कालिदास ("कालीक दास" संस्कृत: कालिदास) संस्कृत भाषाक सबसँ महान् कविनाटककार छल । कालिदासक शाब्दिक अर्थ "कालीक सेवक" कहैक बुझल जाईत अछि । कालिदास शिवक सेहो भक्त छल। हुन्कर पौराणिक कथासभ आ दर्शनक आधार मानि रचनासभ लिखने छल । कलिदास अपन अलंकार युक्त सुन्दर, सरल आ मधुर भाषाक लेल विशेष रूपसँ जानल जाईत अछि । हुन्कर ऋतु वर्णन अद्वितीय मानल जाईत अछि । हुन्कर उपमाहसभ अनुपम अछि । संगीत उन्कर साहित्यक प्रमुख अङ्ग छी आ रसक सृजन करऽम हुन्कर कोनो उपमा नै अछि। ओ अपन शृंगार रस प्रधान साहित्यम सेहो साहित्यिक सौन्दर्यक साथ साथ आदर्शवादी परम्परा आ नैतिक मूल्यसभक समुचित ध्यान राखन अछि । हुन्कर नाम अमर अछि आ हुन्कर स्थान वाल्मीकि आ व्यासक परम्पराम अछि । हुनका द्वावारा लिखल कविता तथा नाटकसभ कहिया लिखल गेल यकिन नहियो भेलाप् पाँचम शताब्दीम लिखल गेल अनुमान केल गेल अछि ।[]

कालिदास
कालिदास
जन्मचारिम शताब्दी
मृत्युपाँचम शताब्दी
गुप्त साम्राज्य, अनुमानित उज्जैन अथवा श्रीलंकामा
पेशाकवि आर नाटककार
राष्ट्रियताभारतीय
नस्लभारतीय
शैलीसंस्कृत नाटक, शास्त्रीय साहित्य
विषयमहाकाव्य, हिन्दू पुराण
उल्लेखनीय कामसभअभिज्ञान शाकुन्तलम्, रघुवंशम्, मेघदूतम्, विक्रमोर्वशीयम्, कुमारसंभवम्
जीवनसाथीपौराणिक कथा अनुसार हुन्कर विवाह एक राजकुमारी सँग भेल छल जिनकर नाम विद्योतमा छल ।
शाकुन्तलम्

सन्दर्भ सामग्रीसभ

सम्पादन करी

बाह्य जडीसभ

सम्पादन करी

एहो सभ देखी

सम्पादन करी