित कैर उनकर ओही जीवनचरित्रमे भानुभक्त रचल कहैत जताततै फुटकर सिलोकसभ देखल गेल कहैत अछि।
सुरुवाती जीवन
सम्पादन करीमोतीराम भट्टक जन्म १९२३ साल कुशेऔसीका दिन भदौ २५ गते,शनिदिन काठमाडौँक भोसिक टोलमे भेल छल। मोतीराम भट्टक वंश कुमाउगढसँ आएल अछि । मोतीराम भट्ट पण्डित दयाराम भट्ट आ रिपुमर्दिनीदेवी भट्टक माझला सुपुत्रक रूपमे जन्मेल छल। भट्ट दम्पतिक प्रथम पुत्रचाहि जन्मनासाथ दिवङ्त भेल छल। मोतीराम भट्टकें दीर्धजीवी राख्न उनकर मातापिता हिनका नाकक दाहिना पोरा छेदने छल । मोतीराम भट्ट ५ वर्षक उमेर अक्षरारम्भ केने छल। ६ वर्ष भेला वाद ई काशी गेल छल । ओहीबखत हिकर पिता पं. दयाराम भट्ट माता रिपुमर्दिनीदेवी विशेष कामसे काशी रहित छल। ओकरवाद मोतीराम भट्टक शिक्षाक प्रारम्भिक जग काशीमे नै रहैल लगल। ओत ई फारसी स्कूलमा भर्ना भऽ आ ओतहि रहितरहै हिनका फारसी आ उर्दू पढे लाग्ल। काशीमे हिनकर भेट भारतेन्दु हरिश्चन्द्रसग भेल, भारतेन्दु मोतीराम जना प्रख्यात छल। भारतेन्दुसग गहकिलो सङगत करै उनकर नेपाली साहित्यक सेवा केलक आ ई पढाइमे सेहो समर्पित छल। मोतीराम पछा फारसी, उर्दूक अतिरिक्त संस्कृत, हिन्दी, अङ्ग्रेजी भाषामे सेहो दक्ष भऽ लगल। बनारसमे हिनका हरिश्चन्द्र स्कूलमे अङ्ग्रेजी भाषासाहित्यक अध्ययन केने छल। आठ वर्षक उमेरमे बनारसमे नै हिनका व्रतबन्ध केलक।
बनारस रहितकाल हिनका गजल गावैंल आ सितारवादन सिकलक। बनारसक प्रसिद्ध सितारवादक पन्नालालसँ हिनका सितार बजवैल आ गीत गावैंल सिकने छल। करिब आठ वर्ष बनारस बसेर ई १९३७ सालमे पुनः काठमाडौँ आएल। ओहि साल हिनका १५ वर्षक उमेरमे विवाह केलक । विवाहपछा ई कुछ दिन काठमाडौमे रहल। ओहिबखतसे उनकर नेपाली भाषामे लिखल गेल मीठामीठा गीत, कविता, भजन आ गजल सुनैल वञ्चित छल। बनारसमे रहित काल हिनका चार सय शायरीसभ लिखने छल मुदा ओही बखत उनकर नेपाली गीत, कविता आ गजल नै छल। ओहि बखत उनकर नरनारीक युगलरदोहरीरजुहारी गीत सुनैल पावल। वास्तवमा ओहि बखत सुनल रसिया गीतकें ई मोहित सेहो भेल । तहिना उनकर मीठा गीतसभके हृदयमे रोप्न छागेल, मस्तिष्कमे खेलावैं लगल आ स्वरद्वारा प्रस्तुत करै लगल।
साहित्ययात्रा
सम्पादन करीदरबार हाई स्कूलमे अध्ययन करैत खाल मोतीराम भट्ट नामी भेल छल। ई पढाइमे सेहो तेजिला छल। हुनकर दरबार हाई स्कूलक दशम कक्षामे अध्ययन करै बखत अर्थात् १९४८ सालमे बेलायतसँ नेपाल-भ्रमणमे आएल लर्ड राबर्ट प्रधानमन्त्री चन्द्रशमशेरसग दरबार हाइस्कूलक निरीक्षणमे गेल छल। ओही बखत स्कूलक प्रथम विद्यार्थी मोतीराम भट्ट कह चन्द्रशमशेर परिचय करलसाथ ई पाहुनाके खडाभेल मोतीरामके अपन हातसँ मेच दऽ बैसल कहलक।
सेवा, पेसा आ संलग्नता
सम्पादन करी- १. मोतीमण्डलीक स्थापना(१९३७)
- २. समस्यापूर्तिक आरम्भकर्ता(१९३७)
- ३. भारत जीवन प्रेसक संस्थापक(१९४४)
- ४. मोतिकृष्ण धीरेन्द्र कम्पनीक संस्थापक(१९५०)
- ५. पाशुपत छापाखानाक संस्थापक(१९५०)
सम्मान/पुरुस्कार
सम्पादन करी- १. युवाकवि
- २. भारतेन्दु हरिश्चन्द्रसँ नगद पुरुस्कार
अन्तिम दिनसभ
सम्पादन करी१९५० सालमे ई कलकत्तामे एए.आईए परीक्षामे सम्मिलित भेल। ओइ परीक्षामे ओ अनुत्तीर्ण भेल। तहिना कुछ खिन्न भावना रैख ओ १९५२ सालमे पुनः कलकत्ता गेल। ओहीबखत ओ निथला परल। कुछ समयपछ ओ अशक्त शरीर लऽ काठमाडौ आएल। सात महिना ओछयानमा थला परल कुशे औसीमे एकतीस वर्ष के दिन ओ १९५३ सालमे काठमाडौ पशुपति आर्यघाटमा स्वर्गीय भेल।