कुबेर एक हिन्दू पौराणिक पात्र छि जे धनक स्वामी (धनेश) मानल जाएत अछि । कुबेर यक्षों कs राजा सेहो छि । वो उत्तर दिशा कs दिक्पाल छि आर लोकपाल (संसारक रक्षक) सेहो छि ।

कुबेर

रामायण मs कुबेर भगवान शंकर कs प्रसन्न करsके लेल कुबेर हिमालय पर्वत पर तप केनेए छल । तपक अंतराल मs शिव तथा पार्वती कs देखने छल । कुबेर जी अत्यंत सात्त्विक भाव सं पार्वती कs आगा बाया नेत्रसs देखलथि । पार्वती कs दिव्य तेज सं वो नेत्र भस्म भs पियर भs गएल छल । कुबेर जी जगह सs उठि कs दोसर स्थान पs चल गएल । एहन घोर तप या त शिव जी केने छल या फिर कुबेर कएलक , अन्य कोनो देवता ओकरा पूर्ण रूप सं संपन्न नइ करि पाओल छल । कुबेर सं प्रसन्न भsकs शिव जी कह्ल्खिन-'तूं हमरा अपन तपस्या सं जीत लेल्ही । तोहर एकटा नेत्र पार्वती कs तेज सं नष्ट भs गएलौ, अत: आब सं तूं एकाक्षीपिंगल कहेभी । [1]