मोबाइल आ इन्टरनेट ई दुनियाँ मे जे परिवर्तन आनने हो से दोसर गप्प, मुदा हम दाबी सँ कहि सकैत छी जे हमर घर मे क्रान्ति जरूर आएल अछि. आब अहाँ लोकनिक काकी’क चुल्हा-चिनवार बिल्कूल “ग्लोबल” भ’ गेल अछि. ओ पूरे दुनियाँ’क सम्पर्क मे रहैत छथि आ नहि जानि केहेन केहेन प्रश्न पुछैत रहैत छथि. पहिने तऽ बात केवल केवल प्रश्ने टा तक सीमित छल मुदा आब बात ओहि सँ आगू निकलि गेल. पुरे दुनियाँ के छकाबे वाला अहाँक खट्टर काका आब काकी सँ हारि मानैत छथि. आब हम बुझए लागलहुँ जे भाँग हम खाइत छी आ ओ किएक बोतलाएल रहैत छथि? आई भोरे भोर चाह पीबाक काल काल मे हमरा पुछए लागलीह, “अहाँ ओसामा बिन लादेन’क बारे मे की जानैत छी?” हम कहलिअन्हि, “ओसामा के बारे मे कोनो बात आब नुकाएल अछि की?” हुनकर जवाब छलन्हि, “ओ अरब जगत के दोसर खट्टर काका छलैथ।” हमरा नहि बुझल छल जे हमर प्रतिद्वन्द्वी अफगानिस्तान के कबायली इलाका मे रहैत अछि. खट्टर काका आ ओसामा बिन लादेन मे समानता ताकब सबहक मजाल नहि. मुदा जखन कल्पना अपन चरम सीमा केँ पार कऽ जैत छैक तऽ ओहि ठाम सँ कल्पना कयनिहार’क बतहपन शुरु होइत छैक. अहाँक काकी’क हऽद जानबाक लेल हम हुनका खोदनाय शुरु केलहुँ. बूढ़’क अर्थशास्त्र’क पछुलका अँक मे पढ़लहुँ जे दू टा सरदार (मनमोहन सिँह आ अहुलवालिया) मिलि अर्थशास्त्र मे घोर गलती केने जा रहल छथि. बढैत जनसँख्या, अन्ग्रेजी बाजबाक योग्यता आ कम्प्युटर’क सामान्य जानकारी पर भारत केँ सुपर पावर बनेबाक योजना बना रहल अछि. मुदा ई दुनू टा सरदार बिसरि गेल छथि जे एखुनका ६५% यूवा जनसँख्या तीस साल बाद बुढ़ा जायत. तखन नहि तऽ आर्थिक प्रगतिए रहत आ नहि सुपर पावर बनबाक कोनो लालसा. चारु दिस बुढे-बुढ आ बुढ़ सँ जुड़ल अर्थशास्त्र. हम हुनकर पहिल प्रश्न’क जवाब दैत कहलिअन्हि, “ओसामा बिन लादेन मात्र एकटा आतँकवादी छल आ हुनकर गति ओहने भेलनि जेना कोनो सामान्य आतँकवादी’क होएत छन्हि. आतँक’क एतेक बड़का साम्राज्य कोनो काज नहि एलनि. अमेरिका हुनकर घर मे जा केँ मारि देलकनि आ किनको कानो कान खबरो नहि भेलनि”।

“तऽ अहुँ वैह बुझैत छी जे बाँकी दुनियाँ बुझैत छैक”, अहाँ लोकनिक काकी अपन इन्टरनेट सँ ताकल जानकारी पर कनफ़िडेन्ट छलीह आ हम ई पहिने भाँपि गेल छलहुँ। तेँ हुनकर जानकारी केँ हम चुनौती दैत कहलिअन्हि, “इन्टरनेट सँ ताकल जानकारी ओतेक विश्वसनीय नहि होएत छैक. पूरे दुनियाँ के बुझल अछि जे ओसामा की छल।”

