मिथिला राज्य आन्दोलन

भारत में प्रस्तावित पृथक मिथिला राज्य के लेल आन्दोलन

मिथिला राज्य आन्दोलन भारत में अलग मिथिला राज्यक मांग के लेल ३०० वर्ष पुरान आन्दोलन अच्छ। एहि आन्दोलनकेँ तखन गति भेटल जखन १९०२ ई. मे ब्रिटिश भारतीय सरकारक अधिकारी सर जार्ज ग्रियर्सन भाषा आधारित सर्वेक्षण कए मिथिला राज्यक नक्शा तैयार कएलन्हि। जखन कि १८८१ ई. मे ब्रिटिश इंडिया सरकारक शब्द कोष मे सेहो मिथिला शब्द जोड़ल गेल। प्रस्तावित मिथिला राज्य में अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. धनाकर ठाकुर के अनुसार बिहार के २४ जिला एवं झारखंड के ६ जिला मिलाक कुल ३० जिला के शामिल क्याल गेल छै, जकर आबादी लगभग सात करोड़ यही। एकरऽ साथ ही ई क्षेत्रफल ७० हजार वर्ग किमी छै ।

भारत में प्रस्तावित मिथिला राज्यक क्षेत्र

१९१२ मे जखन एकटा नव बिहार प्रांत बंगाल प्रेसीडेंसी स अलग भ रहल छल तखन मिथिला के जनता सर जार्ज ग्रियर्सन के १९०२ के भाषा आधारित सर्वेक्षण के आधार पर अलग मिथिला राज्य के मांग केलक मुदा एहि मांग के नजरअंदाज क के ब्रिटिश भारत सरकार दबे देलक ई कहैत जे भविष्य में बिहार दूटा आओर राज्य ओडिशा आ मिथिला मे बं‌टल जाएत। १९२१ मे दरभंगा राजक महाराजा रामेश्वर सिंह “एक केन्द्र सरकार द्वारा संघीकृत स्वशासित प्रांत आ रियासतक श्रृंखला” बनेबाक अवधारणा पर पृथक मिथिला राज्यक मांग उठौलनि। १९३६ मे ओडिशा बिहार स अलग भ गेल मुदा अलग मिथिला राज्य क मांग अनदेखी बनल रहल। भारत १९४७ में स्वतंत्र भेल, आ १९५० सं १९५६ धरि भाषा के आधार बना क बहुत रास राज्य बनल । मुदा अलग मिथिला राज्य फेर अनदेखी कएल गेल। मिथिलाक जनता एहि बात केँ देखैत बहुत आहत भेल जे एहि पर कियो ध्यान नहि देने छल, आ १९५०-१९५२ धरि एकटा छोट सन आन्दोलन होबय लागल। सन् १९५२ मे डा. लक्ष्मण झा अलग मिथिला राज्य लेल एकटा पैघ आन्दोलन शुरू केलनि। बाद मे ओ केवल मिथिला-मैथिली लेल काज केलनि। मिथिला केसरी स्व.जानकी नंदन सिंह अलग मिथिला राज्यक मांग उठौलनि लेकिन कांग्रेस पार्टी पृथक मिथिला राज्य निर्माण के विरोधी छल ताहि ओ १९५४ मे कांग्रेस पार्टी मे विरोध व्यक्त कयलनि आ १९५६ मे देशक पहिल प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू केँ अलग मिथिला राज्यक लेल महत्वपूर्ण दस्तावेज सौंप देलनि। १९९६ के मार्च में मिथिला राज्य संघर्ष समिति अलग मिथिला राज्य के मांग के लेल जनसंपर्क अभियान शुरू केलक, आ ओही वर्ष जुलाई महीना में मिथिलांचल विकास कांग्रेस मिथिला के लेल स्वायत्त विकास परिषद के गठन के मांग केलक। तहिना २००१ मे झारखंड बिहार स अलग भ गेल मुदा फेर स अलग मिथिला क मांग अनदेखी कैल गेल। झारखंड राज्य के पृथक्करण के बाद बिहार के पूर्व महाधिवक्ता, बिहार विधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा नेता पं. ताराकान्त झा, ४ अगस्त २००४ केँ एकटा प्रेस कॉन्फ्रेंस मे अलग मिथिला राज्यक लेल आन्दोलनक घोषणा कयलनि। भाजपा सँ निष्कासित भेलाक बाद ओ मिथिला आन्दोलनक वकालत करैत रहलाह, मुदा विधान परिषदक सदस्य बनैत देरी आन्दोलन केँ रोकि देलनि। मई २०१४ मे हुनकर निधन भ गेलनि। २०१५ मे क्रिकेटर सा भाजपा सांसद बनल कीर्ति झा आजाद मैथिल लेल अलग मिथिला राज्य बनेबाक मांग केलथि। हुनकर अनुसार "मिथिला अलग देश नहि त अलग राज्य हेबाक चाही"। उत्तर बिहार मे मैथिल लेल अलग मिथिला राज्यक पुरान सपना पूरा करबाक लेल ओ भारतक संसद मे एहि मुद्दा केँ उठौलनि। २०१९ में विद्यापति सेवा संस्थान द्वारा दरभंगा में आयोजित ४७वा विद्यापति महोत्सव समारोह में भाजपा के तीनटा नेता, दरभंगा स गोपाल जी ठाकुर सांसद, मधुबनी स अशोक कुमार यादव सांसद एवं दरभंगा नगर स संजय सरावगी विधायक अलग मिथिला राज्य के मांग उठेलक । सरकारसँ भीख मांगबाक विपरीत, लड़ाई सँ मिथिला राज्य लेबाक कथन कएलन्हि। अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति पछिला कतेको वर्ष सँ भारतक संसदक प्रत्येक अधिवेशनक पहिल दिन पृथक मिथिला राज्यक लेल लगातार धरना करैत आबि रहल अछि। अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समितिक राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. वैद्यनाथ चौधरी "बैजू" कहला कि बिना सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं भाषाई स्वतंत्रता के मिथिला क्षेत्रक विकास असंभव अछि।

