बौद्ध वास्तुकला
बौद्ध धार्मिक वास्तुकला ३ शताब्दी इसा पूर्वमे भारतीय उपमहाद्वीपमे विकसित भेल छल।
तीन प्रकार संरचनासभकक पहिनुक बौद्ध धर्मक धार्मिक वास्तुकलाक साथ जुडल रहल अछि: मठसभ (विहार), स्थानसभक अवशेष (स्तूप), आ धार्मिक स्थलसभ वा प्रार्थना हल (चैत्याज सेहो चैत्य गृह कहल जाइत अछि), जे बादमे किछ स्थानसभमे मन्दिरसभ कहल जाइ लगल ।
विहार शुरूमे बरसातक मौसमक दौरान भिक्षुसभक भटकद्वारा प्रयोगक लेल अस्थायी घरसभमे छल, मुद्दा बादमे बढि रहल अछि आ द्रुत गतिसँ औपचारिक रूपसँ बौद्ध मठसभसँ समायोजित करै कऽ लेल विकसित कएल गेल। एक मौजूदा उदाहरणक नालन्दा (बिहार) मे अछि। किला वास्तुकलाक एक विशिष्ट प्रकार हिमालयक पूर्व आ वर्तमान बौद्ध राज्यसभमे पावल गेल जोङ्स छी।