“हम कहलहुँ ने, ओसामा अरब जगत के दोसर खट्टर काका छलाह” ओ फेर सँ वैह दोहराबैत कहलीह. हम कहलिअन्हि, “ हँ हमरा बुझल अछि ओ हमरे सन हेहर छथि, वैह जिद्द, वैह arrogance, ओतबी बहस कयनिहार, मुदा एहि सँ किओ खट्टर काका नहि बनि जैत छैक”। “ओसामा एकटा कोर्पोरेट जगत के सी.ई.ओ छलाह” सोझे सोझ अपन मुद्दा पर आबैत अहाँ’क काकी हमरा कहलैथ. “कोन कार्पोरेशन के ओ सी.ई.ओ छल यै” हम पुछलिअनि। “आतँकवाद अपने आप मे एकटा कार्पोरेशन छैक. एतय वैह नियम सब लागू होएत छैक जे दोसर बहुराष्ट्रीय कम्पनी मे लागू होएत छैक. कोनो भी बहुराष्ट्रीय कम्पनी सन दुनियाँ के प्रत्येक कोन मे आतँकवाद’क आफ़िस होएत छैक. ओहिना रीक्रुटमेन्ट होएत छैक. नफ़ा-नुकसान ओहिना होएत छैक. कम्पनी’क क्वाटरली रिजल्ट ओहिना घोषित काएल जैत छैक. किछु विशेष तरह’क जनता’क ओहि मे इन्वेस्टमेन्ट रहैत छैक आ एहि कम्पनी’क पर्फ़ोरमेन्स’क आधार पर आतँकवादी रुपी कम्पनी’क शेयर’क मूल्य घटैत बढैत रहैत छैक आ ओहिना आतँकवाद’क पैसा बी.एस.ई. आ डाउ जोन्स मे लागल रहैत छैक.” एक सँग एतेक बात हमरा बुझि मे नहि आएल. हम कहलिअनि, “अहाँक एतेक बात हमरा अपच लागि रहल अछि” ओ तपाक सँ उत्तर देलैथ, “साधारण बात अछि. आई काल्हुक नवयुवक जखन कोनो कम्पनी मे भर्ती होएत छैक तऽ की देखैत छथि. कम्पनीक की पर्फ़ोरमेन्स छै? यदि तीन साल काज काएल जाए तऽ प्रोफ़ाइल मे की बढ़ोतरी हेतैक, दरमाहा कतेक भेटतैक आ पर्क कतेक भेटतैक” हम चुप छलहुँ आ ओ अपन तरँग मे छलीह, “ओसामा के कोरपेरेट मे भर्ती होबए सँ पहिने अफगानी, पाकिस्तानी आकि पस्तुनी यूवक यैह देखैत छथि जे हुनकर कैरियर कतय नीक रहतैक, अलकायदा मे, तालीबान मे, या जैशे मुहम्मद मे. जे अमुक यूवक केँ नीक दरमाहा आ पर्क दैत छैक ओतैये जाइत छैक.” “आ फेर ओ लोकनि नौकरी कोना चेन्ज करैत छैक” हम चुटकी लैत पुछलिअनि. हमर चुटकी पर ओ एना प्रतिक्रिया देलथिन जे मानू हमरा हुनकर बात बुझबाक योग्यते नहि अछि. मुदा जवाब तऽ हुनका देनाइए छलनि, ओ कहय लागलीह, “कम्पनी मे जेना लोक नौकरी चेन्ज करैत छैक, ओसामा के लड़ाका तहिना नौकरी चेन्ज करैत छैक. जे बेसी दरमाहा देत ओतय चलि जायत. दोसर बात कम्पनी’क ब्रैन्ड मूल्य ओहि मे बहुत महत्वपूर्ण स्थान राखैत छैक. अतः यदि कोनो यूवक जैशे-मोहम्मद छोड़ि कम पैसा मे अलकायदा ज्वाइन कऽ लैथ तऽ कोनो अनर्गल नहि. ओना प्रत्येक कम्पनीक भाँति आतँकवादी सँगठन सेहो चाहैत छैक जे हुनकर कम्पनी मे सबसँ बेसी प्रतिभाशाली यूवक होबए जाहि सँ सँगठन दिन दूना आ राति चौगूना बढ़ए”. आब हुनकर बात किछु तर्कसँगत लागि रहल छल, हम कहलिअन्हि, “से तऽ ठीक छै, मुदा ई बताउ जे प्रत्येक कार्पोरेशन के लक्ष्य होइत छै जे बेसी सँ बेसी पैसा कमाएल जाए. ओसामा के लक्ष्य तऽ एहेन नहि छल.” “से अहाँ के के कहलक. आतँकवादी सँगठनक लक्ष्य मात्र पैसा होएत छैक. पैसा’क अलावा आओर किछु नहि” अहाँक काकी जोर दैत कहलथिन्ह. हम हुनकर गप्प सँ सँतुष्ट नहि छलहुँ. “पैसा तऽ दोसरो तरीका सँ कमाएल जा सकैत छैक, एहेन रास्ता ओ लोकनि किएक चुनए छै” हमरा तुरन्ते उत्तर भेट गेल, “आओर नहि तऽ की? अफ़गानिस्तान के