व्याकरण जाहिसँ भाषाक शुद्ध लेखन, वचन आ प्रयोगक शुद्ध होयक जानकारी भेटैय ओ व्याकरण थिक । ई पांच प्रकारक होइत अछि । जे अछि

वर्ण विचार सम्पादन करी

वर्ण जाहि शब्द के खण्डित नहि कएल जाए सकए ध्वनि वर्ण कहवैत अछि । एकरा वर्ण अक्षर सेहो कहल जाइत अछि । भाषामेजाहि वर्ण वा अक्षरक प्रयोग कएल जाए ओ ओहि भाषाक वर्णमाला कह्वैत अछि ।

अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ ए ऐ ओ औ अं अः क ख ग घ ङ । च छ ज झ ञ । ट ठ ड ढ ण । त थ द ध न । प फ ब भ म । य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ।

स्वर सम्पादन करी

जाहि वर्णक उच्चारणमे कोनो दोसर वर्णक उच्चारण नहि होइत अछि ओ स्वर वर्ण थिक । जेना - अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ ए ऐ ओ औ अं अः ।

व्यंजन सम्पादन करी

जाहि वर्णक उच्चारणमे स्वर वर्णक आवश्यकता अछि ओ व्यंजन वर्ण कह्वैत अछि । जेना - क ख ग घ ङ । च छ ज झ ञ । ट ठ ड ढ ण । त थ द ध न । प फ ब भ म ।


  • अन्त्यस्थ वर्ण - य र ल व
  • ऊष्म वर्ण - श ष स ह

उच्चारण स्थान भेद सँ वर्णक निम्नलिखित भेद अछि-

  • कण्ठय- जाहि वर्णक उच्चारण कण्ठ सँ होइछ - अ आ क ख ग घ ङ ह तथा विसर्ग ।
  • तालव्य- जकर उच्चारण तालु सँ होइछ - इ ई च छ ज झ ञ य तथा श ।
  • मुर्द्धन्य- जकर उच्चारण मुर्द्ध सँ होइछ - ऋ ॠ ट ठ ड ढ ण र तथा ष ।
  • दन्त्य- जकर उच्चारण दन्त सँ होइछ - त थ द ध न ल तथा स ।
  • ओष्ठय-जकर उच्चारण ओष्ठ सँ होइछ- उ ऊ प फ ब भ तथा म।
  • अनुनासिक- जकर उच्चारण नाक सँ होइछ- ङ ण न म आ अनुस्वार चन्द्रबिन्दु।

शब्द विचार सम्पादन करी

वाक्य विचार सम्पादन करी

चिन्ह विचार सम्पादन करी

छन्द विचार सम्पादन करी

सन्दर्भ सामग्रीसभ सम्पादन करी

बाह्य जडीसभ सम्पादन करी

एहो सभ देखी सम्पादन करी