कृष्णभूषण बल (अङ्ग्रेजी: Krishna Bhusan Bal जन्म २००४ चैत्र १ - मृत्यु २०६९ असार ११ गते) एक सशक्त तथा कालजेयी नेपाली कवि छथि । नैबुझ आ नैअर्थिने प्रयोगवादी धारासँ नेपाली कविताक अस्तित्वउपर आशङ्का उठरहल सन्दर्भमे नेपाली कविताके सम्प्रेष्य विम्ब आ भाषाशैलीक माध्यमसँ पाठकसग पुनः तादात्म्य सम्बन्ध जोड्नमे कवि कृष्णभूषण बलक योगदानक उच्च मूल्याङ्कन करैत अछि । खास करै गम्भीर व्यञ्जनात्मक अर्थ दऽ विम्बसभक समायोजन कृष्णभूषण बलक मौलिक विशेषता छी ।[१] नेपाली कविताक शक्तिमे भावनाक कला टिप हुनका बनाएल विम्बक शिखर बहुत उच्च अछि ।[२] नश्लीय रोग आ धर्मक धङधङीसँ दुर रहल तथा राजनीतिक भाङ नैलागल कविताजहन शालीन व्यक्तित्वक धनी बल एकटा सिगल कविता छथि ।[३]

कृष्णभूषण बल
कवि बल २०६६ सालमे कोशी काव्ययात्राक समापन कार्यक्रममे
जन्मवि.सं २००४ चैत १ गते
माल्टेनी, रवि, इलाम
मृत्युवि.सं २०६९ असार ११ गते
राष्ट्रियतानेपाल नेपाली
शिक्षास्नातक
व्यवसायलेखन
प्रसिद्धि कारणकविता
उल्लेखनीय कार्यसभ
भोलि बास्ने बिहान
जीवनसाथी(सभ)शोभा लामा
बालबच्चासाईभूषण बल, कविता बल श्रेष्ठ
अभिभावक(सभ)हेमबल तामाङ, शारदा घिसिङ तामाङ


प्रारम्भिक जीवन सम्पादन करी

वि.स.२००४ साल चैत्रमे पिता हेमबल तामाङ आ माता शारदा घिसिङ तामाङक पुत्रक रूपमे मावलीघरमे कृष्णभूषणक जन्म भेल; छल । हुनका वाद दुई टा बहिनसभ जन्मिएल । हुनकर माताक निधन भेल वाद दोसर माता ल्यावालक । बहिनसभ घरमे बसल पछा कृष्णभूषणक बसाइ मावलमे भेल । कृष्णभूषणक नाम रवि अर्थात् निमावि पढ़ितकल ‘टीकाराम तामाङ’ छल ।

शिक्षा एवम् कार्यजीवन सम्पादन करी

रवि इलाम रवि बजारमे सात–आठ कक्षातक पढलावाद तामाङ विराटनगर गेल आ हुनकर साहित्य क्षेत्रमे अपन नाम कृष्णभूषण बल प्रख्यात बनल छथि ।[४]

साहित्यिक यात्रा सम्पादन करी

कृष्णभूषण बलको सर्वाधिक चर्चित कविता

"काठमाण्डू एक्लैले अब काठमाण्डू बोक्न सक्दैन"
 
काठमाण्डू एक्लैले अब काठमाण्डू बोक्न सकदैन
काठमाण्डू एक्लैले अब सिङ्गै नेपालको अर्थ लगाउन सक्दैन ।

नाघ्नुपर्छ पैतालाहरुले अब भन्ज्याङहरु
टेक्नुपर्छ आँखाहरुले अब सारा पहाडहरु
उड्नुपर्छ निश्चित लक्ष्यहरुमा अब यो छिमलका चराहरु
ज्वालामुखीभैंm फुट्नुपर्छ अब यो पिढीका स्वरहरु
छाम्दै हातिहरुले काँडाहरु अब टेक्न सक्नुपर्छ ।
काठमाण्डू त अब डाँडाहरुमा बिछिन सक्नुपर्छ ।