आठवाँ पास नवयूवक केँ सोफ़्टवेयर कम्पनी मे नौकरी भेटतैक.” “आ ओ जेहाद फेहाद...” हम पुछलिअनि. “मात्र एकटा देखाबा. पैसा कमेनाई मुख्ये टा नहि अपितु मात्र एकेटा लक्ष्य. जे आतँकवादी सँगठन जतेक बड़का घटना के अँजाम दैत छैक ओकर मारकेट वैल्यू ओतबी बढ़ैत छैक. इहो एकटा सर्विस इन्डस्ट्री थीक जतय आदमी के मूल्य कोनो आओर चीज सँ बेसी होएत छैक”, काकी अपन जवाब सँ हाजिर छलीह. आब हमरा लागय लागल छल जे काकी’क बात मे किछु दम जरुर छैक. हम कहलिअनि, “जँ अहाँक बात सत्य थीक, तऽ लागले हाथ इहो बता दिअ, जे आब आतँकवादी सँगठन के की हेतैक. ओसामा बिन लादेन तऽ मरि गेलैक.” हम देखलहुँ जे काकी’क मुँह मे बुरलेल शब्द आबैत आबैत रुकि गेलनि. पत्नीधर्म इन्टरनेट सँ जोगाएल जानकारी पर बेसी भारी पड़ि रहल छलनि. ओ शालीनता सँ उत्तर देलथिन, “ओसामाक मरने किछु नहि होएत. जेना कोनो पैघ कम्पनी’क सी.ई.ओ. “रिटायर हर्ट” भऽ गेलाह. कम्पनी’क परफोर्मेन्स किछु दिन’क लेल डाँवाडोल रहत. फेर सँ वैह. कोनो दोसर लोक एहि पद केँ ग्रहण करताह आ कम्पनी केँ उपर लऽ जेबाक लेल प्रयत्न करताह”. मोन होएत छल जे इन्टरनेट हमर जवानी मे किएक नहि आएल. अहाँ लोकनिक काकी’क बुद्धि चालीस साल पहिने खुजि जाइते. काकी’क सँ हम हारि मानि गेल छलहुँ आ हुनकर तर्क पर हम स्तब्ध भऽ चुपचाप बैसल छलहुँ. स्त्रीगण अपन पति केँ हारि मानैत नहि देखि सकैत छथि. हमरा सान्त्वना दैत कहलैथ, “ओसामा’क मरला’क बाद एखन आतँकवाद रुपी कार्पोरेट मे मन्दी अछि.” काकी उपसँहार मे एकटा छोट सन लेक्चर दऽ देलीह, “आतँकवाद एकटा सर्विस इन्डस्ट्री थीक जाहि मे मुख्य उद्देश्य अछि पैसा लऽ केँ दोसरा लेल किछु काज करब थीक. एहि मे आउटसोर्सिँग सेहो होएत छैक. अमेरिका अरब जगत मे कब्जा केवल तेल’क पोलिटिक्स लेल केने छल. आ अरब जगत’क व्यापारी ओसामा सन लोक केँ फण्डिँग कऽ तेल’क सत्ता अपने हाथ मे राखए चाहैत छथि. ई सब पैसाक लेल खीचातानी होइत अछि. आ तथाकथित आतँकवादी एकटा स्किल्ड सोफ्टवेयर वर्कर सँ बढ़ि के किछु नहि”. जखन हुनकर लेक्चर खत्म भेल तऽ हम जोर सँ श्वाँस छोड़लहुँ. ओसामा मरि चुकल छल. अहाँक काकी एहि स्थिति केँ आतँक’क मन्दी कहि रहल छलीह. आ एतय किछु दिन सँ हम अखबार मे पढ़ि रहल छलहुँ. भारत मे एकटा फेर सँ रीसेशन आबि रहल छल. काकी मँदी पर अपन वक्तव्य दऽ रहल छलीह. डर भेल कहीँ रिसेशन पर जँ हुनकर बहस शुरु भऽ जान्हि तऽ हुनका रोकब कठिन. हलाँकि दू टा प्रश्न एखनहुँ मस्तिष्क मे बिर्र्रोह उठेने छल—जे खट्टर काका आ ओसामा बिन लादेन मे समानता की? आ दोसर जे आतँकवादक रिसेशन मे जन सामान्य पर की असर होएत छैक. अपने लोकनिक काकी अपन उफ़ान पर छलीह. हम चुप्पे रहबा मे अपन फायदा देखलहुँ. बाद मे अवसर भेटला पर एहि दू टा विषय केँ फेर सँ खोदब.