कुशे औंसी
कुशे औंसी सनातन हिन्दू परम्परामें भाद्र महिनाक अमावस्या (औंसी)क दिन मनावल जाइवाला पर्व छी । कुशे औँसीमें पिताजीके मुख देखके, अर्थात् बाबु दिवसके रूपमे मनावल बाबुजीके विशेष सम्मान करि आ आमाबाबु नै भेल सभक तीर्थमे खासकरि गोकर्ण आ विष्णुपादुकामे श्राद्ध, तर्पण, दान, पुण्य करि पितृ तारिके आ अपना पुण्यात्मा बनैके विश्वास कएल जाइत अछि । कुशके विशेष प्रकारक औँठी जेकरा पवित्र कहल जाइत अछि ओ धारण नै करि कोनो भी धर्म-कार्य नै कएल जाइत अछि । कुश घरमे राखनाइ मात्र सेहो पवित्र मानैसँ पुरोहितसभ यजमानक घरैघर एही कुशे औँसीमे पहुँचावैत अछि आ यजमानसभक सेहो सिधा-दक्षिणा आदि द्वारा पुरोहितके सम्मान करैत अछि ।[१]
गोकर्ण औंसी Gokarna Aunsi | |
---|---|
आधिकारिक नाम | कुशे औंसी |
अन्य नाम | पितृ औंसी, गोकर्ण औंसी |
समुदाय | हिन्दू |
पावनिसभ | श्रद्धा |
तिथि | भादो, Krishna, अमावस्यानमूना परिक्रम भेटल: आकृति:Infobox holiday/wd |
सन्दर्भ सामग्रीसभ
सम्पादन करी- ↑ किको गहतेली, सुन्दरपुर-९, पूर्वफिमरा, मोरङ, नेपाल