सम्बन्धित संगठन

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मिथिला राज्य आन्दोलनक मुख्य भूमिका अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद', 'मिथिला राज्य निर्माण सेना', 'संयुक्त मिथिला राज्य संघर्ष समिति' आ 'मिथिला स्टूडेंट यूनियन' द्वारा कयल जा रहल अछि।

  • अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के स्थापना १९९० में भेल छल। जयकान्त मिश्र के संग डॉ बैधनाथ चौधरी "बैजू", डॉ धनाकर ठाकुर आ अमरनाथ झा "बक्षी" के संग मिथिला राज्य संघर्ष समिति के गठन कयल गेल, जाहि सँ उत्तर बिहार के जनता के लेल पृथक मिथिला राज्य के निर्माण भ सकय । २००९ में जयकांत मिश्र के निधन भ गेलनि। वर्तमान में डॉ बैधनाथ चौधरी "बैजू" संस्था के संस्थापक सदस्य आ राष्ट्रीय अध्यक्ष छथि। ओ पिछला कई साल सं लगातार भारतीय संसद के हर सत्र के पहिल दिन अलग मिथिला राज्य के लेल धरना करैत आबि रहल छथिन्ह। ई प्रदर्शन आम तौर पर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली केरऽ जंतर मंतर म॑ आयोजित करलऽ जाय छै । संस्थाक मौलिक एजेंडा भारतीय संविधानमे पृथक मिथिला राज्यक निर्माण, प्राथमिक आ माध्यमिक स्तर धरि मैथिली भाषा में अध्ययन, मिथिलाक्षर लिपिक संरक्षण आ प्रचार-प्रसार अछि।
  • अन्तराष्ट्रिय मैथिली परिषद्क स्थापना २० जून १९९३ केँ राँचीक मेकन सभागारमे पहिल अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलनक क्रममे भेल छल। एहि परिषदक संस्थापक आ राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. धनाकर ठाकुर आ एहि परिषदक केन्द्रीय अध्यक्ष जयनगरक प्रोफेसर कमल कांत झा छथि। ई परिषद् सम्पूर्ण भारत आ नेपालक तराई क्षेत्रक ७ जिलामे पसरल अछि । एहि संस्था द्वारा ३२ टा अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन, ७ टा प्रांतीय सम्मेलन आ ८० टा मैथिल कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर केर आयोजन कएल गेल अछि। २५ उप-इकाई केंद्रीय कार्यक्रम आ परिषद क विस्तार लेल काज क रहल अछि। एहि मे मिथिला राज्य संघर्ष समिति, आदर्श मिथिला पार्टी, मैथिली साहित्यिक मंच, मिथिला मुस्लिम मंच, युवा मंच, महिला मंच आदि प्रमुख अछि। भारतक संविधानक अष्टम अनुसूची मे मैथिली केँ स्थान आ झारखंड मे मैथिली केँ दोसर राजभाषा बनेबा मे एहि परिषदक योगदान सर्वोपरि रहल अछि। आब परिषद अलग मिथिला राज्य निर्माण आन्दोलन पर सक्रिय रूप सँ काज कय रहल अछि।
  • मिथिला स्टूडेंट यूनियन बिहारक मिथिला क्षेत्रक सबस पैग छात्र संघ अछि। एकर स्थापना २०१५ मे मिथिला क्षेत्र मे शिक्षा व्यवस्था, रोजगार, पलायन क मुद्दा, साक्षरता, स्वास्थ्य सुविधा क स्थिति, आ लघु उद्योग क कमी मे सुधार क लेल कैल गेल छल। पहिने के वर्ष में मिथिला विकास बोर्ड के मांग पर संस्था प्रदर्शन केलक। आइकाईल संस्था अलग मिथिला राज्य के निर्माण के अपन प्रमुख एजेंडा के रूप में बना लेने अछि | संस्था ट्विटर, फेसबुक आदि सोशल मीडिया पर #MithilaRajya के लेल हैशटैग ट्रेंडिंग शुरू केलक अछि। ४ जुलाई २०२२ के ट्विटर पर #MithilaRajya संस्था आ मिथिला के जनता द्वारा दोसर स्थान पर ट्रेंड केल गेल।
