पौराणिक बृद्धकेदार

पौराणिक बृद्धकेदार भारतवर्ष उत्तराखण्ड राज्यक अल्मोड़ा जिलाक अन्तर्गत पाली पछांऊॅं इलाके मे रामगंगा नदी क पश्चिमी तट पर स्थित अछि। इसे बृद्धकेदार अथवा बूढ़ाकेदार सेहो कहल जाएत अछि । स्थानीय अनुभक्ताक मतानुसार ई वैदिक काल क शिवालय पहला नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मन्दिर का अंश समझल जाएत अछि तहिना दूसर दिस केदारनाथ मन्दिर क भाग। परन्तु ई सत्य अछि, विनोद नदी आ रामगंगा नदी क संगमसँ शुरू हुई पर्वत मालाक ऊत्तरी छोर पर केदारनाथ मन्दिर विराजमान अछि। भारतवर्षमे शायद एही एक शिवालय छी जत पर महाशिवक धड़ स्थापित अछि। एकर स्थापनाक अनुमान पन्द्रह अम सोलह अम शताब्दीक मध्यक मानल जाएत अछि ।[]

पौराणिक बृद्धकेदार
नाम
वास्तविक नाम:पौराणिक बृद्धकेदार शिवालय
अवस्थिति
स्थान:बृद्ध केदार,अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड
कला आ संस्कृति
मुख्य देवता:महाशिव
प्रमुख पर्व:महाशिवरात्रि व कार्तिक पूर्णिमा
वास्तुशैली:कत्यूरी काल
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
निर्माण तिथि:पौराणिक (अज्ञात)
निर्माणकर्ता:कई लोग, (पाठ देखें)
मन्दिर सञ्चालक:ग्राम-सभा अफौं व केदार

एक पौराणिक शिवालय छी।[] ई भगवान शंकरक आराध्य शिवालय क स्थापनाक कोई सटीक अनुमान प्राप्त नै अछि । ई साक्षात अछि ई रामगंगा नदी विनोद नदीक संगमसँ शुरू भेल पर्वत मालाक ऊत्तरी छोर पर केदारनाथ मन्दिर विराजमान अछि तथा प्राचीन काल मे केदारनाथ बद्रीनाथ जाए वाला तीर्थयात्री पहिल अत पर आराधना करैत छल । एहिसँ ई प्राचीन मार्ग अछि जेकर किनार तत्समयक अवशेष भग्नानशेष पावल जाएत छल । भारतवर्ष मे शायद ई एक शिवालय छी जहॉं पर महाशिवका धड़ स्थापित अछि। एकर स्थापनाक अनुमान पन्द्रहअम सोलह अम शताब्दीक मध्यक मानल जाएत अछि ।

पौराणिक महिमा आ मान्यतासभ

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ई एकटा पौराणिक शिवालय होएबाक संग-संग मान्यतासभ सेहो सारगर्भित अछि । विशेष रूप सँ ई शिवलय प्राचीन कालमे निसन्तान दम्पति सभक आराध्य केन्द्र होइत छल। बैकुंठ चतुर्दशीक विशेष महत्व अछि, एहि उपलक्ष्यमे एहिठाम प्रतिवर्ष कार्तिक मासक पूर्णिमाक दिन दूर-दूरसँ भक्तगण अबैत रहैत छथि। निःसन्तान दम्पति भरि राति रामगंगा नदीमे ठाढ़ भऽ, हाथमे दीप प्रज्वलित कऽ श्रद्धासुमनक संग शिव भक्तिमे लीन रहैत अछि। भोर भेला पर ओ दीपक रूपी साधना केँ रामगंगा मे प्रवाहित कऽ दैत अछि। अपन मनोकामनाक पूर्ति करबाक असुरपूर्ण अभिलाषा करैत अछि। तकर बाद महादेवक जलाभिषेक करैत अछि। कालान्तरमे निःसन्तान दम्पतिसभक साधना संगमक अपभ्रंश भऽ मेला भऽ गेल । आब एकरा कार्तिक मासक पूर्णिमाक मेला यानि केदारौ कौतिक (स्थानीय बोलीमे) कहल जाए लागल अछि।

महाशिवरात्रि पर्वक सेहो एहिठाम विशेष महत्व अछि।

सन्दर्भ सामग्रीसभ

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  1. "बूढ़ा केदार, उत्तराखण्ड"। 99uttarakhand.in। मूलसँ 2017-10-12 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 04 नवम्बर, 2017 {{cite web}}: Check date values in: |accessdate= (help)
  2. "पौराणिक शिव मन्दिर बृद्धकेदार मे श्रीब्रह्म महापुराण कथा महोत्सवक आयोजन शुरू भऽ गेल अछि "। दैनिक जागरण, उत्तराखण्ड परिशिष्ट। अन्तिम पहुँच 04 नवम्बर, 2017 {{cite web}}: Check date values in: |accessdate= (help)

बाह्य जडीसभ

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एहो सभ देखी

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