एउटै ढुङ्गाले कुनै घर बनिन सक्दैन, ढुङ्गाको तहतह हुनुपर्छ
एउटै पोखरीको कुनै ताल हुँदैन, थुप्रै दहदह जम्नुपर्छ
हुटिट्याउँले सागर थाम्न खोजेर–थामिन सक्दैन सागर
बर्खे भेलको सानो चपेटले–मेट्न खोजेर मेटिन्न बगर
पहाड मधेस थुम्काथुम्को र उकाली ओरालीको देश
कसेको पेवा होइन, कसैले ठेक्का लिएर पनि हुने हैन,
मुहान जो बग्नुपर्छ, जम्नु यसको कुनै अर्थ हुँदैन ।

काठमाण्डू एक्लैले अब काठमाण्डू बोक्न सकदैन
काठमाण्डू एक्लैले अब सिङ्गै नेपालको अर्थ लगाउन सक्दैन ।

खोरमा थुनिएर पनि बिहानीको सङ्केत दिन्छ कुखुराको भाले
निरर्थक प्रयासमा युग हाँस्छ बलिसकेको दिनलाई हुस्सुले ढाक्न खोजे
टुँडिखेलका प्रत्येक सुरुहरुमा घोडा छादेर त्यतिकै डटेकै छ इतिहास
टाप बजारेर कुदिरहेको घोडालाई त्यतिकै चाबुक लगाइरहेछ एउटा उपहास ।
अनिष्ठ भन्छन् सपनामा देखनेहरु पनि यस्तो कालो घोडा र कालो मान्छे
तर काठमाण्डू छातिमाथि बोकिरहेकै छ यस्ता कतिकति इतिहासका मान्छे
किन थाहा भएन तिमीलाई एउटा रौंलाई मात्र भनिन्न केश
किन थाहा भएन तिमीलाई एउटा इतिहासको मात्र हुँदैन देश
काठमाण्डू वास्तवमा भित्रभित्रै छटपटिएको छ
काठमाण्डू अर्को तरवारको विकास खोजिरहेको छ ऊ
युगका गह्रौं पाइलाहरु अब धेरै बोक्न सक्दैन
यसैले बग्ने निकास खोजिरहेको छ ऊ ।

काठमाण्डू एक्लैले अब काठमाण्डू बोक्न सकदैन
काठमाण्डू एक्लैले अब सिङ्गै नेपालको अर्थ लगाउन सक्दैन ।
 

भोलि बास्ने बिहान - २०४१

प्रकाशन / मुख्य कृतिसभ सम्पादन करी

कविता संग्रहः सम्पादन करी

  • भोलि बास्ने बिहान, २०४१ [५]
  • द फुल मुन एट द रिभर ब्याक: अङ्ग्रेजीमा अनूदित कविताहरुको सङ्ग्रह[५]
  • कृष्णभूषण बलका बाँकि रचना (कविता तथा निबन्धात्मक लेख) - २०७०[६]


खण्डकाव्य सम्पादन करी

  • दाज्यू तिम्रो हात चाहिन्छ, २०३३[५]

लेख सम्पादन करी

साहित्यकार परिचय आ अभिव्यक्ति, २०४५, नेराप्रप्र [५]


पुरस्कार तथा सम्मान सम्पादन करी

साहित्यकार माधव भँडारीक सम्पादनमे इलामसँ निकल ‘सौगात’ पत्रिकामे पहिल कविता छपा अगाडि बढ्ल बलके जीवनक अन्तिम समयसम्म लिख रहल । लेखनसँ हुनका चिनिएल आ बहुत प्रिय भेल : चर्चित भेल कविता लिख बहुत पुरस्कार पावलक ।[५][७]