  • मिथिला राज्य निर्माण सेना एकटा सामाजिक एवं राजनीतिक संगठन अछि जे बिहारक मिथिला क्षेत्र में अलग मिथिला राज्य के स्थापना के मांग करैत अछि । भारत में प्रस्तावित मिथिला राज्य के गठन के लेल समर्थन प्राप्त करय लेल बिहार में मिथिला क्षेत्र के जनता के जोड़य आ पुनर्गठित करय लेल मिथिला पुनर्जागरण यात्रा के नाम सं जानल जाय वाला आन्दोलन शुरू केलक अछि। महासचिव राजेश कुमार झा के नेतृत्व में २६ नवम्बर २०२१ के शुरू भेल। यात्रा पाँच चरणमे बाँटल गेल छल । एहि यात्राक उद्देश्य मिथिलाक विभिन्न भागक जनता केँ जोड़ब आ पृथक मिथिला राज्यक मांगक अवधारणा केँ प्रचारित करब छल। एहि यात्राक पहिल लक्ष्य छल भारतक आगामी जनगणना मे मैथिली केँ मिथिलाक लोकक मातृभाषाक रूप मे दर्ज करब। पहिल चरणक यात्रा मिथिलाक मधुबनी जिलाक फुलहार गाम सँ शुरू भेल छल। सहरसा जिला के महिषी स्थित उग्रतारा स्थान मंदिर स २ जनवरी २०२२ स यात्राक दोसर चरण शुरू क्यालगेल । यात्राक प्रमुख नारा छल "ले जान कि दे जान" आ "जनगणना मे मैथिली आ संविधान मे मिथिला"। महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल कॉलेजक सभागार मे रविदिन अप्रैल २०२२ मे मिथिला राज्य आन्दोलन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी केर आयोजन कएल गेल छल। महासचिव राजेश झाक अनुसार चारि सत्र मे गोष्ठी केर आयोजन कैल गेल छल।प्रथम केर विषय गोष्ठी के सत्र में मिथिला राज्य आन्दोलन के दशा आ दिशा छल।दोसर सत्र के विषय छल मिथिला राज्य के सांस्कृतिक एकीकरण। तेसर सत्र में मिथिला के आर्थिक विकास के संभावना के विषय पर चर्चा भेल।
  • मैथिल महासभा के स्थापना १९१० ई में दरभंगा राज के महाराजाधिराज रामेश्वर सिंह केने छलाह। ओ १९२१ ई. मे अलग मिथिला राज्यक मांग उठौलनि।
  • विद्यापति सेवा संस्थान
  • मिथिला राज्य संघर्ष मोर्चा
  • अखिल भारतीय मिथिला पार्टी

आन्दोलन के मुख्य मांग

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आन्दोलनक प्रमुख मांग अछि

  • बिहार स अलग मिथिला राज्य के स्थापना।
  • भारतीय संविधान के अष्टम शेड्यूल में मैथिली भाषा के मान्यता। ई मांग भारतक संसद द्वारा २००३ मे पूरा कएल गेल छल।
  • बिहार सरकार मिथिला क्षेत्र के सब सरकारी कार्य में आ सब कार्यालय में मैथिली भाषा के द्वितीय राजभाषा के रूप मे दर्जा देलजाय। कारण भारतीय संविधानक अष्टम अनुसूची मे बिहारक मैथिली भाषा मात्र शामिल भेल अछि।
  • बिहार के मिथिला क्षेत्र के सब स्कूल में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मातृभाषा मैथिली में देलजाय।
  • मिथिलाक्षर लिपि के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार।
  • मिथिला क्षेत्र में हर साल आबय वाला विशाल बाढ़ि के आपदा स स्थाई समाधान।
  • मिथला क्षेत्र मे औद्योगिक क्षेत्र बनाबय के चाही, जाहि सं मजदूर के पलायन कम सं कम भ सकय. क्षेत्र मे कृषि आधारित आ पर्यटन आधारित उद्योगक कें बढ़ावा देनाय.