  • राष्ट्रिय कविता महोत्सव, २०४०
  • प्रतिभा पुरस्कार, विराटनगर, २०४०
  • राष्ट्रिय कविता महोत्सव, २०४१
  • सम्मानपत्र नवरंग साहित्य प्रतिष्ठान धरमपुर, झापा, २०५२
  • राष्ट्रिय प्रतिभा पुरस्कार, २०५७
  • डा. स्वामी प्रपन्नचार्य चतुर्भुज पुरस्कार, २०५७
  • अभिनन्दनपत्र नेपाल तामाड० घेदुड०, पूर्वान्चल क्षेत्रीय समन्वय समिति, धरान, २०६०
  • कदरपत्र साहित्य कला संगम, दमक २०६०
  • सम्मानपत्र शिरोमणि पुस्तकालय परिवार, विराटनगर, २०६०
  • सम्पानपत्र शिरोमणि पुस्तकालय परिवार, विराटनगर, २०६०
  • सम्मानपत्र रविबासीका तर्फबाट, २०६०
  • यूरोशिया रेयूकाई, सम्मानपत्र, २०६२
  • मधुरिमा नेपाल सम्मानपत्र, २०६२
  • चेतना प्रतिभा एन्यन तथा संरक्षण प्रतिष्ठान नेपाल सम्मान, २०६३
  • बसुन्धरा मानश्री पुरस्कार सहित सम्मान, २०६३
  • किरांत विद्यार्थी संघ, नेपाल आदिवासी जनजाति महासंघ र लिम्बु विद्यार्थी मंच, झापा अभिनन्दन, २०६५
  • बाशु शशि स्मृति सम्मान, २०६५
  • अभिनन्दन, विराट बौद्ध समाज, २०६६
  • सम्मान, त्रिपला राष्ट्रिय पुस्तकालय, २०६६
  • सरस्वती सम्मान, लुनकरण गंगादेवी साहित्य कला मन्दिर, २०६६
  • अभिनन्दन नेपाल तामाड० घेदुंग, उर्लाबारी, २०६६
  • अभिनन्दन देवकोटा पुस्तकालय, विराटनगर, २०६६

आबद्ध संघसंस्थासभ सम्पादन करी

सदस्यः नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान प्राज्ञ परिषद् [८]
अध्यक्षः वाणी प्रकाशन, विराटनगर[८]
अध्यक्षः लोकतान्त्रिक स्रष्टा मञ्च[८]
आजीवन सदस्यः जीवन स्मृति प्रतिष्ठान[८]
आजीवन सदस्यः नवरंग साहितय प्रतिष्ठान[८]
आजीवन सदस्यः वनिता प्रकाशन[८]

सन्दर्भ सामग्रीसभ सम्पादन करी

  1. टङ्कप्रसाद न्यौपाने, स्वप्नद्रष्टा कवि कृष्णभूषण
  2. ज्योति जङ्गल, अभिभावक कवि कृष्णभूषण
  3. सीमा आभास, नेपाल समाचारपत्र, २१ असार ०६९
  4. बुलु मुकारुङ, भूषण दाइको भोज, राजधानी.
  5. ५.० ५.१ ५.२ ५.३ ५.४ जयदेव भटृराई, सशक्त कविको अवशान,२०६९ असार २४ गते.
  6. शोभा लामा (संयोजक), काठमाडौँ: अोरिएन्टल प्रकाशन गृह, 2013[permanent dead link]
  7. "Krishna Bhushan Bal, Tamang Samaj.Com"मूलसँ 2022-08-20 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2017-12-10 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  8. ८.० ८.१ ८.२ ८.३ ८.४ ८.५ यज्ञप्रसाद शर्मा, कवि बललाई सम्झिँदै परिवार र आफन्तहरु, सुक्ष्म सरोकार.

बाह्य जडीसभ सम्पादन करी

एहो सभ देखी सम्पादन करी